सक्रिय इक्विटी म्युचुअल फंड (एमएफ) योजनाओं ने मार्च में भी 22,600 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित किया, भले ही हाल के समय में बेहद सर्वाधिक मांग में रही स्मॉलकैप फंड श्रेणी ने 30 महीने में अपनी पहली शुद्ध निकासी दर्ज की। भारत में म्युचुअल फंडों के संगठन (एम्फी) के आंकड़े से पता चलता है कि मार्च में निवेश फरवरी के 26,860 करोड़ रुपये के दो साल के ऊंचे स्तर के मुकाबले 16 प्रतिशत कम है। इस निवेश को एसआईपी विकल्प के जरिये दर्ज किए गए 19,270 करोड़ रुपये के पूंजी प्रवाह से मदद मिली।
एमएफ अधिकारियों के अनुसार, स्मॉलकैप फंडों से निकासी पोर्टफोलियो में बदलाव की वजह से भी हो सकता है।
कोटक महिंद्रा एएमसी में सेल्स, मार्केटिंग ऐंड डिजिटल बिजनेस के राष्ट्रीय हेड मनीष मेहता ने कहा, ‘बढ़ते बाजार से निवेशकों द्वारा मुनाफावसूली को बढ़ावा मिला, जबकि एसआईपी में उत्साह बरकरार रहा। हमें निवेश पुनर्संतुलन देखने को मिला है, जिसमें निवेशक स्मॉलकैप योजनाओं से लार्जकैप की ओर
गए हैं।’
पिछले तीन महीनों के दौरान स्मॉलकैप और मिडकैप फंडों में दिलचस्पी घटने के बीच लार्जकैप और फ्लेक्सीकैप योजनाओं के पूंजी प्रवाह में अच्छी तेजी दिखी है। नियामकों और विश्लेषकों द्वारा चेतावनी जारी किए जाने के बाद इन फंडों में निवेशकों की दिलचस्पी घट गई, क्योंकि मिडकैप और स्मॉलकैप सेगमेंट में बुलबुले जैसी स्थिति पैदा हो गई थी।
मिरे ऐसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के वाइस चेयरमैन एवं सीईओ स्वरूप आनंद मोहंती ने कहा, ‘जहां फरवरी तक, इक्विटी प्रवाह मुख्य रूप से मिड और स्मॉलकैप फंडों के पक्ष में था, वहीं हमने मार्च में मामूली सुस्ती देखी। कई निवेशकों ने ऊंचे रिटर्न की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए स्मॉलकैप फंडों की ओर रुख किया, हालांकि ऐसे फंडों में बहुत ज्यादा निवेश लंबे समय में जोखिम भरा हो सकता है।’
कम जोखिम वाली इक्विटी पेशकश समझी जाने वाली लार्जकैप और फ्लेक्सीकैप योजनाओं ने कैलेंडर वर्ष 2024 में 12,134 करोड़ रुपये आकर्षित किए, जबकि मिडकैप और स्मॉलकैप योजनाओं के लिए यह आंकड़ा 10,970 करोड़ रुपये था।
पैसिव योजनाओं ने भी वित्त वर्ष 2024 में दमदार पूंजी प्रवाह बनाए रखा। गोल्ड ईटीएफ समेत एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों (ईटीएफ) ने 12,800 करोड़ रुपये की पूंजी आकर्षित की, जो सितंबर 2022 के बाद से सर्वाधिक है। हाइब्रिड फंडों के लिए निवेश फरवरी के मुकाबले 5,584 करोड़ रुपये के साथ कमजोर रहा।
हालांकि डेट-केंद्रित योजनाओं से लगभग 2 लाख करोड़ रुपये की बिकवाली की वजह से उद्योग स्तर पर, निकासी का आंकड़ा निवेश के मुकाबले कहीं ज्यादा था। 1.6 लाख करोड़ रुपये की निकासी और मिडकैप और स्मॉलकैप योजनाओं में मार्क-टु-मार्केट नुकसान से प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियां (एयूएम) मासिक आधार पर 2 प्रतिशत घटकर 53.4 लाख करोड़ रुपये रह गईं।