चीन एमएससीआई इमर्जिंग मार्केट इन्वेस्टेबल मार्केट इंडेक्स (एमएससीआई ईएम आईएमआई) में लगातार दो महीनों से शीर्ष पर बना हुआ है। अगस्त में भारत ने उससे यह तमगा छीन लिया था। लेकिन अब चीन की स्थिति फिर से मजबूत हुई है। अक्टूबर के अंत में ईएम के मुख्य मानक में चीन का भारांक 24.72 प्रतिशत पर था जो अगस्त के अंत के 21.58 प्रतिशत के मुकाबले अधिक है।
इस दौरान भारत का भारांक 22.27 प्रतिशत से घटकर 20.42 प्रतिशत रह गया है। क्रम में यह बदलाव चीनी शेयरों में बड़ी उछाल के बीच आया है। चीन ने अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए आक्रामक प्रोत्साहन उपायों की घोषणा की है। इस बीच रिकॉर्ड विदेशी बिकवाली के साथ साथ आय को लेकर निराशा से भी भारत को लेकर उम्मीदें कुछ कम हुई हैं। सितंबर के निचले स्तर से, शांघाई कम्पोजिट इंडेक्स 25 प्रतिशत से ज्यादा चढ़ा है जबकि भारत का सेंसेक्स सितंबर की अपनी ऊंचाई से 8 प्रतिशत गिरा है।
अगर हम एमएससीआई ऑल कंट्री वर्ल्ड आईएमआई (एसीडब्ल्यूआई आईएमआई) सूचकांक की बात करें तो चीन ने इसमें भी अपना पांचवां स्थान फिर से हासिल कर लिया है। अगस्त में वह फ्रांस और भारत से पीछे रहते हुए फिसलकर सातवें पायदान पर आ गया था। इस सूचकांक में अक्टूबर के अंत में चीन का भारांक 2.67 प्रतिशत था जो अगस्त के आखिर में 2.24 प्रतिशत रह गया था। भारत और फ्रांस इस सूचकांक में छठे और सातवें पायदान पर हैं।
एमएससीआई ईएम आईएमआई और एमएससीआई एसीडब्ल्यूआई आईएमआई दोनों सूचकांकों में अगस्त में भारत के चीन से आगे निकलने को बड़ी घटना माना जा रहा था क्योंकि चीन के बाजार भारत के मुकाबले आधे से भी कम मूल्यांकन पर उपलब्ध हैं। मानक ईएम पैमाने पर आईएमआई सूचकांक में भी लार्जकैप, मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों के शेयर होते हैं जबकि स्टैंडर्ड इंडेक्स लार्जकैप और मिडकैप तक सीमित है।
एमएससीआई ईएम आईएमआई सूचकांक को मानक एमएससीआई ईएम सूचकांक की तुलना में काफी कम प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियों (एयूएम) वाले पैसिव फंड ट्रैक करते हैं। एमएससीआई ईएम सूचकांक का एयूएम लगभग 500 अरब डॉलर है जबकि एमएससीआई ईएम आईएमआई का एयूएम बहुत कम है।
एमएससीआई ईएम सूचकांक में चीन का भारांक भारत के 18.84 प्रतिशत की तुलना में काफी अधिक 27.38 प्रतिशत है। दिलचस्प यह है कि अक्टूबर के अंत में ताइवान 19.05 प्रतिशत भारांक के साथ मुख्य सूचकांक में भारत से आगे निकल गया। इस समय भारत का कुल बाजार पूंजीकरण 5.27 लाख करोड़ डॉलर है जबकि चीन का आंकड़ा 12 लाख करोड़ डॉलर का है।
एमएससीआई जैसे वैश्विक सूचकांक प्रदाता उस बाजार पूंजीकरण को ध्यान में रखते हैं जो गैर-प्रवर्तकों के पास होता है और कारोबार के लिए स्वतंत्र रूप से उपलब्ध होता है। इसके अलावा भारांक निर्धारण के समय विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के लिए निवेश की गुंजाइश पर भी विचार किया जाता है।