मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के प्रबंध निदेशक (समूह) और मुख्य कार्याधिकारी मोतीलाल ओसवाल ने कहा कि चुनाव से पहले लोकलुभावन योजनाओं से परहेज करने का सरकार का फैसला और राजकोषीय घाटा नीचे लाने की प्रतिबद्धता स्वागतयोग्य कदम है। सुंदर सेतुरामन को दिए साक्षात्कार के अंश…
अंतरिम बजट प्राथमिक तौर पर राजकोषीय समेकन पर केंद्रित है। इसमें निवेश के जरिए खर्च में बढ़ोतरी की रणनीति को बरकरार रखा गया है और नई योजनाएं या प्रोत्साहन की घोषणा से बचा गया है।
केंद्र ने वित्त वर्ष 25 (अनुमानित) में 10.5 फीसदी नॉमिनल जीडीपी वृद्धि का लक्ष्य रखा है और वित्त वर्ष 24 अनुमानित और वित्त वर्ष 25 अनुमानित के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य घटाकर क्रमश: 5.8 फीसदी व 5.1 फीसदी कर दिया है। हालांकि अंतरिम बजट में उपभोग को तत्काल बढ़ाने की कोई बात नहीं है, जो उपभोग में मौजूदा धीमेपन को थामने में मदद नहीं करेगा।
बुनियादी ढांचा, रेलवे, रक्षा और औद्योगिक क्षेत्र पहले ही बढ़ती ऑर्डर बुक से लाभान्वित हो चुके हैं और उनका लाभ एक दशक की सुस्ती के बाद मजबूत हो रहा है। इससे पीएसयू और मिडकैप व स्मॉलकैप में तीव्र बढ़ोतरी हुई है, जिनकी उपरोक्त क्षेत्र में ज्यादा मौजूदगी है।
दिसंबर में तीन प्रमुख राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की जीत पहले ही 2024 में राजनीतिक निरंरता की संभावनाओं को मजबूत कर चुकी है। लोकलुभावन योजनाओं या प्रोत्साहन से परहेज करने का सरकार का कदम और लंबी अवधि के लिहाज से आर्थिक स्थिरता को लेकर प्रतिबद्धता स्वागतयोग्य है। राजोकोषीय समेकन पर दृढ़ रहना देश की रेटिंग के लिहाज से रणनीतिक तौर पर बेहतर है।
अल्पावधि के लिए इसके कुछ प्रभाव हो सकते हैं, लेकिन पिछले पांच साल में हुए पूंजीगत खर्च का बड़ा असर और बेहतर आर्थिक हालात की पृष्ठभूमि वृद्धि के लिए सहजता मुहैया कराती है।
ग्रामीण उपभोग करीब दो साल से सुस्ती के दौर से गुजर रहा है। बजट में किसी लोकलुभावन घोषणा के अभाव को देखते हुए नरम उपभोग की यह अवधि हमारी नजर में लंबे समय तक टिकी रह सकती है।
वित्त वर्ष 24 में एनएसई निफ्टी कंपनियों की आय में 20 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि, मजबूत खुदरा भागीदारी, वैश्विक दरें सर्वोच्च स्तर पर पहुंचने और विदेशी निवेश में सुधार हमारी नजर में बाजार को और ऊपर ले जा सकता है।
दिसंबर तिमाही में कंपनियों की आय अभी तक अनुमान के मुताबिक रहे हैं। निफ्टी की करीब 33 कंपनियों ने नतीजे घोषित किए हैं और उनकी आय 21 फीसदी बढ़ी है जबकि अनुमान 20 फीसदी का था।