Bitcoin reaches $80,000 for first time: अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनावों में डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) की ऐतिहासिक जीत से भारत सहित दुनिया भर के बाजारों में तेजी देखी गई। क्रिप्टोकरेंसी मार्केट भी इससे अछूता नहीं रहा है। रविवार को बिटकॉइन (Bitcoin) पहली बार 80,000 डॉलर के लेवल के पार निकल गया। बिटकॉइन में तेजी, ट्रंप की प्रॉ-क्रिप्टो छवि और क्रिप्टो-फ्रेंडली कांग्रेस की संभावना से प्रेरित है। समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रविवार को क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन 4.7 प्रतिशत बढ़कर अभूतपूर्व 80,092 डॉलर पर पहुंच गई।
ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार में वादा किया था कि वह अमेरिका को डिजिटल संपत्ति उद्योग का केंद्र बनाएंगे, जिसमें बिटकॉइन का एक रणनीतिक भंडार बनाना और डिजिटल संपत्तियों के प्रति आकर्षण रखने वाले नियामकों की नियुक्ति शामिल है।
मंगलवार (5 नवंबर) को घोषित हुए चुनाव परिणामों के बाद ट्रंप अपेक्षाकृत मजबूत स्थिति में उभरे हैं। उनकी रिपब्लिकन पार्टी ने सीनेट का नियंत्रण हासिल कर लिया है और हाउस में भी मामूली बहुमत के करीब है।
हांगकांग के मार्केट-मेकिंग फर्म औरोस के प्रबंध निदेशक ले शी ने कहा, “ट्रंप की प्रॉ-क्रिप्टो छवि के चलते बिटकॉइन में उछाल की उम्मीद पहले से ही थी, जिसे हम अब होते देख रहे हैं।”
बिटकॉइन ने 2024 में अब तक लगभग 91 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। इस क्रिप्टोकरेंसी में तेजी की वजह अमेरिकी एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) की मजबूत मांग और फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती को माना जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के बाद बिटकॉइन ने नए रिकॉर्ड छुए हैं और इसका प्रदर्शन स्टॉक और गोल्ड जैसे निवेशों की तुलना में अधिक रहा है।
BlackRock Inc. के 35 अरब डॉलर के आईशेयर बिटकॉइन ट्रस्ट (iShares Bitcoin Trust) द्वारा संचालित ईटीएफ ने गुरुवार को रिकॉर्ड 1.4 अरब डॉलर का दैनिक नेट फ्लो दर्ज किया। एक दिन पहले, आईशेयर ईटीएफ का ट्रेडिंग वॉल्यूम अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था, जो ट्रंप की जीत के बाद क्रिप्टो में हो रहे बदलाव को दर्शाता है।
ट्रंप का रुख राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल में डिजिटल संपत्तियों पर की गई सख्ती से बिल्कुल अलग है। सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) के अध्यक्ष गैरी जेंस्लर ने इस सेक्टर को बार-बार धोखाधड़ी और कदाचार से भरा हुआ बताया था। एजेंसी ने 2022 के बाजार में आई गिरावट और एफटीएक्स जैसे घोटालों के बाद क्रिप्टो पर सख्ती बढ़ा दी थी।