ऊंची कीमतों और सोने की खरीदारी के लिए कुछ ही शुभ अवसरों की वजह से मार्च में भारत में इस कीमती धातु की मांग तेजी से घट गई। बिक्री में गिरावट इस आभूषण के लिए कम मांग की वजह से दर्ज की गई। 2022 की पहली तिमाही में कुल मांग 18 प्रतिशत तक घटकर 135.8 टन रह गई, हालांकि आभूषण मांग सालाना आधार पर 26 प्रतिशत घटकर 94.2 टन दर्ज की गई।
रुझान सोने के लिए वैश्विक मांग के विपरीत था, जहां यह सालाना आधार पर 34 प्रतिशत तक बढ़कर 1,234 टन रही, जो वर्ष 2018 की चौथी तिमाही के बाद से सर्वाधिक है। वैश्विक मांग को निवेश मांग बढऩे से मदद मिली। निवेश मांग समीक्षाधीन तिमाही में 203 प्रतिशत तक बढ़कर सालाना आधार पर 550.7 टन पर पहुंच गई।
भारत में, निवेश मांग सिर्फ 3 टन या सालाना आधार पर करीब 5 प्रतिशत तक बढ़ी, क्योंकि भारतीयों ने कीमतें बढऩे पर खरीदारी के मुकाबले पुराना सोना (आभूषण और सिक्के, दोनों) बेचना पसंद किया।
मार्च में घरेलू स्वर्ण कीमतें बढ़कर करीब 55,000 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गईं, जो जनवरी 2022 के शुरू में 49,000 रुपये के आसपास बनी हुई थीं।
इसके परिणामस्वरूप, शुद्घ आधार पर स्क्रैप की आपूर्ति (नए आभूषण के लिए पुराने सोने को बदलने के बाद) 27.8 टन थी, जो मार्च 2022 तिमाही में सालाना आधार पर 88 प्रतिशत तक की वृद्घि थी और यह 2020 की सितंबर तिमाही के बाद से सर्वाधिक है।
2022 की पहली तिमाही के स्वर्ण मांग रुझानों पर आधारित रिपोर्ट को विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) द्वारा आज जारी किया गया। इस रिपोर्ट में कहा गया है, ‘वैश्विक आभूषण खपत की रफ्तार पहली तिमाही में फीकी पड़ी, मांग सालाना आधार पर 7 प्रतिशत घटकर 474 टन रह गई। यह गिरावट काफी हद तक चीन और भारत में कमजोर मांग की वजह से आई थी।’
भारत में मांग के लिए परिदृश्य
डब्ल्यूजीसी की रिपोर्ट के अनुसार, ‘अप्रैल-जून तिमाही में मांग को त्योहारी खरीदारी (अक्षय तृतीया-3 मई और शादियों के सीजन) से मदद मिलेगी। मौजूदा उपभोक्ता धारणा में सुधार आ रहा है जो सहायक साबित हो सकती है।’