28 जून 2024 से भारत के सरकारी बॉन्ड को जेपी मॉर्गन इमर्जिंग मार्केट बॉन्ड इंडेक्स (GBI EM) में शामिल किया जा रहा है। इससे थाईलैंड, पोलैंड और चेक गणराज्य जैसे देशों की वेटेज (इंडेक्स में हिस्सेदारी) अगले 10 महीनों में कम हो सकती है। इस तरह से, इन देशों के बॉन्ड इस इंडेक्स में पहले जितना अहम नहीं रहेंगे। यह जानकारी HSBC के विश्लेषकों ने हाल ही के एक नोट में दी।
भारत को इस इंडेक्स (GBI EM) में 10% की हिस्सेदारी देने के लिए, बाकी देशों की हिस्सेदारी कम करनी पड़ेगी। HSBC के हिमांशु मलिक (निवेश विशेषज्ञ) का कहना है कि चिंता की बात नहीं है, क्योंकि भारत को धीरे-धीरे 10 महीने में शामिल किया जाएगा, तो बाकी देशों की हिस्सेदारी में भी धीरे-धीरे ही कमी होगी।
हिमांशु मलिक ने यह भी कहा कि, “इंडेक्स में बाकी उभरते बाजारों (जिनके बॉन्ड ज्यादा मुनाफा देते हैं) के लिए वेटेज में कमी का असर कम होगा, क्योंकि उनकी बाजार हिस्सेदारी पहले से ही बड़ी है। वहीं, थाईलैंड, पोलैंड और चेक गणराज्य की वेटेज में सबसे ज्यादा कमी आने की संभावना है।”
भारत के सरकारी बॉन्डों में विदेशी निवेशकों का अच्छा रुझान देखने को मिला है। 21 सितंबर, 2023 को इस इंडेक्स में शामिल किए जाने की घोषणा के बाद से अब तक कुल $10.4 बिलियन का निवेश आया है। इसकी तुलना में, 2023 के पहले आठ महीनों में सरकारी बॉन्डों में केवल $2.4 बिलियन का ही निवेश आया था। गौर करने वाली बात ये है कि 2021 और 2022 में तो हर साल लगभग $1 बिलियन का विदेशी निवेश बाहर निकल रहा था।
हालांकि, सरकारी बॉन्डों में कुल मिलाकर अच्छा निवेश आया है, लेकिन HSBC का कहना है कि इंडेक्स में शामिल होने वाले बॉन्ड्स में विदेशी निवेश उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा है। सितंबर 2023 से अब तक इन बॉन्ड्स में केवल $8.3 बिलियन का ही निवेश आया है, जबकि इंडेक्स में शामिल नहीं हो सकने वाले चार बॉन्ड्स में कुल $10.4 बिलियन के विदेशी निवेश में से 66 प्रतिशत निवेश इन्हीं चार बॉन्ड्स में आया है।
मलिक लिखते हैं, “विदेशी निवेशकों का पैसा अभी तक उतना नहीं आया जितना उम्मीद थी। इंडेक्स में शामिल होने वाले ज्यादातर सरकारी बॉन्ड्स में अभी कम ही विदेशी निवेश आया है।” हिमांशु मलिक का कहना है कि ऐसा लगता है कि काफी सारे निवेश अभी बाकी हैं और वे मुख्य तौर पर उन सरकारी बॉन्ड्स में आएंगे जो बेंचमार्क माने जाते हैं।
भारत के सरकारी बॉन्डों का बाजार $1.3 ट्रिलियन का है, जिसमें करीब 112 तरह के बॉन्ड शामिल हैं। हालांकि, विदेशी निवेशकों को सभी बॉन्ड्स में निवेश की अनुमति नहीं है। सिर्फ कुछ खास सरकारी बॉन्ड्स में ही बिना किसी रोक-टोक के निवेश किया जा सकता है। ये बॉन्ड्स ज्यादा तरल (liquid) होते हैं और इन्हें “पूर्ण पहुंच मार्ग (FAR)” के अंतर्गत रखा जाता है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) 5, 7, 10, 14 और 30 साल की अवधि वाले नए सरकारी बॉन्ड्स को इसी FAR कैटेगरी में शामिल करता है।
HSBC के अनुसार, कुल मिलाकर $482 बिलियन के 38 ऐसे सरकारी बॉन्ड हैं जिनमें विदेशी निवेश बिना किसी रोक-टोक के किया जा सकता है। लेकिन, इंडेक्स (GBI EM) में सभी को शामिल नहीं किया जा सकता। इसमें सिर्फ वही बॉन्ड्स शामिल हो सकते हैं:
HSBC ने यह भी कहा कि विदेशी निवेश का मुख्य लक्ष्य 5, 7, 10 और 30 साल के बेंचमार्क बॉन्ड हो सकते हैं, क्योंकि इनमें विदेशी निवेश कम है, इन्हें नीलामी के माध्यम से खरीदा जा सकता है, और इंडेक्स में इनका वेटेज अन्य बॉन्डों की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक है।