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Hedge Funds: जेन स्ट्रीट की रणनीति ऑप्शन ट्रेडरों के लिए चेतावनी

Hedge Funds: जेन स्ट्रीट के आरोपों के मुताबिक उसके दो कर्मचारी जब नए नियोक्ता मिलेनियम में गए तो उन्होंने उसकी रणनीति चुरा ली।

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खुशबू तिवारी   
Last Updated- April 23, 2024 | 10:08 PM IST

अमेरिकी हेज फंड जेन स्ट्रीट की तरफ से इस्तेमाल गुप्त रणनीति से उसे पिछले साल ऑप्शन में 1 अरब डॉलर से ज्यादा की कमाई करने में मदद मिली। ऐसे ज्यादातर ट्रेड में गंवाने वालों में भारतीय खुदरा निवेशक रहे।

मैनहटन की अदालत में (जहां उसने मिलेनियम मैनेजमेंट ग्लोबल इन्वेस्टमेंट के खिलाफ मुकदमा किया है, जिसमें कहा गया है कि कथित तौर पर उसकी ट्रेडिंग रणनीति चुरा ली गई) जेन स्ट्रीट ने दावा किया है कि भारत में इस्तेमाल की गई उसकी यह रणनीति काफी फायदेमंद रही। जेन स्ट्रीट के आरोपों के मुताबिक उसके दो कर्मचारी जब नए नियोक्ता मिलेनियम में गए तो उन्होंने उसकी रणनीति चुरा ली।

भारतीय डेरिवेटिव बाजार में (जहां औसत रोजाना ट्रेडिंग वॉल्यूम महज एक साल में करीब दोगुना होकर 440 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया) अल्गोरिदमिक ट्रेड नई बात नहीं है। हालांकि जेन स्ट्रीट जैसे उदाहरण एक बार फिर इस बात को उजागर करते हैं कि उच्च जोखिम और उच्च रिटर्न के लिए ऑप्शन ट्रेड करने वाले छोटे निवेशकों के मुनाफा कमाने कितनी मुश्किल संभावनाएं होती हैं।

जेन स्ट्रीट और मिलेनियम मैनजेमेंट के अलावा कई अन्य उच्च फ्रीक्वेंसी वाले ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म मसलन ग्रेविटन, जंप ट्रेडिंग, अल्फाग्रेप, टावर कैपिटल, सिटाडेल सिक्योरिटीज आदि ने भारत में अपने अल्गो आधारित रणनीति में साख बनाई है।

ये फर्में अपने ट्रेड के लिए जटिल अल्गोरिद्म का इस्तेमाल करती हैं और ज्यादातर विशिष्ट रणनीति पर आधारित प्रोप्राइटरी ट्रेड में शामिल होती हैं। एक सेकंड के एक हिस्से की अवधि में ट्रेड की भारी मात्रा से उन्हें काफी लाभ कमाने में मदद मिलती है, भले ही हर ट्रेड पर फायदा कम ही क्यों न हो। हालांकि छोटे निवेशकों के लिए उनकी अल्गो और पहले से पारिभाषित रणनीतियां उपलब्ध है। लेकिन इनमें मुनाफे की गारंटी नहीं होतीं। ।

यूट्रेड सॉल्युशंस (अल्गो ट्रेडिंग सॉल्युशन प्रोवाइडर) के कुणाल नंदवानी ने कहा कि खुदरा ट्रेडरों कोयह समझना चाहिए कि अल्गोरिदम अल्गोरिदम या विशिष्ट रणनीति उन्हें लाभ की गारंटी नहीं देती। समस्या गलत जानकारी देकर बेचने या मार्केटिंग में छुपी है, साथ ही उन्हें लालच में फंसाकर भी ऐसा किया जाता है। कुछ के द्वारा सोशल मीडिया पर किए जाने वाले दावों के शिकार खुदरा निवेशक हो जाते हैं।

ऐंजल वन ने हालिया अर्निंग कॉल में कहा है कि उसने सुपर ऐप के डेवलपमेंट का काम हाथ में लिया है, जहां ऑप्शन रणनीति के लिए समर्पित सेक्शन होगा। नंदवानी ने कहा कि ट्रेडर बढ़ते बाजार को मौके के रूप में देखते हैं। हालांकि खुदरा ट्रेडरों के लिए अल्गो प्लेटफॉर्म अभी ठीक से विकसित नहीं हुआ है। जब तक खुदरा निवेशकों की पहुंच अल्गो आधारित रणनीति तक नहीं होती, तब तक यह बाजार खिलाड़ियों का ही रहेगा। कई अन्य बाजारों में भी मुख्य रूप से अग्रणी प्रतिभागी ही कमाई करते हैं।

सूत्रों के मुताबिक बाजार नियामक सेबी अल्गोरिदमिक आधारित ट्रेडरों के मामले में नियामकीय खामी से निपटने के लिए अतिरिक्त व्यवस्था पर विचार कर रहा है। ऐसी तकनीक का इस्तेमाल करने वाले ब्रोकरों के लिए बुनियादी दिशानिर्देश हैं, लेकिन अल्गो ट्रेड के जरिये बढ़ती वैयक्तिक भागीदारी को लेकर चिंताएं हैं।

बाजार नियामक की तरफ से वित्त वर्ष 2021-22 में हुए अध्ययन के मुताबिक करीब 90 फीसदी ऐक्टिव ट्रेडरों ने औसतन 1.25 लाख रुपये का नुकसान उठाया। ऐसे 90 फीसदी ट्रेडरों का औसत शुद्ध नुकसान लाभ कमाने वाले 10 फीसदी व्यक्तियों के मुकाबले 15 गुना से ज्यादा रहा।

First Published : April 23, 2024 | 10:08 PM IST