बाजार

BS Poll: रुपये को फेडरल रिजर्व की दर कटौती से मिलेगा दम, विशेषज्ञ क्यों लगा रहे डॉलर के कमजोर होने का अनुमान

Rupee vs. Dollar: प्रतिभागियों ने कहा कि विदेशी मुद्रा बाजार (forex market) में भारतीय रिजर्व बैंक का हस्तक्षेप रुपये की चाल तय करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

Published by
अंजलि कुमारी   
Last Updated- July 28, 2024 | 9:23 PM IST

Rupee vs. Dollar: जुलाई में अब तक 0.4 फीसदी गिरावट के बाद रुपये में डॉलर के मुकाबले फिर मजबूती दिखने के आसार हैं। बिज़नेस स्टैंडर्ड के एक सर्वेक्षण में शामिल अधिकतर प्रतिभागियों ने कहा कि अगर ज्यादातर आंकड़े अनुकूल रहे तो अमेरिकी फेडरल रिजर्व दरें तेजी से घटा सकता है, जिससे रुपये को मजबूती मिलेगी।

तेल आयातकों से डॉलर की जबरदस्त मांग और जोखिम से परहेज होने के कारण शुक्रवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 83.73 के नए निचले स्तर पर लुढ़क गया था। कुछ प्रतिभागियों को लग रहा है कि रुपया अगले महीने के अंत तक और भी लुढ़ककर 84 प्रति डॉलर तक जा सकता है।

IFA ग्लोबल के मुख्य कार्याधिकारी अभिषेक गोयनका ने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि अमेरिका में अल्पावधि ब्याज दरें कम होने और यील्ड में नरमी आने से डॉलर कमजोर होगा।’

गोयनका ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘अमेरिका में कुल मिलाकर नकारात्मक आर्थिक आश्चर्य दिखे हैं। आगे के आंकड़ों में मुद्रास्फीति घटती रहती है और श्रम बाजार में भी कमजोरी आती है तो बाजार को दरों में ज्यादा तेज कटौती की उम्मीद लग सकती है। फेडरल रिजर्व के चेयरमैन पॉवेल कह ही चुके हैं कि दरें घटाने के लिए मुद्रास्फीति 2 फीसदी तक पहुंचने का इंतजार शायद नहीं किया जाए।’

अमेरिका में बेरोजगारी दर नवंबर 2021 के बाद पहली बार 4 फीसदी के पार पहुंच गई। इसके अलावा अमेरिका में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति की दर -0.1 फीसदी के साथ 4 वर्षों में सबसे कम रही। ऐसे में बाजार को उम्मीद है कि अमेरिकी दर निर्धारण समिति सितंबर से दरों में कटौती कर सकती है।

प्रतिभागियों ने कहा कि विदेशी मुद्रा बाजार में भारतीय रिजर्व बैंक का हस्तक्षेप रुपये की चाल तय करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘मौजूदा उतार-चढ़ाव बजट के असर और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के बाहर जाने के कारण है, जो कुछ ही समय में खत्म हो जाएगा। यह भारतीय रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप या उसके बयानों पर भी निर्भर करता है।’

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 19 जुलाई को समाप्त सप्ताह में 670.86 अरब डॉलर के नए उच्च स्तर पर पहुंच गया। रुपया इस महीने दबाव में रहा है, लेकिन केंद्रीय बैंक के हस्तक्षेप से रुपये में गिरावट काफी हद तक थम गई। बहरहाल कुछ प्रतिभागियों ने कहा कि एशिया की अन्य मुद्राओं में नरमी के कारण रुपये पर भी दबाव दिख सकता है।

करुर वैश्य बैंक के ट्रेजरी प्रमुख वीआरसी रेड्डी ने कहा, ‘एशिया की अन्य मुद्राओं और विशेष रूप से युआन में गिरावट दिख रही है। RBI रुपये में मामूली गिरावट ही होने दे रहा है ताकि निर्यात के मामले में भारत पिछड़ न जाए। मगर FII द्वारा शेयर बाजार से निवेश लगातार समेटे जाने के कारण रुपये पर दबाव बरकरार रहेगा।’

कुछ प्रतिभागियों ने कहा कि रुपये की वास्तविक प्रभावी विनिमय दर (REER) में तेजी को देखते हुए RBI उस पर करीबी नजर रख रहा है। RBI के हालिया मासिक बुलेटिन के अनुसार रुपये का व्यापार भारित REER जून में 106.54 था। इससे पता चलता है कि रुपया 6 फीसदी अधिक मूल्य पर कारोबार कर रहा था। REER के लिहाज से रुपया जून में एक महीना पहले के मुकाबले 1.8 फीसदी मजबूत हुआ।

First Published : July 28, 2024 | 9:22 PM IST