सरकार ने विदेशी निवेशकों को जून 2009 तक कमोडिटी एक्सचेंजों में अपनी हिस्सेदारी घटाने को कहा है। गोल्डमैन सैक्स, फिडेलिटी इंटरनेशनल और इंटर कंटीनेंटल एक्सचेंज (आईसीई) को कमोडिटी एक्सचेंज में हिस्सेदारी घटाकर 5 प्रतिशत करने के लिए अगले साल जून तक का समय मिला है।
गोल्डमेन की नेशनल कमोडिटी और डेरिवेटिव एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) में 7 प्रतिशत की हिस्सेदारी है जबकि आईसीई की हिस्सेदारी 8 प्रतिशत है। इसी तरह मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया में फिडेलिटी की हिस्सेदारी 9 प्रतिशत है जबकि सिटीग्रुप, मेरिल लिंच, और एनवाईएसई यूरोनेक्स्ट में से प्रत्येक की 5 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
वाणिज्य मंत्रालय ने अपने एक बयान में कहा है कि एक्सचेंजों को 30 जून 2009 तक सरकार को शेयर पूंजी की संरचना के बारे में विस्तार से सूचनाएं देनी होगी और साथ में उस अवधि तक सभी एक्सचेंजों में विदेशी हिस्सेदारी घटकर 49 प्रतिशत हो जानी चाहिए। बयान में कहा गया है कि सरकार सूचना मिली है कि कुछ एक्सचेंज में विदेशी हिस्सेदारी तय सीमा से अधिक है जोकि तर्कसंगत नहीं है।
मौजूदा नियमों के अनुसार सरकार ने कमोडिटी एक्सचेंज में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 26 प्रतिशत तय की है।विदेशी संस्थागत निवेशक एक बार एक्सचेंज के सूचीबध्द हो जाने के बाद अपनी हिस्सेदारी में 23 प्रतिशत की अतिरिक्त बढ़ोतरी कर सकते हैं।
लेकिन स्टॉक एक्सचेंज जहां कि किसी भी तरह के निवेशक की हिस्सेदारी व्यक्तिगत तौर पर 5 प्रतिशत से ज्यादा की नहीं हो सकती है जबकि नेशनल कामोडिटी एक्सचेंज में भारतीय प्रवर्तक के लिए हिस्सेदारी की सीमा 40 प्रतिशत तय की गई है।वित्तीय,कमोडिटी बाजार से जुड़े संस्थानों को 20 प्रतिशत तक की हिस्सेदारी रखने की छूट दी जा सकती है जबकि विदेशी निवेशक अधिकतम 5 प्रतिशत की हिस्सेदारी रख सकते है।
एमसीएक्स को आरंभिक सार्वजनिक पेशकश लाने की छूट दी गई है। अभी कमजोर बाजार को देखते हुए अधिकांश कंपनियों ने आरंभिक सार्वजनिक पेशकश जहां टाल दिए हैं वहीं एमसीएक्स ने अपनी आईपीओ की योजना को बाजार में लाने का फैसला किया है।