विदेशी निवेशकों की लिवाली से देसी शेयर बाजार में आज लगातार पांचवें कारोबारी दिन तेजी दर्ज की गई। मुद्रास्फीति के चरम छूकर अब घटने तथा केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक नीतियों में बहुत तेजी से सख्ती नहीं किए जाने की उम्मीद से निवेशकों का जोखिम भरी संपत्तियों में निवेश का हौसला बढ़ा है।
बेंचमार्क सेंसेक्स आज 284 अंक चढ़कर 55,682 पर बंद हुआ। बीते पांच कारोबारी सत्र में सेंसेक्स 2,266 अंक या 4.2 फीसदी चढ़ चुका है, जो मार्च के बाद से तेजी का सबसे लंबा सिलसिला है। निफ्टी भी 82 अंक बढ़कर 16,605 पर बंद हुआ। इस साल 17 जून के अपने निचले स्तर से निफ्टी करीब 9 फीसदी चढ़ चुका है।
विदेशी निवेश के प्रवाह से बाजार की तबियत भी सुधरी है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 1,800 करोड़ रुपये की लिवाली की है। एनएसडीएल के आंकड़ों के अनुसार बुधवार को विदेशी निवेशकों ने शेयर बाजार में 6,012 करोड़ रुपये का निवेश किया था। सितंबर 2021 के बाद यह पहला महीना है जब विदेशी निवेशकों ने बिकवाली के मुकाबले लिवाली अधिक की है।
अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यूआर भट्ट ने कहा, ‘माना जा रहा है कि मुद्रास्फीति का बुरा दौर अब खत्म हो चुका है। कच्चे तेल और जिंसों की कीमतों में तेजी की वजह से मुद्रास्फीति बढ़ी थी। मगर अब इनके दाम में नरमी आती दिख रही है। मुद्रास्फीति नीचे आती है तो ब्याज दरों में ज्यादा इजाफा नहीं होगा। दरें बढ़ाई तो जाएंगी मगर आक्रामक वृद्धि का डर नहीं है।’
ब्रेंट क्रूड 4 फीसदी नरम हाकर 105 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है। पिछले पांच हफ्तों में ब्रेंट क्रूड करीब 14 फीसदी नीचे आया है। कच्चे तेल के दाम में कमी देखकर केंद्र सरकार ने ईंधन पर लगाया अप्रत्याशित लाभ कर भी घटा दिया है।
सेंसेक्स में चार शेयरों को छोड़कर सब बढ़त पर बंद हुए। इंडसइंड बैंक में सबसे ज्यादा 7.8 फीसदी की तेजी देखी गई। बजाज फाइनैंस 3.3 फीसदी बढ़त पर बंद हुआ। भट्ट ने कहा, ‘बैंकिंग क्षेत्र के नतीजे अब तक अच्छे रहे हैं और फंसा कर्ज भी काबू में दिख रहा है। कर्ज की मांग भी बढ़ी है।’
देसी शेयर बाजार अमेरिकी बाजार के साथ ही बढ़ रहा है। इस महीने दोनों बाजारों में करीब 5-5 फीसदी की तेजी आई है। एसऐंडपी 500 में हालिया तेजी को देखते हुए निवेशक मान रहे हैं कि कंपनियों की आय बेहतर रहेगी और शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव का बुरा दौर अब खत्म हो जाएगा।
हालांकि दरों में बढ़ोतरी के अलावा मौद्रिक नीतियों में नरमी खत्म किया जाना, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अड़चन तथा मंदी की आशंका निवेशकों के लिए चिंता का कारण बने हुए हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण जिंसों के दाम में तेजी से भी निवेशकों का हौसला ठंडा हुआ है।
