अगर नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि पेंशन राशि का एक बड़ा हिस्सा शेयर बाजार में जा रहा है। एनएसई के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि सितंबर 2025 को समाप्त तीन महीनों में इस श्रेणी का निवेश 37,409 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। यह वर्ष 2016 के बाद से अब तक के तीन महीनों के आंकड़ों में सबसे अधिक है। तुलना करें तो सितंबर 2024 में यह 4,509 करोड़ रुपये और सितंबर 2016 में 894 करोड़ रुपये था।
ये आंकड़े ‘नई पेंशन प्रणाली’ श्रेणी के अंतर्गत एनएसई की मासिक रिपोर्टों पर आधारित हैं और हो सकता है कि ये विभिन्न एक्सचेंजों की गतिविधियों का पूरी तरह से प्रतिनिधित्व न करते हों। उदाहरण के लिए, विदेशी निवेशकों के ठीक इसी तरह के आंकड़े विभिन्न एक्सचेंजों के संयुक्त आंकड़ों से अलग दिखते हैं। लेकिन विश्लेषकों का सुझाव है कि इन्हें रुझान का संकेत माना जा सकता है। चालू वित्त वर्ष 2026 के पहले छह महीनों में कुल शुद्ध खरीदारी 68,678 करोड़ रुपये रही। वित्त वर्ष 2025 की इसी अवधि में यह 7,447 करोड़ रुपये थी।
उद्योग के विश्लेषकों का कहना है कि राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के तहत कई योजनाओं के लिए इक्विटी सीमा 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत करने वाले दिशानिर्देशों ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई होगी। मामले के जानकार दो लोगों के अनुसार एनपीएस सीमा में बदलाव अप्रैल 2025 से प्रभावी हुआ है और यह ईपीएफओ (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन) के वृद्धिशील निवेश के बजाय उसके संपूर्ण कोष पर लागू हुआ है। उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप पुनर्संतुलन के कारण आवंटन में वृद्धि हुई होगी। एक बार यह पुनर्संतुलन पूरा हो जाए, उसके बाद एनपीएस में आने वाले मासिक निवेश से गतिविधियों का स्तर तय होगा।
ग्रांट थॉर्नटन भारत में पार्टनर और वित्तीय सेवा जोखिम सलाहकार विवेक अय्यर ने कहा कि अधिक लोग एनपीएस से जुड़ रहे हैं और देश की जनसांख्यिकीय स्थिति बताती है कि नए सदस्य अमूमन युवा हैं और इक्विटी में अधिक निवेश के लिए इच्छुक होते हैं। अय्यर के अनुसार इससे शेयर बाजार में गतिविधियां बढ़ सकती हैं और निवेश अगले 10-15 वर्षों में ही बढ़ेगा। उन्होंने कहा, ‘पेंशन फंडों का इक्विटी बाजारों पर प्रभाव समय के साथ बढ़ता ही जाएगा।’
एनपीएस के एक फंड मैनेजर के अनुसार जागरूकता बढ़ाने के निरंतर प्रयासों से निवेश में मदद मिली है, लेकिन भारत की आबादी के अनुपात में इस निवेश योजना को व्यापक रूप से नहीं अपनाया गया है। पेंशन योजनाओं को विकास के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना है और बढ़ती पहुंच ही लंबी अवधि में इक्विटी बाजारों पर पेंशन राशि के असर को तय करेगी। उन्होंने कहा, ‘सब कुछ इसमें आने वाले निवेश पर निर्भर करेगा। व्यक्तिगत निवेशकों की भागीदारी काफी कम है।’
एनपीएस के एक नए विकल्प में कुछ योजनाओं को 100 प्रतिशत इक्विटी निवेश की अनुमति है। एनपीएस के अलावा ईपीएफओ भी वर्ष 2015 से ईटीएफ के जरिए शेयर बाजारों में निवेश कर रहा है। एक ईटीएफ, निफ्टी 50 या सेंसेक्स जैसे प्रमुख सूचकांक के रिटर्न की बराबरी करने की कोशिश करता है और इसके लिए इंडेक्स के उन्हीं शेयरों में निष्क्रिय आवंटन किया जाता है, बजाय इसके कि सक्रिय रूप से ऐसे शेयरों को चुना जाए जिनका प्रदर्शन खराब भी हो सकता है।
ईपीएफओ का ईटीएफ आवंटन वर्ष 2016 में बढ़कर 10 प्रतिशत और 2017 में 15 प्रतिशत हो गया। वित्त वर्ष 2023 में ईटीएफ में कुल निवेश 1.97 लाख करोड़ रुपये था। वित्त वर्ष 2024 में यह आंकड़ा 2.35 लाख करोड़ रुपये हो गया।