बैंक ऑफ बड़ौदा का मानना है कि भारत में कंपनियों द्वारा बाह्य वाणिज्यिक उधारी (ईसीबी) के जरिये वैश्विक कोष उगाही सख्त मौद्रिक नीति और रुपये में तेज गिरावट की वजह से आगामी महीनों में कमजोर पड़ेगी।
ईसीबी सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों समेत विभिन्न कंपनियों के लिए वित्त की मुख्य स्रोत के तौर पर उभरी है। आरबीआई के आंकड़े से पता चलता है कि मार्च 2022 में समाप्त वर्ष में ईसीबी मंजूरियां वित्त वर्ष 2021 के 34.8 अरब डॉलर से बढ़कर 38.2 अरब डॉलर पर पहुंच गईं।
ईसीबी विकल्प के इस्तेमाल में इस वृद्घि को कम वैश्विक ब्याज दरों की वजह से उनके सापेक्ष लागत लाभ से मदद मिली थी। इससे देश की ऋण मांग को भी मदद मिली।
हालांकि वैश्विक ब्याज दरें बढ़ रही हैं, जिससे ईसीबी प्रवाह का आकर्षण प्रभावित हो सकता है। इसके अलावा भारतीय मुद्रा में ताजा गिरावट से भी इस साल ईसीबी प्रवाह पर दबाव पड़ेगा।