भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने ग्राहकों को अलग करने एवं निगरानी ढांचे को लागू करने की समय सीमा को केवल दो महीने के लिए आगे बढ़ाया है। बाजार नियामक ने कहा हैकि नई व्यवस्था 2 मई से प्रभावी होगी औैर इसके तहत किसी ब्रोकर को ग्राहक स्तर पर जमानत (कोलेटरल) को अलग करना होगा।
गुरुवार को नियामक की ओर से जारी एक नोट में कहा गया है कि सेबी को विभिन्न हितधारकों से उक्त समय सीमा आगे बढ़ाने के अनुरोध प्राप्त हुए हैं। यह फैसला किया गया है कि उक्त परिपत्र के प्रावधान 2 मई, 2022 से लागू होंगे।
कारोबार करने वाले सदस्यों द्वारा ग्राहक जमानत के दुरुपयोग के उदाहरणों के बीच और कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग घोटाले, जहां ग्राहकों के शेयरों को ऋण के एवेज में जमानत के रूप में अवैध रूप से गिरवी रखा गया था, के नतीजतन नियामक यह रूपरेखा लेकर आया है। ग्राहक की जमानत को अलग करने से कारोबार करने वाले या क्लियरिंग सदस्यों द्वारा जमानत को दुरुपयोग से बचाने में मदद मिलेगी।
इस परिपत्र में प्रत्येक खंड के एवेज मे जमानत के आवंटन के संबंध में बताया गया है और इसलिए यह प्रणाली कारोबारियों और दलालों के काय करने के तरीके में अवश्य ही बदलाव लाएगी। लागू होने पर ग्राहकों को अग्रिम रूप से यह सूचित करना होगा कि वे किस खंड (नकद, डेरिवेटिव आदि) में कारोबार करना चाहते हैं।
वर्तमान में ब्रोकर सभी खंडों में संयुक्त आधार पर परिसीमा प्रदान करते हैं। कई मामलों में ग्राहक बिना नकद या इसके समकक्ष जमा के रूप में संपूर्ण स्टॉक की जमानत प्रदान करते हैं।