प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
म्युचुअल फंडों की अगुआई में घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने भारतीय शेयरों में अभी तक का सबसे अधिक निवेश किया है। पिछले 12 महीनों, जो पिछले 250 कारोबारी सत्रों के बराबर है, में घरेलू संस्थागत निवेशकों ने देसी शेयरों में 7.1 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है। यह अभी तक का घरेलू संस्थागत निवेशकों का देसी शेयरों में सर्वाधिक निवेश है। इक्विटी में कुल निवेश में से म्युचुअल फंडों की हिस्सेदारी लगभग तीन-चौथाई या 5.3 लाख करोड़ रुपये रही।
निवेश में उछाल मुख्य रूप से इक्विटी म्युचुअल फंड योजनाओं में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) की बढ़ती लोकप्रियता की बदौलत आई है। एसआईपी लगातार घरेलू निवेश प्रवाह के एक प्रमुख चालक के रूप में उभरा है। परिवार अपनी बचत का ज्यादा हिस्सा शेयरों में लगा रहे हैं, वहीं घरेलू संस्थागत निवेशक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के कारण बाजार में होने वाली अस्थिरता को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
इस साल जुलाई से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने देसी शेयरों से 40,000 करोड़ रुपये की निकासी की है। मगर इतनी भारी बिकवाली के प्रभाव को घरेलू संस्थागत निवेशकों के मजबूत निवेश ने कम कर दिया है। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के अनुसार विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की बिकवाली की तुलना में घरेलू संस्थागत निवेशकों ने ज्यादा लिवाली की, जिससे बाजार में भारी गिरावट नहीं आई। पहले एफपीआई की निरंतर भारी बिकवाली से बाजार में भारी उठापटक देखी जाती थी।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज में इक्विटी रणनीतिकार विनोद कार्की ने एक नोट में कहा, ‘एफपीआई की बिकवाली के मुकाबले डीआईआई द्वारा की जा रही भारी खरीदारी बीते समय में देखे गए किसी भी अन्य उदाहरण की तुलना में बहुत अधिक है।’
हालांकि घरेलू समर्थन के बावजूद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की ओर से की जा रही लगातार बिकवाली ने बाजार के प्रदर्शन पर असर डाला है। पिछले 12 महीनों में लार्ज, मिड और स्मॉलकैप सेगमेंट में प्रमुख सूचकांकों ने स्थिर से ऋणात्मक रिटर्न दिया है।
दिलचस्प बात यह है कि जुलाई में विदशी पोर्टफोलियो निवेशकों की बिकवाली से पहले, घरेलू संस्थागत निवेशक और एफपीआई दोनों ही अप्रैल-जून तिमाही के दौरान शुद्ध खरीदार थे। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने उल्लेख किया है कि इस दौरान प्रवर्तकों, व्यक्तिगत निवेशकों (स्मॉलकैप को छोड़कर) और कुछ प्रत्यक्ष विदेशी निवेशकों की बिकवाली की भरपाई इन खरीद के जरिये व्यापक तौर पर की गई।