HDFC बैंक का शेयर सोमवार को करीब एक फीसदी टूट गया क्योंकि 2022-23 की दिसंबर तिमाही में बैंक की बढ़त की रफ्तार नरम हुई है। इसकी तुलना में बेंचमार्क एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स 0.28 फीसदी गिरकर बंद हुआ। निजी क्षेत्र के देश के सबसे बड़े बैंक के क्रेडिट की बढ़त की रफ्तार दिसंबर तिमाही में सालाना आधार पर 19.5 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 15.07 लाख करोड़ रुपये रही। हालांकि यह आंकड़ा तिमाही आधार पर महज 1.8 फीसदी ज्यादा है क्योंकि कॉरपोरेट लोनबुक की स्थिति ठीक नहीं रही।
कर्ज की श्रेणी की बात करें तो खुदरा क्षेत्र ने मुख्य रूप से इसकी अगुआई की, जिसमें सालाना आधार पर 21.5 फीसदी व तिमाही आधार पर 5 फीसदी का इजाफा हुआ। साथ वाणिज्यिक व रूरल बैंकिंग में भी सालाना आधार पर 30 फीसदी व तिमाही आधार पर 5 फीसदी का इजाफा हुआ। इस बीच, कॉरपोरेट उधारी तिमाही आधार पर 1 फीसदी कम रही जबकि सालाना आधार पर इसमें 20 फीसदी का इजाफा हुआ। बैंक ने कॉरपोरेट में उधारी के कुछ मौके त्याग दिए, जो 30 से 40 हजार करोड़ रुपये का है क्योंकि दरें ठीक नहीं थी और समकक्षों की कीमत प्रतिस्पर्धी थी।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने कहा, तिमाही आधार पर उधारी में 2 फीसदी की बढ़ोतरी बताता है कि इसे आगे बढ़ाने की दरकार है। क्रेडिट कार्ड की रफ्तार तिमाही आधार पर 1.6 फीसदी व सालाना आधार पर 13.7 फीसदी रही, जो बताता है कि उद्योग के स्तर पर क्रेडिट कार्ड पोर्टफोलियो की रफ्तार पिछड़ी है। कुल मिलाकर वित्त वर्ष 22-वित्त वर्ष 24 में लोनबुक में 22 फीसदी सालाना चक्रवृद्धि की रफ्तार हो सकती है।
इसके अलावा जमा दर में क्रमिक आधार पर 3.6 फीसदी की बढ़ोतरी, क्षेत्र की 4.2 फीसदी की बढ़त से कम है क्योंकि बैंक थोक जमा आकर्षित नहीं कर पाया, वहीं खुदरा जमाएं भी उम्मीद से कम हासिल हुई। नुवामा इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज ने कहा, हमारा मानना है कि विलय तक एचडीएफसी बैंक पर निगरानी के लिहाज से जमा आकर्षित करना अभी अहम होगा। अन्यथा विलय के बाद उसे कम बढ़ोतरी या ज्यादा थोक जमाओं पर ज्यादा भरोसा करना होगा, जिससे उसका शुद्ध ब्याज मार्जिन उम्मीद से कम रहेगा।
प्रबंधन ने चौथी तिमाही में 1 लाख करोड़ रुपये की जमाओं का अनुमान जताया है, जो तीसरी तिमाही में 67,000 करोड़ रुपये रही। इसके देखते हुए ब्रोकरेज ने वित्त वर्ष 23 व वित्त वर्ष 24 के लिए आय में मामूली कटौती की है, लेकिन वित्त वर्ष 25 की आय में 12 फीसदी की भारी-भरकम कटौती की है। नुवामा ने कहा कि अन्य बड़े बैंक मसलन आईसीआईसीआई बैंक और ऐक्सिस बैंक और यहां तक कि बैंक ऑफ बड़ौदा, एचडीएफसी बैंक के मुकाबले ज्यादा शुद्ध ब्याज मार्जिन और बेहतर परिसंपत्ति बढ़त दर्ज कर सकता है। प्रबंधन ने दोहराया है कि एचडीएफसी बैंक का मार्जिन तभी सुधरेगा जब खुदरा कर्ज के अनुपात में सुधार आएगा। अभी खुदरा की हिस्सेदारी 45 फीसदी है, जो कोविड पूर्व 55 फीसदी था।
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आंकड़े कुल मिलाकर बाजार के अनुमानों के मुताबिक रहे। परिसंपत्ति गुणवत्ता अनुपात क्रमिक आधार पर स्थिर रहे, वहीं पुनर्गठित कर्ज 42 आधार अंक कम हुआ। बेहतर प्रावधान कवरेज अनुपात और आकस्मिक देनदारी के लिए प्रावधान परिसंपत्ति गुणवत्ता को सहारा देंगे। हालांकि परिचालन खर्च सालाना आधार पर 27 फीसदी और तिमाही आधार पर 11 फीसदी बढ़ा, जो अनुमान से ज्यादा रहा। इसकी वजह ज्यादा शाखाएं खोलना और नियुक्ति में बढ़ोतरी रही।
प्रभुदास लीलाधर ने कहा, खुदरा कर्ज और आगामी विलय पर ध्यान के कारण हमें लगता है कि परिचालन खर्च ज्यादा ही रहेगा। विश्लेषकों को उम्मीद है कि मार्जिन प्रोफाइल में सुधार और विलय से संबंधित अवरोध कम होने तक शेयर धीरे-धीरे आगे बढ़ेगा।