मंगलवार को सूचीबद्ध हुई एथर एनर्जी इलेक्ट्रिक मोटरसाइकल सेगमेंट में उतरने की तैयारी कर रही है। इस सेगमेंट में कंपनी का सीधा मुकाबला ओला इलेक्ट्रिक से होगा।
लिस्टिंग के बाद एथर एनर्जी के सह-संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी तरुण मेहता ने कहा, ‘हमने काम शुरू कर दिया है, लेकिन मैं आपको घोषणाओं के आसपास ही ज्यादा जानकारी दे सकता हूं। मुझे लगता है कि आने वाले साल में मोटरसाइकलें इलेक्ट्रिक हो जाएंगी। हम 125 सीसी से 300 सीसी आईसीई इक्विलेंट सेगमेंट में वाहन उतारने पर ध्यान दे रहे हैं।’
कंपनी को एलएफपी बैटरियों के उपयोग के लिए एआरएआई की मंजूरी भी मिल गई है। इसका इस्तेमाल उसके दोपहिया वाहनों में किया जाएगा। मेहता का कहना है कि इससे लागत और कम करने में मदद मिलेगी। इस समय इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन लिथियम आयन बैटरी पर चलते हैं।
मेहता ने एक लाख रुपये से कम कीमत वाले सेगमेंट (जिसमें उसके कई प्रतिस्पर्धियों ने बाजार भागीदारी हासिल कर रखी है) में उतरने से इनकार करते हुए कहा, ‘दोपहिया अपग्रेडिंग के दौर से गुजर रहा है। 1 लाख रुपये से अधिक कीमत के 125सीसी स्कूटरों की भागीदारी 20 फीसदी से बढ़कर 50 फीसदी पर पहुंच गई है। इसलिए, हमें नहीं लगता कि 70-80 हजार के बाजार में जाना समझदारी होगी, क्योंकि 1 लाख से कम वाले सेगमेंट में मार्जिन बहुत कम है। हमारे उद्योग में ‘सस्ते की रणनीति’ कारगर नहीं हुई है।’
एथर का कहना है कि 1 लाख रुपये से अधिक के बाजार में काफी संभावनाएं हैं। मेहता ने कहा, ‘हमने 1.4-1.5 लाख रुपये के स्कूटर से शुरुआत की थी। लेकिन रिज्टा के साथ अब हम 1.1 लाख रुपये के स्कूटर पर हैं। स्कूटर बाजार भी उपयोग के आधार पर विभाजित हो रहा है। हमारे पास पहले फैमिली स्कूटर था, फिर पावर स्कूटर, अब हमारे पास मैक्सी स्कूटर और स्पोर्ट्स स्कूटर हैं।’
उनका मुख्य ध्यान निश्चित रूप से अपने वितरण का विस्तार करने पर है। मेहता कहते हैं कि इस तथ्य के बावजूद कि उनका वितरण प्रतिस्पर्धियों का एक-तिहाई है, वे पिछले महीने लगभग 15 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी हासिल करने में सफल रहे हैं। अब उनका लक्ष्य उन 100 शहरों में जाना है जहां उनके प्रतिस्पर्धी हैं। लेकिन उसकी वितरण पैठ नहीं है और वह अपने प्रतिद्वंद्वियों के मुकाबले छोटे से हिस्से में पहुंच पाता है।
हालांकि एथर इस बात से चिंतित नहीं है कि वह इलेक्ट्रिक दोपहिया निर्माताओं के लिए पीएलआई योजना की पात्र नहीं है जबकि ओला, बजाज और टीवीएस जैसी उसकी प्रतिस्पर्धी कंपनियां इस योजना के लिए पात्र हैं। इस वजह से एथर के मार्जिन और मुनाफे पर दबाव आ सकता है। मेहता का कहना है, ‘पीएलआई से लंबे समय में बाधा का जोखिम है क्योंकि यह कुछ वर्षों की रणनीति है और एक बार जब वाहन इसके आदी हो जाते हैं तो इसे छोड़ना बहुत मुश्किल होता है। हम पीएलआई की मदद के बगैर 19 फीसदी सकल मार्जिन ले रहे हैं और इससे हमारा बिजनेस मॉडल मजबूत बनता है। जब पीएलआई खत्म हो जाएगी तो एथर की मूल्य निर्धारण रणनीति सबसे अधिक मजबूत होगी क्योंकि हम पर इसका असर नहीं पड़ेगा। लेकिन इससे (पीएलआई संबंधित छूट खत्म होने से) अन्य कंपनियों के मार्जिन में गिरावट आएगी जो व्यवसाय और ग्राहकों के लिए नकारात्मक है।’