डॉलर के मुकाबले रुपये में शुक्रवार को मजबूती आई। 20 अक्टूबर, 2021 के बाद से इसमें सबसे बड़ी एक दिवस बढ़त दर्ज हुई, क्योंकि अमेरिका के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के कमजोर आंकड़ों की वजह से इस अनुमान को बल मिला कि फेडरल रिजर्व ने अपनी दर बढ़ोतरी की रफ्तार को धीमा करेगा।
रुपया प्रति डॉलर 79.27 के भाव पर बंद हुआ, जबकि गुरुवार को यह अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 79.76 के स्तर पर बंद हुआ था। दिन के कारोबार के दौरान रुपया प्रति डॉलर 78 के स्तर के करीब आ गया और प्रति डॉलर 79.17 तक के शीर्ष स्तर तक पहुंच गया।
गुरुवार को भारत के कारोबारी समय के बाद जारी किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था वर्ष 2022 की दूसरी तिमाही के दौरान 0.9 प्रतिशत संकुचित हुई है, जो संकुचन वाली लगातार दूसरी तिमाही है। कुछ अर्थशास्त्री आर्थिक वृद्धि में लगातार दो तिमाहियों की इस गिरावट को आर्थिक मंदी के रूप में परिभाषित करते हैं। फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में 75 आधार अंकों की बढ़ोतरी किए जाने के एक दिन बाद अमेरिका के जीडीपी के आंकड़े आए हैं। इस बढ़ोतरी की वजह से वर्ष 2022 के दौरान कुल दर बढ़ोतरी 225 आधार अंक हो चुकी है। हालांकि फेड ने अमेरिका में बढ़ी हुई मुद्रास्फीति कम करने के लिए और दर बढ़ोतरी का संकेत दिया है, लेकिन धीमी आर्थिक वृद्धि के संबंध में बढ़ रही चिंताओं ने इन अटकलों को तेज कर दिया है कि आगे चलकर केंद्रीय बैंक दर वृद्धि की रफ्तार धीमी कर देगा।
फेड द्वारा दर वृद्धि की रफ्तार के संबंध में इस संशोधित दृष्टिकोण की वजह से अमेरिकी डॉलर सूचकांक में तेज गिरावट आई है, जो छह प्रमुख प्रतिस्पर्द्धी मुद्राओं की तुलना में अमेरिकी मुद्रा का आकलन करता है।
ब्लूमबर्ग के आंकड़ों से पता चलता है कि शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर सूचकांक गिरकर 105.42 के निचले स्तर पर आ गया है। इस महीने की शुरुआत में यह सूचकांक चढ़कर 20 साल के शीर्ष स्तर 108.54 पर चला गया था।