भारतीय कंपनी जगत का मानना है कि सार्वजनिक निर्गम पेश करने के लिए यह सबसे सही वक्त है। उसका यह मनोबल बाजार नियामक सेबी के पास जमा कराए जा रहे पेशकश दस्तावेज से झलकता है। प्राइम डेटाबेस के आंकड़ों के अनुसार अकेले पिछले महीने 19 कंपनियों ने पेशकश दस्तावेज (डीआरएचपी) जमा कराए जो सितंबर 2021 के बाद का सर्वोच्च मासिक आंकड़ा है।
जुलाई से अब तक अलग-अलग क्षेत्रों की करीब तीन दर्जन कंपनियों ने अपने डीआरएचपी जमा कराए हैं। बाजार में तेजी के कारण ऐसी गतिविधियों में इजाफा हुआ है और हालिया ज्यादातर आईपीओ में आवेदन के आंकड़े उत्साहजनक रहे हैं और सूचीबद्धता के बाद प्रदर्शन भी मजबूत रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि और भी कंपनियां पेशकश दस्तावेज जमा कराने की प्रक्रिया में हैं।
प्राइम डेटाबेस के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने कहा कि इस तेजी कारण हालिया आईपीओ की भारी मांग है। 2024-25 में अभी तक आईपीओ को औसतन 48 गुना ज्यादा आवेदन मिले हैं और सूचीबद्धता पर औसत लाभ 35 फीसदी रहा है। ऐसे में जैसा कि हमने विगत में देखा है, कंपनियां इस तेजी का इस्तेमाल अपने आईपीओ उतारने में करना चाहती हैं और दाखिल जस्तावेज से इसका संकेत मिलता है।
जेएसडब्ल्यू समूह की सीमेंट इकाई जेएसडब्ल्यू सीमेंट, हीरो फिनकॉर्प (दोपहिया निर्माता हीरो मोटोकॉर्प की वित्तीय सेवा इकाई), लॉजिस्टिक्स सेवा प्रदाता ईकॉम एक्सप्रेस और मुंबई की रियल एस्टेट डेवलपर कल्पतरु जैसी अहम कंपनियां सूचीबद्धता की कतार में हैं।
इन्वेस्टमेंट बैंक इक्विरस के संस्थापक अजय गर्ग ने कहा कि जुलाई-अगस्त की अवधि में ज्यादा आईपीओ दस्तावेज जमा कराने के तकनीकी कारण हैं। उन्होंने कहा कि ज्यादातर कंपनियां अपने साल के आखिर के वित्तीय आंकड़ों को अंतिम रूप देने में वक्त लगाती हैं, जो मोटे तौर पर इसी समय प्रोसेस होते हैं। इसलिए कई फर्में अगस्त तक दस्तावेज जमा कराती हैं।
साल 2023 में जुलाई-अगस्त की अवधि में 22 आईपीओ के लिए आवेदन आए जबकि 2021 की इसी अवधि में 39 आए। सेंट्रम कैपिटल के पार्टनर (इन्वेस्टमेंट बैंकिंग) प्रांजल श्रीवास्तव ने कहा कि डीआरएचपी में दर्ज वित्तीय विवरण छह महीने से ज्यादा पुराने नहीं हो सकते। इसका मतलब यह हुआ कि अभी जमा कराए गए डीआरएचपी में मार्च तक के वित्तीय विवरण दर्ज होना चाहिए। साथ ही इस समयसीमा को चूकने का मतलब है कि फिर उन्हें जून के वित्तीय आंकड़ों के साथ आवेदन दाखिल करना होगा जिससे आईपीओ को कुछ महीने आगे खिसक सकता है।
मोटे तौर पर सेबी किसी पेशकश दस्तावेज को मंजूरी देने में 2 से 4 महीने लगाता है। अभी अपने पेशकश दस्तावेज जमा कराने वाली ज्यादातर कंपनियां नवंबर-दिसंबर में आईपीओ पेश करने का लक्ष्य लेकर चल रही हैं। ज्यादातर कंपनियां उम्मीद कर रही होंगी कि द्वितीयक बाजार और नकदी की स्थिति उत्साहजनक बनी रहे ताकि उनके इश्यू को अच्छे आवेदन मिलें।
इस साल बेंचमार्क निफ्टी अभी तक 15 फीसदी चढ़ा है जबकि निफ्टी मिडकैप 100 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 सूचकांकों में 26-26 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई है। हल्दिया ने कहा, जब तक द्वितीयक बाजार पर असर डालने वाली कोई बड़ी नकारात्मक घटना नहीं होती है तब तक हम भारत में यह सबसे अच्छा आईपीओ वर्ष हो सकता है।
कैलेंडर वर्ष 2024 के पहले आठ महीने के दौरान 50 आईपीओ के जरिये 53,453 करोड़ रुपये जुटाए गए और पिछले साल के 49,435 करोड़ रुपये का आंकड़ा पहले ही पार हो चुका है। आईपीओ के जरिये रकम जुटाने का रिकॉर्ड वर्ष 2021 रहा था जब 63 कंपनियों ने 1.19 लाख करोड़ रुपये जुटाए थे। अगर इस आंकड़े के पार निकलना है तो बाजार को वाहन दिग्गज ह्युंडै इंडिया और फूड डिलिवरी दिग्गज स्विगी के आईपीओ की कामयाबी पर नजर रखनी होगी जो अभी नियामकीय मंजूरी की प्रतीक्षा में हैं।