पिछले कुछ हफ्तों में अर्थव्यवस्था में तेजी से हुए सुधार और कोविड के घटते मामलों को देखते हुए क्रेडिट सुइस ने एशिया प्रशांत मॉडल पोर्टफोलियो में भारत को लेकर अपना रुख बदलकर ओवरवेट कर दिया है। उसका मानना है कि साइक्लिकल और महामारी के सापेक्ष भारत काफी बेहतर स्थिति में है।
16 फरवरी के नोट में क्रेडिट सुइस के उप-प्रमुख (इक्विटी रणनीतिकार-एशिया प्रशांत) डी. फिनमैन ने कहा है, भारत में महामारी तेजी से फैली थी लेकिन संक्रमण में नाटकीय रूप से गिरावट आई है, जिसकी वजह शायद कुछ इलाकों में हर्ड इम्युनिटी में मिली कामयाबी है। इलाके में प्रति शेयर आय की रफ्तार सबसे मजबूत है। इसका क्रेडिट साइकल अन्य एपीएसी बाजारों में शायद पहले के चरण में आ गया है। दरों में कटौती की गुंजाइश ज्यादा है।
एशिया प्रशांत में (जापान को छोड़कर) क्रेडिट सुइस का कोविड के दूसरे चरण में सुधार वाले बाजारों मसलन कोरिया, जापान, भारत, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर और हॉन्ग-कॉन्ग के प्रति ज्यादा झुकाव है जबकि शुरुआती सुधार वाले बाजारों (चीन व ताइवान) और आसियान में देर से सुधरने वाले बाजारोंं से दूर हो गई है। अन्य इलाकों की बात करें तो क्रेडिट सुइस ने चीन को एपीएसी पोर्टफोलियो में ओवरवेट से मार्केट वेट कर दिया है क्योंंकि उसका मानना है कि सुधार की सबसे ज्यादा उत्साहजनक अवधि बीत चुकी है।
फिनमैन ने लिखा है, भविष्य में जीडीपी में बढ़त, इलाके के मुकाबले नकारात्मक ईपीएस रफ्तार आदि को लेकर चीन में सीमित संभावना है। हमने थाइलैंड को भी ओवरवेट से घटाकर मार्केट वेट कर दिया है। भारत को लेकर रुख में हुआ बदलाव मार्च 2020 के निचले स्तर से इक्विटी में तेज सुधार के बावजूद देखने को मिला है। तब से एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स और निफ्टी-50 में करीब 96-96 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई है। मिडकैप व स्मॉलकैप में और तेजी आई है और दोनों सूचकांकों में इस दौरान बीएसई पर क्रमश: 104 फीसदी व 121 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई है।
क्रेडिट सुइस का मानना है कि विकसित बाजारों में महंगाई बढ़ेगी और खास तौर से ऑस्ट्रेलिया को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में बढ़ोतरी का फायदा एपीएसी में सबसे ज्यादा होगा। ब्रोकरेज हाउस ने कहा है, भारत में आय की रफ्तार मौजूद है। वास्तविक प्रभावी विनिमय दर के आधार पर इसकी मुद्रा इलाके में सबसे सस्ती है।
तेज हो रही रफ्तार
इस बीच, अर्थव्यवस्था में उम्मीद से पहले सुधार दिख रहा है। नोमूरा इंडिया बिजनेस रिजम्पशन इंडेक्स (महामारी के दौरान किसी देश की आर्थिक गतिविधियों को ट्रैक करने के लिए ब्रोकरेज हाउस इसका इस्तेमाल करते हैं) बढ़कर 14 फरवरी के हफ्ते में 98.1 पर पहुंच गया है, जो इससे पहले के हफ्ते में 95.9 फीसदी था, जो बताता है कि आर्थिक गतिविधियां अब महामारी के पूर्व के स्तर से महज 2 फीसदी कम है।
बोफा ने ऐसा ही संकेतक इस्तेमाल किया है। बोफा इंडिया एक्टिविटी इंडिकेटर दिसंबर में 1.7 फीसदी बढ़ा, जो नवंबर और अक्टूबर 2020 में क्रमश: 0.6 फीसदी व 0.8 फीसदी घटा था। दिसंबर तिमाही में इसमें 0.1 फीसदी की बढ़त हुई, लेकिन सितंबर तिमाही के 4.5 फीसदी व जून तिमाही के 20.7 फीसदी के मुकाबले इसमें काफी सुधार हुआ।