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रुपये में शुक्रवार को आई तेजी के बाद, सोमवार को यह फिर गिरकर 89.72 प्रति डॉलर के स्तर तक पहुंच गया जबकि इसका पिछला बंद भाव 89.30 प्रति डॉलर था। यह गिरावट गैर-वितरण योग्य वायदा (एनडीएफ) बाजार यानी में डॉलर की मजबूत बोली के कारण हुई। हालांकि, बाद में रुपये ने कुछ सुधार दर्ज किया और बाद में यह 89.65 प्रति डॉलर पर बंद हुआ।
शुक्रवार को जो अचानक बड़ा बदलाव आया, उससे पता चलता है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपना तरीका बदल दिया है। डीलरों ने बताया कि आरबीआई ने रुपये को व्यापक तौर पर दोनों दिशाओं में (ऊपर और नीचे) जाने की गुंजाइश दी है। उन्होंने यह भी कहा कि रुपये में नाटकीय तरीके से अचानक भारी गिरावट आई और यह बिना किसी सुधार के लगभग 88 से 91 तक गिर गया था और इस बदलाव से आयातकों और निर्यातकों दोनों के लिए अब एक समान अवसर मिल गया है।
अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर मुहर लगाने में हो रही देरी और विदेशी पूंजी की निकासी जैसे कारकों के चलते पिछले सप्ताह रुपये में भारी कमजोरी आई और यह 91 प्रति डॉलर के स्तर को पार कर गया। एक बेहद अस्थिरता वाले सप्ताह के दौरान रुपये ने लगातार चार सत्रों में नए निचले स्तर को छुआ और इसके बाद रुपया सप्ताह के अंत में डॉलर के मुकाबले लगभग 1.3 प्रतिशत मजबूत हुआ।