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कैपिटल गेन टैक्स में बदलाव के ठंडे बस्ते में पड़ने के आसार

Published by
श्रीमी चौधरी
Last Updated- February 07, 2023 | 7:33 PM IST

वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार द्वारा कैपिटल गेन टैक्स प्रणाली में बदलाव के प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाले जाने की संभावना है, क्योंकि ऐसे कदम से वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच बाजार धारणा प्रभावित हो सकती है।

एक अधिकारी ने कहा, ‘यह एक जटिल प्रणाली है और बाजार तथा व्यवसाय, दोनों पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ेगा। इसके अलावा, इक्विटी शेयरों पर लांग टर्म कैपिटल गेन में बदलाव को महज कुछ समय हुआ है।’

हालांकि कुछ जटिलताओं को ध्यान में रखते हुए सरकार ने बजट में इस पर जोर नहीं दिया। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि बजट के बाद भी इस पर ध्यान नहीं दिया जा सकता है।

अधिकारी ने कहा, ‘संपूर्ण व्यवस्था की समीक्षा करते वक्त कई बातों पर ध्यान दिए जाने की जरूरत होगी, क्योंकि यह कई परिसंपत्ति वर्गों से जुड़ी हुई है। हर किसी को बदलावों पर ध्यान देना होगा, जो मौजूदा समय में आकर्षक दिख रहे हैं।’

मौजूदा समय में एक साल से अधिक पुरानी इक्विटी पर लांग टर्म कैपिटल गेन (lTCG) 10 प्रतिशत कर दायरे में आता है और 1 लाख रुपये की लाभ सीमा पर कर लगता है। इसे 1 अप्रैल 2019 से प्रभावी किया गया था। एक साल से कम अवधि की सूचीबद्ध इक्विटी पर शार्ट टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स 15 प्रतिशत है।

नांगिया एंडरसन इंडिया में पार्टनर नीरज अग्रवाल ने कहा, ‘टैक्स प्रणाली में बदलाव से उद्योग और बाजार प्रभावित होंगे। व्यापक प्रभाव को ध्यान में रखते हुए सरकार का फिलहाल इंतजार करना चाहेगी। कर प्रणाली को सामान्य बनाने के लिए ढांचे में बदलाव लाने की जरूरत होगी, जो ऐसे समय में संभव नहीं हो सकता है जब कई तरह की अनिश्चितताएं मौजूद हैं।’

अग्रवाल ने कहा, ‘चूंकि कर प्रणाली बेहद जटिल है, इसलिए इसे सामान्य बनाने की जरूरत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। हालांकि सरकार आगामी चुनाव को ध्यान में रखते हुए कोई बड़ा संशोधन करना नहीं चाहेगी।’

पूंजीगत लाभ कर व्यवस्था में यह सुनिश्चित करने के लिए होल्डिंग अवधि सुनिश्चित की गई है कि किसी परिसंपत्ति को बेचने से हुआ लाभ अल्पावधि है या दीर्घावधि।

ईवाई इंडिया में वरिष्ठ कर पार्टनर सुधीर कपाडिया ने कहा, ‘हाल के वर्षों में, पूंजीगत लाभ कर व्यवस्था अलग अलग दरों और विभिन्न परिसंपत्तियों में निवेश अवधियों के साथ बेहद जटिल बन गई है। यदि निवेश बरकरार रखने की अवधियों और दरों में बदलाव लाया जाए तो यह निवेशकों के लिए फायदेमंद होगा, जिससे कि निवेश पर निर्णय कर निर्धारण के बजाय योग्यता के आधार पर लिया जा सके।’

24 महीने पुरानी भूमि, इमारत, और मकान समेत अचल परिसंपत्तियों को दीर्घावधि परिसंपत्तियों के तहत श्रेणीबद्ध किया गया है। डेट-आधारित म्युचुअल फंडों या आभूषण को तीन साल पुराने होने पर दीर्घावधि परिसंपत्तियों के दायरे में रखा गया है। एक साल से कम पुरानी सूचीबद्ध इक्विटी पर अल्पावधि पूंजीगत लाभ 15 प्रतिशत कर दायरे में आता है।

First Published : February 7, 2023 | 7:33 PM IST