बाजार में बढ़ती उठापटक अंतरराष्ट्रीय तनाव और टैरिफ की वजह से हाल फिलहाल में खूब देखने को मिली है। ऐसे माहौल में रेलिगेयर ब्रोकिंग के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट (रिसर्च) अजीत मिश्रा ने कुमार गौरव से ईमेल के जरिए बातचीत में भारतीय शेयर बाजार, दूसरे देशों के बाजारों, विदेशी निवेश, भारतीय कंपनियों के नतीजों और वैल्यूएशन को लेकर अपनी राय साझा की। नीचे इस बातचीत के खास अंश पढ़ें।
बाजार पिछले दो महीनों से रिकवर कर रहा है, जबकि उससे पहले लगभग सात महीनों तक गिरावट देखने को मिली थी। हालांकि, वैश्विक तनाव और व्यापारिक टैरिफ जैसे मुद्दों के कारण अभी भी अस्थिरता बनी हुई है। आगे बाजार में सुधार की संभावना है, लेकिन यह कुछ सीमाओं के भीतर रहेगा।
निफ्टी के लिए 23,600 से 24,200 और सेंसेक्स के लिए 77,800 से 79,850 का जोन अहम सपोर्ट रहेगा। अगर बाजार ऊपर जाता है, तो निफ्टी में 25,200 से 25,800 और सेंसेक्स में 83,000 से 85,000 का लेवल देखा जा सकता है। अजीत मिश्रा के अनुसार, निवेशकों को ‘डिप पर खरीदारी’ की रणनीति अपनानी चाहिए और हर गिरावट को अच्छे स्टॉक्स खरीदने का मौका मानना चाहिए, जब तक कि बाजार सपोर्ट लेवल को तोड़कर नीचे न चला जाए।
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भारत अभी उभरते बाजारों में सबसे मजबूत स्थिति में है। इसकी वजह है – मजबूत घरेलू मांग, अच्छी आर्थिक स्थिति और निवेश के लिए अनुकूल माहौल। हाल के वर्षों में भारत ने अपने साथियों से बेहतर प्रदर्शन किया है और आने वाले समय में भी ऐसा ही रहने की उम्मीद है। हालांकि, शॉर्ट टर्म में ग्लोबल झटकों और बाजार की अस्थिरता के कारण कुछ दबाव रह सकता है।
अब जबकि अमेरिका में मंदी की आशंका कम हो गई है, वहां की कंपनियां फिर से टेक्नोलॉजी पर खर्च बढ़ा सकती हैं। इससे भारतीय IT कंपनियों को बड़ा फायदा हो सकता है, खासकर डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन, क्लाउड और AI जैसे क्षेत्रों में। बड़ी IT कंपनियां, जो कई देशों में काम करती हैं और जिनके पास मजबूत डिलीवरी मॉडल है, वे सबसे आगे रहेंगी। हालांकि, कुछ मिड-कैप कंपनियां, जो खास सेक्टरों पर फोकस करती हैं, वो भी अच्छा प्रदर्शन कर सकती हैं।
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पिछले महीने विदेशी निवेशकों (FIIs) ने भारतीय बाजार में अच्छा पैसा लगाया है, लेकिन ये रुख आगे भी बना रहेगा या नहीं, ये तय नहीं है। डॉलर इंडेक्स इसका बड़ा फैक्टर रहेगा। अगर डॉलर कमजोर होता है, तो FII निवेश बना रह सकता है। लेकिन अगर डॉलर फिर मजबूत होता है, तो FIIs मुनाफा बुक करके पैसा बाहर निकाल सकते हैं।
भारत अभी भी विदेशी निवेशकों के लिए आकर्षक बाजार है, क्योंकि यहां की आर्थिक स्थिति मजबूत है, ग्रोथ अच्छी है और वैल्यूएशन भी हाल की गिरावट के बाद कुछ हद तक बेहतर हुआ है।
बाजार में थीमैटिक निवेश से ज्यादा अब स्टॉक-स्पेसिफिक निवेश का समय है। लेकिन कुछ सेक्टर जैसे सीमेंट, अफोर्डेबल हाउसिंग और कृषि से जुड़े इनपुट FY26 में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। मार्च 2025 तिमाही के नतीजे अब तक उम्मीद के मुताबिक रहे हैं, जिससे ये लगता है कि भारत के कई अहम सेक्टर अभी भी मजबूत स्थिति में हैं।
हाल की गिरावट से मिड और स्मॉल कैप सेगमेंट में कुछ राहत मिली है, लेकिन मिश्रा के मुताबिक अभी भी इन सेगमेंट में वैल्यूएशन को लेकर खतरा है। कई स्टॉक्स का भाव ज्यादा चढ़ गया था, जो कि उनके असली मुनाफे के मुकाबले ज़्यादा था। ऐसे में, अभी भी इन स्टॉक्स में निवेश करते वक्त सावधानी बरतना जरूरी है। केवल उन्हीं कंपनियों में पैसा लगाएं, जिनके फंडामेंटल्स मजबूत हों।