इक्विटी योजनाओं में जून माह के दौरान 240 करोड़ रुपये का शुद्घ निवेश किया गया जो पिछले चार साल में सबसे कम मासिक निवेश है। यह भी तब है, जब शेयर बाजार दौड़े जा रहे हैं और जून में सूचकांकों में करीब 7 फीसदी की तेजी आई। दिलचस्प यह है कि जून में ही गोल्ड एक्सचेंज ट्रेड फंडों में इक्विटी योजनाओं की तुलना में ज्यादा (494 करोड़ रुपये) निवेश किया गया। इससे पता चलता है कि म्युचुअल फंड निवेशक जोखिम से बचना चाह रहे हैं।
उद्योग के विशेषज्ञों का अनुमान है कि इक्विटी योजनाओं से निकासी बढऩे का कारण संस्थागत और व्यक्तिगत निवेशकों द्वारा रकम निकासी भी हो सकती है। मिरे ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी स्वरूप मोहंती ने कहा, ‘संस्थागत निवेशकों द्वारा निवेश भुनाए जाने और लार्ज-कैप तथा मल्टी-कैप फंडों से बड़ी मात्रा में निवेश निकाले जाने से शुद्घ निवेश में कमी आई है। बाजार में तेज गिरावट के बाद मजबूत वापसी के बीच आम निवेशकों द्वारा सुरक्षित निवेश का रुख किए जाने से भी इक्विटी योजनाओं पर असर पड़ा है।’ बाजार 23 मार्च के निचले स्तर से करीब 40 फीसदी चढ़ चुका है।
मल्टी-कैप फंडों से जून में 777 करोड़ रुपये निकले और लार्ज-कैप फंडों से 212 करोड़ रुपये की शुद्घ निकासी हुई। इक्विटी निवेश के लिहाज से मार्च 2016 के बाद यह महीना सबसे खराब रहा है। मार्च 2016 में इक्विटी योजनाओं से 1,370 करोड़ रुपये निकले थे। पिछले 12 महीने के औसत 7,103 करोड़ रुपये के निवेश की तुलना में जून में इक्विटी निवेश 96 फीसदी घटा है। मई की तुलना में इसमें 95 फीसदी की गिरावट आई है। जून में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) में भी मई के मुकाबले 2.4 फीसदी कम निवेश हुआ। एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी एनएस वेंकटेश के मुताबिक कोविड महामारी के कारण नकदी का प्रवाह घटने से निवेशकों ने एसआईपी से हाथ खींचे। एसआईपी की किस्तें रोकने की सुविधा का भी असर आंकड़ों पर पड़ा है।
दिलचस्प है कि मिड और स्मॉल-कैप फंडों में सकारात्मक प्रवाह दिखा है लेकिन उद्योग के भागीदारों का कहना है कि इस श्रेणी में निवेश निकासी जोर पकड़ सकती है क्योंकि कई निवेशकों का निवेश लंबे समय से इन श्रेणियों में फंसा है। हाइब्रिड योजनाओं में बैलेंस्ड हाइब्रिड फंडों से 1,740 करोड़ रुपये की निकासी देखी गई जबकि बैलेेंस्ड एडवांटेज फंड से 941 करोड़ रुपये की निकासी की गई। विशेषज्ञों ने कहा कि बैलेंस्ड हाइब्रिड से आगे और निकासी संभव है।
उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि हाल के महीने में शेयरों में सीधे निवेश करने के प्रति लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है, जिसका संकेत विभिन्न ब्रोकिंग हाउसों में नए डीमैट खातों की संख्या से पता चलता है।
डेट के मोर्चे पर कर बाध्यताओं के कारण तिमाही के अंत में लिक्विड फंडों से 44,226 करोड़ रुपये की शुद्घ निकासी हुई। अल्पावधि योजनाओं में 12,235 करोड़ रुपये और लघु अवधि योजनाओं मेें 8,323 करोड़ रुपये का शुद्घ निवेश रहा। कॉरपोरेट बॉन्ड फंड में में 10,737 करोड़ रुपये और बैंकिंग तथा पीएसयू फंडों में जून में 5,477 करोड़ रुपये का निवेश हुआ। क्रेडिट रिस्क फंडों से भी निवेश निकालने का रुझान बना रहा। जून में इन फंडों से 1,493 करोड़ रुपये की निकासी की गई।