विश्लेषकों का कहना है कि न्यू टैरिफ ऑर्डर (NTO 2.0) में संशोधन के साथ साथ क्षेत्र में समेकन से प्रसारण कंपनियों के शेयरों को अल्पावधि में तेज रफ्तार बनाने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा, चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही से विज्ञापन खर्च में संभावित सुधार आने, कई विज्ञापनदाताओं के लिए लागत में नरमी आने से भी आगामी तिमाहियों में वित्तीय मदद मिलने की संभावना है।
एसीई इक्विटी के आंकड़े से पता चलता है कि पिछले 6 महीनों के दौरान, एनएसई पर निफ्टी मीडिया सूचकांक 12 प्रतिशत चढ़ा है। तुलनात्मक तौर पर, निफ्टी-50 में समान अवधि केदौरान 17.35 प्रतिशत की तेजी आई। न्यू डेल्ही टेलीविजन (NDTV), डिश टीवी, सन टीवी नेटवर्क और जी एंटरटेनमेंट ने 18.7 प्रतिशत और 93 प्रतिशत के बीच तेजी के साथ प्रमुख सूचकांकों को मात दी।
एलकेपी सिक्योरिटीज में इस सेक्टर पर नजर रखने वाले वरिष्ठ शोध विश्लेषक अश्विन पाटिल ने कहा, ‘मीडिया शेयरों में तेजी आई है, क्योंकि जी-सोनी विलय अपने अंतिम चरण के नजदीक है। विलय से गठित कंपनी मीडिया क्षेत्र की दिग्गज होगी और व्यूअरशिप बाजार भागीदारी के संदर्भ में उसका करीब 30 प्रतिशत नियंत्रण होगा।’
उन्होंने कहा कि तेजी की संभावना अल्पावधि में ज्यादा दिख रही है, क्योंकि गौतम अदाणी ने एनडीटीवी के अधिग्रहण के साथ इस क्षेत्र में दस्तक दी है। रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष मुकेश अबानी डेन नेटवर्क्स, टीवी 18 ब्रॉडकास्ट, हैथवे केबल ऐंड डेटाकॉम और नेटवर्क18 मीडिया (वायाकॉम18 स्टूडियो की पैतृक) में नियंत्रण पहले ही हासिल कर चुके हैं।
ओवर-द-टॉप (OTT) प्लेटफॉर्मों के जरिये बढ़ते कंटेंट, लागत वृद्धि के साथ साथ महामारी के वर्षों के दौरान विज्ञापन राजस्व में कमजोरी की वजह से इस क्षेत्र में समेकन को बढ़ावा मिला है। विश्लेषकों का कहना है कि इससे कंपनियों को अपनी राजस्व भागीदारी सुरक्षित बनाने में मदद मिलेगी।
सैमको सिक्योरिटीज में शोध विश्लेषक उर्मी शाह के अनुसार, इस क्षेत्र में नए विलय एवं अधिग्रहणों को नए बाजारों में वृद्धि एवं विस्तार के लिए जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि अच्छी पैठ वाली कंपनियां मूल कंटेंट को प्रोत्साहित कर सकती हैं और दूसरों से अलग कंटेंट पेश करने की दौड़ का नेतृत्व कर सकती हैं।
इलारा कैपिटल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष करण तौरानी का कहना है कि पारंपरिक और डिजिटल स्ट्रीमिंग सेवाओं से जुड़ी प्रसारण कंपनियों में समेकन से दीर्घावधि में उनकी रेटिंग सुधार को बढ़ावा मिलेगा। इस बीच, नियामकीय मोर्चे पर भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने एनटीओ 2.0 में संशोधन किया है। उसने बुके चैनलों पर कीमत सीमा 12 रुपये प्रति महीने से बदलकर 19 रुपये प्रति महीने की है और प्रसारकों को 45 प्रतिशत तक की छूट देने की अनुमति दी है, जो पहले 33 प्रतिशत प्रस्तावित थी। विश्लेषकों का मानना है कि चैनलों पर कीमत सीमा में संशोधन से सदस्यता राजस्व अनुमानों से जुड़ा जोखिम कम हुआ है, और सदस्यता वृद्धि के मुकाबले कीमत वृद्धि को संतुलित बनाने की संभावना बढ़ी है।
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ज्यादातर समेकन हो चुका है और विश्लेषकों ने निवेशकों को उन कंपनियों पर ध्यान देने का सुझाव दिया है जो कंटेंट की विविधता के साथ अपने व्यवसाय को बढ़ा रही हैं। एलकेपी सिक्योरिटीज के पाटिल ने कहा है कि जी और सन टीवी दीर्घावधि के लिहाज से मौजूदा स्तरों पर आकर्षक दिख रहे हैं।