बाजार विश्लेषकों को भारतीय इक्विटी बाजारों के लिए आने वाले कुछ दिनों में कारोबार उतार-चढ़ाव वाला रहने का अनुमान है। हालांकि उनका मानना है कि गिरावट के बाद नए निवेशकों द्वारा खरीदारी की संभावना की वजह से बाजार में फिर से तेजी आएगी। विश्लेषकों ने कहा है कि दुनियाभर में इक्विटी बाजार अमेरिकी फेडरल रिजर्व की रिपोर्ट के बाद से दबाव में हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि उसके कई अधिकारी इसे लेकर सहमत हुए हैं कि वे इस साल के अंत में बॉन्ड खरीदारी की रफ्तार में नरमी शुरू कर सकते हैं।
फेडरल रिजर्व को लेकर ये चिंताएं ऐसे समय में आई हैं जब वैश्विक आर्थिक वृद्घि पर डेल्टा वैरिएंट का खतरा मंडरा रहा है। विश्लेषकों ने कहा कि निवेशक इसे लेकर चिंतित हैं कि क्या वायरस के प्रसार के बीच अर्थव्यवस्थाएं और वित्तीय बाजार मौद्रिक सहायता घटने से प्रभावित होंगे।
बॉन्ड प्रतिफल में कमी आई है, क्योंकि निवेशकों ने सुरक्षित परिसंपत्ति पर ध्यान दिया है। अमेरिकी 10 वर्षीय बॉन्ड प्रतिफल 1.24 प्रतिशत पर कारोबार कर रहा था, जो करीब दो सप्ताह में उसका निचला स्तर है। वहीं कच्चा तेल 66.18 डॉलर पर कारोबार कर रहा था, जो तीन महीने में सबसे निचला स्तर है।
तथ्य यह है कि फेड द्वारा वित्तीय सहायता में नरमी लाने से जुड़ी चिंताएं ऐसे समय में सामने आई हैं, जब शेयर शेयर ऊंचे मूल्यांकन पर कारोबार कर रहे हैं। भारत में घरेलू रुझान अब तक बहुत ज्यादा उत्साहजनक नहीं हैं।
वेलेंटिस एडवायजर्स के संस्थापक ज्योतिरावद्र्घन जयपुरिया ने कहा, ‘यह अच्छी खबर नहीं है और बाजार अल्पावधि में अस्थिर रह सकते हैं। बाजार तेजी से बढ़ा था और अब इसमें गिरावट के आसार दिख रहे हैं। हमने लंबे समय से 10 प्रतिशत की गिरावट दर्ज नहीं की थी। यह हर साल होता है, और यह बाजारों के लिए अच्छा है।’
हालांकि विश्लेषक इसे लेकर आश्वस्त दिख रहे हैं कि कुछ उतार-चढ़ाव वाले कारोबारी सत्रों के बाद बाजार फिर से वापसी करेगा। उन्हें गिरावट के बाद ज्यादा खरीदारी होने की उम्मीद है।
विश्लेषकों ने निवेशकों को खासकर स्मॉल-कैप और मिड-कैप सेगमेंट में सतर्कता बरतने की सलाह दी है, क्योंकि इन शेयरों में भारी गिरावट की आशंका ज्यादा रहती है। इसके अलाा, विश्लेषकों का कहना है कि किसी सख्त बदलाव से ऐसे समय में मुनाफावसूली को बढ़ावा मिल सकता है, जब मूल्यांकन ऊंचाई पर हैं।
इक्विनोमिक्स के संस्थापक जी चोकालिंगम का कहना है कि कुछ मुनाफावसूली हुई है। इसके अलावा मुख्य सूचकांक में बिकवाली दबाव बना हुआ है।
उन्होंने कहा, ‘नुकसान में चल रहे व्यवसाय अभी भी बाजार पूंजीकरण के ऊंचे स्तरों का लाभ हासिल कर रहे हैं। ऊंचे मूल्यांकन वाले शेयरों में गिरावट आ सकती है, लेकिन 2-3 प्रतिशत की गिरावट के बाद सूचकांकों में फिर से तेजी आएगी। कई वृहद रुझानों में पिछले साल के मुकाबले रिकवरी दिखी है। बड़ी तादाद में नए निवेशक आए हैं।’
कमजोर मॉनसून और वित्त वर्ष 2022 की पहली तिमाही के लिए मिश्रित कॉरपोरेट परिणामों ने भारतीय इक्विटी बाजारों को लेकर नई चिंताएं पैदा की हैं।
जुलाई में शुद्घ बिकवाल बनने के बाद, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) अगस्त में अब तक शुद्घ खरीदार रहे हैं और उन्होंने करीब 3,898 करोड़ रुपये का निवेश किया है। निवेशकों की नजर अगले सप्ताह जैकसन होल पर फेडरल रिजर्व की बैठक पर लगी रहेगी।