भारतीय शेयर बाजार ने काफी तेजी दर्ज की है। हाल में सेंसेक्स ने पहली बार 75,000 का आंकड़ा पार किया था। रोजर्स होल्डिंग्स के चेयरमैन जिम रोजर्स ने पुनीत वाधवा के साथ एक वीडियो साक्षात्कार में बताया कि भारतीय शेयर बाजार में उत्साह बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:
लगभग हरेक परिसंपत्ति वर्ग – इक्विटी, ब्याज दर, बॉन्ड यील्ड, क्रिप्टोकरेंसी, रियल एस्टेट, गोल्ड और कच्चा तेल- में तेजी का रुझान है। बढ़ते उत्साह के बीच क्या यह समय सतर्क रहने का है?
पिछले समय में जब इस तरह के रुझान देखे जाते थे तो इससे अक्सर समस्याएं बढ़ती थीं। हाल में चीन को छोड़कर कई बाजारों में शेयर कीमतें बढ़ी हैं। चीन में शेयर कीमतों पर दबाव बना हुआ है। दुनिया में लगभग हर जगह हालात उत्साहजनक हो रहे हैं। बाजार में नए लोग आ रहे हैं और उत्साह बढ़ रहा है। ऐतिहासिक रूप से इससे समस्याओं को बढ़ावा मिलता है।
क्या आप मानते हैं कि इस बार हालात अलग रह सकते हैं?
ये बेहद चुनौतीपूर्ण शब्द हैं- ‘इस बार हालात अलग रहेंगे’। यदि आप किसी को ऐसा कहते हुए सुनते हैं तो चिंतित हो जाइए। हालात कभी अलग नहीं होंगे। जब बात पैसे और निवेश की हो तो इंसान हमेशा समान रुख अपनाएगा।
पश्चिम एशिया में भूराजनीतिक हालात को आप किस नजरिये से देखते हैं? कच्चे तेल और सोने पर क्या प्रभाव पड़ रहा है?
पश्चिम ए शिया में गंभीर समस्याएं पैदा हो रही हैं। यदि मौजूदा स्थिति पूरी तरह युद्ध में तब्दील हुई तो इससे बाजार, कच्चे तेल और सोने पर प्रभाव पड़ेगा। तेल कीमतें आसमान पर पहुंच जाएंगी और इसलिए सोना भी चढ़ेगा। बाजार ढह जाएंगे। युद्ध का परिणाम शेयर बाजारों के लिए कभी अच्छा नहीं रहा है।
भूराजनीतिक हालात बदतर हुए तो सोने और कच्चे तेल की कीमतों में कितनी वृद्धि देख सकते हैं?
मेरे पास तेल और सोना है, युद्ध की वजह से नहीं ब ल्कि इसलिए क्योंकि मुझे दुनियाभर में कच्चे तेल की किल्लत नजर आ रही है। दूसरी तरफ, सोने की कीमतें अब कुछ समय से कमजोर पड़ी थी। लेकिन इनमें फिर से तेजी आनी शुरू हो गई है। भूराजनीतिक चिंताओं से सोने की कीमतों में तेजी को बढ़ावा मिलेगा। इसलिए, मैं सोना नहीं बेच रहा हूं। यदि आज मुझे कुछ खरीदना होता तो मैं फिर से चांदी खरीदूंगा। चांदी की कीमतें अपने सर्वा धिक ऊंचे स्तर से काफी नीचे आई हैं।
क्या अमेरिका में मुद्रास्फीति के ताजा आंकड़े से अमेरिकी फेड द्वारा दर कटौती के संबंध में आपकी उम्मीद भी धूमिल पड़ी है? अमेरिकी चुनाव परिणाम का फेड की नीति पर कितना असर पड़ेगा?
कई केंद्रीय बैंकरों को नहीं पता कि वे क्या कर रहे हैं। वे नौकरशाह और शिक्षाविद हैं जिनके पास सरकारी नौकरी है। कुछ साल पहले भारत में अच्छे केंद्रीय बैंक थे। लेकिन यदि आप इतिहास पर नजर डालें तो पता चलता है कि ज्यादातर केंद्रीय बैंकर यह नहीं जानते थे कि उन्हें क्या करना चाहिए।
आपको अभी अमेरिकी केंद्रीय बैंक पर बहुत भरोसा है, लेकिन वह भी नहीं जानता कि क्या करना चाहिए। मुद्रास्फीति फिर से बढ़ेगी और तब उन्हें फिर से दरें बढ़ानी होंगी। इस वजह से हम सभी को चुनौती का सामना करना होगा। शायद यह शेयर बाजारों के लिए तिनके का सहारा हो।
अगले 6 से 12 महीनों के दौरान भारतीय शेयर बाजार की चाल कैसी रह सकती है?
भारतीय शेयर बाजार का सफर शानदार रहा है। मेरे पास भारतीय शेयर नहीं हैं, लेकिन अगर मेरे पास होते तो मैं उन्हें अभी नहीं बेचता।
क्या अब आप भारतीय शेयर खरीदना पसंद करेंगे?
यह तभी संभव होगा, जब शेयर कीमतें काफी नीचे गिर जाएं। मुझे महंगे शेयर रखना और ऐसे समय में बाजार में प्रवेश करना पसंद नहीं, जब वह सर्वा धिक ऊंचे स्तर पर हो। मैंने भारतीय शेयर बाजार में निवेश का अवसर गंवा दिया है और ऐसा पहली बार नहीं हुआ।
भारतीय बाजार के संबंध में आपकी मुख्य चिंता क्या है?
मुख्य चिंता यह है कि जल्द पैसा कमाने के चक्कर में शेयर बाजार में तेजी से नए निवेशक आ रहे हैं। ऐसे हालात पहले भी देखे गए और अभी भी बने हुए हैं। इन सबसे समस्याएं बढ़ जाती हैं। भारतीय बाजार में उत्साह काफी ज्यादा बढ़ रहा है। बाजार में भरोसा पैदा हो रहा है, वे ज्यादा उत्साहित और आक्रामक हैं। इससे
आ खिरकार समस्याओं को बढ़ावा मिलेगा।
ऐसे कौन से क्षेत्र हैं, जिनमें आप मूल्यांकन गिरने पर निवेश करना पसंद करेंगे?
शायद भारतीय पर्यटन। भारत एक दिन दुनिया में सबसे शानदार पर्यटन स्थलों में से एक बन सकता है। यदि मुझे किसी सस्ती भारतीय पर्यटन कंपनी में निवेश का मौका मिलेगा तो मैं निवेश करूंगा। यदि कोई अपनी जिंदगी में सिर्फ एक देश की यात्रा कर सका है, तो शायद वह होगा भारत। दुनिया में इसके जैसा देश नहीं है। यहां आकर्षक पर्यटन संभावनाएं हैं। यही वजह है कि मुझे अगर यहां किसी अच्छी टूरिज्म कंपनी में निवेश का अवसर मिलेगा तो निश्चित तौर पर करूंगा।