ऐक्सिस ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) में मुख्य निवेश अधिकारी आशिष गुप्ता ने मुंबई में अभिषेक कुमार को इंटरव्यू में बताया कि बजट को लेकर सरकार पहले के मुकाबले ज्यादा लचीली स्थिति में है। गुप्ता ने पूंजीगत खर्च की मौजूदा रफ्तार को बनाए रखने के फायदे पर जोर दिया। बातचीत के मुख्य अंश:
-अब चुनाव समाप्त हो गए हैं। आप बाजार के बारे में क्या कहेंगे?
चुनावी अनिश्चितता चर्चा का मुख्य विषय होने के बावजूद इसने बाजार के प्रदर्शन को बहुत अधिक प्रभावित नहीं किया। बाजार में तेजी जारी है। हालांकि जिस रुझान में बदलाव देखा जा सकता है, वह है हाल के महीनों में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की बिकवाली। यदि अमेरिकी प्रतिफल में नरमी बनी रहती है तो भारत समेत उभरते बाजारों को इसका लाभ मिलेगा।
मौजूदा समय में प्रमुख वैश्विक सूचकांकों की तुलना में एफआईआई का भारत पर 100 अरब डॉलर का कम भार होने का अनुमान है। भारत की अब एमएससीआई इमर्जिंग मार्केट्स इंडेक्स में लगभग 19 प्रतिशत और एमएससीआई वर्ल्ड एक्स यूएसए इंडेक्स में 4 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी है। इस बीच, घरेलू निवेश प्रवाह स्थिर बना हुआ है। इस प्रकार तरलता के दृष्टिकोण से बाजार अच्छी स्थिति में है।
-बजट से आपको क्या उम्मीदें हैं? क्या आप बजट के हिसाब से अपना पोर्टफोलियो बना रहे हैं?
हम फिलहाल ‘इंतजार करो और देखो’ रणनीति अपना रहे हैं। एक सकारात्मक पहलू यह है कि इस बार सरकार पहले के मुकाबले ज्यादा सहज स्थिति में है। राजस्व में मजबूत तेजी आई है। हाल के वर्षों में कर-सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अनुपात में लगभग 150 आधार अंक का सुधार हुआ है। इस साल अकेले भारतीय रिजर्व बैंक का लाभांश जीडीपी के 2 प्रतिशत से ज्यादा रहा। लिहाजा, सरकार 4.5 प्रतिशत राजकोषीय घाटे के लक्ष्य से भटके बिना खर्च बढ़ा सकती है।
-मूल्यांकन के लिहाज से आप लार्जकैप, स्मॉलकैप और मिडकैप को किस नजरिये से देख रहे हैं?
सभी क्षेत्रों और बाजार पूंजीकरण में मूल्यांकन काफी आकर्षक है। चुनौती इस तथ्य से है कि बुनियादी आधार पर मजबूत कई कंपनियां 30 गुना से अधिक के पीई पर कारोबार कर रही हैं। 100 से ज्यादा कंपनियां अब 50 गुना के पीई मल्टीपल को भी पार कर गई हैं। लार्जकैप के मुकाबले स्मॉलकैप और मिडकैप का प्रीमियम तेजी से बढ़ा है।
यह मुख्य तौर पर स्मॉल एवं मिडकैप सेगमेंटों में उद्योग, रियल एस्टेट, पूंजीगत वस्तु और रक्षा जैसे क्षेत्रों की उच्च वृद्धि वाली कंपनियों की मौजूदगी बढ़ने से हुआ है। इसके विपरीत लार्जकैप सेगमेंट में मुख्य रूप से सूचना प्रौद्योगिकी सेवा, कुछ व्यावसायिक समूह और एफएमसीजी शामिल हैं, जिनकी आय में तुलनात्मक रुप से उतनी वृद्धि नहीं हो रही है।
-क्या आपको लगता है कि ऊंचा मूल्यांकन बरकरार रहेगा? क्या आपको किसी तरह की समस्या की आशंका है?
भारत के आर्थिक बुनियादी आधार मजबूत है और आर्थिक वृद्धि की संभावना अच्छी दिख रही है। यही वजह है कि हम पूरी तरह निवेश से जुड़े हुए हैं। जब तक सरकार व्यापक आर्थिक स्थिरता पर अपना रुख बनाए रखेगी, आर्थिक आधार मजबूत रहेगा। बढ़ती जिंस कीमतों की वजह से कुछ निराशा देखी जा सकती है हालांकि इसे लेकर फिलहाल ज्यादा चिंता नहीं है।
-आप पिछले एक साल से ऐक्सिस एएमसी में निवेश टीम का नेतृत्व कर रहे हैं। आपने क्या बदलाव किए हैं?
हमने अपनी वृद्धि-केंद्रित रणनीति के साथ कोई समझौता किए बगैर इक्विटी पोर्टफोलियो में नवाचार पर जोर दिया है। इसे दो तरीकों से हासिल किया है। अब हमारे पास 10 फंड मैनेजर हैं जो 23 इक्विटी और हाइब्रिड योजनाओं का प्रबंधन करते हैं। पहले केवल चार थे जिससे विभिन्न योजनाओं में काफी समानता दिखती थी।
साथ ही, विश्लेषकों की हमारी टीम बढ़ी है। हमारे कवरेज का दायरा भी 300 शेयरों से बढ़कर 400 हुआ है। हमने अपने इक्विटी पोर्टफोलियो पर ज्यादा शेयरों को कम करने के लिए कदम उठाए हैं। शीर्ष 10 शेयर अब कुल इक्विटी परिसंपत्तियों का लगभग 10 प्रतिशत हैं जो पहले के 17-18 प्रतिशत से कम है।
-2024 के शुरू में बदलाव की उम्मीदों के बावजूद ‘ग्रोथ’ वाला तरीका ‘वैल्यू’ से पिछड़ रहा है। क्या यह चिंताजनक है?
ग्रोथ निवेश रणनीति पहले ही प्रभावी साबित हुई है। यह समझना जरूरी है कि वृद्धि के वाहक विकसित हुए हैं क्योंकि हाल के वर्षों में अर्थव्यवस्था में बदलाव आया है। 2015 से 2021 की अवधि के विपरीत (जब वृद्धि विशिष्ट क्षेत्रों और कंपनियों तक ही सीमित थी) आज का विकास अधिक व्यापक है, जो वित्त से लेकर वाहन और बिजली, सभी क्षेत्रों में फैला हुआ है।