ऐक्सिस बैंक केशेयरों में शुक्रवार को 7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई और यह 487 रुपये पर बंद हुआ।
उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2008 की तिमाही के परिणामों की घोषणा के बाद बैंक का नेट इंटरेस्ट मार्जिन अनुमान से कम रहा जिससे इसके शेयरों में गिरावट दर्ज की गई।
इसके अलावा बैंक के मौजूदा अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी के इस साल अपने पद से हटने की खबरों ने भी बाजार में शेयरों की कीमत में गिरावट में अहम भूमिका निभाई।
हालांकि इससे पूर्व ऐक्सिस बैंक के शेयरों में काफी उछाल देखने को मिला था और नवंबर में कीमतों में करीब 50 फीसदी का उछाल आ गया था और यह 377 के स्तर से उछलकर 570 रुपये के स्तर पर पहुंच गया।
अपने शेयरों की कीमत में इस तेजी से निश्चित तौर पर बैंक को कुछ फायदा हुआ होगा। दिसंबर 2008 की तिमाही का परिणाम नेट इंटरेस्ट मार्जिन के लिहाज से बेहतर नहीं रहा।
सितंबर 2008 की तिमाही में बैंक का नेट इंटरेस्ट मार्जिन 3.51 फीसदी दर्ज किया गया था जो दिसंबर तिमाही में घटकर 3.12 फीसदी के स्तर पर आ गया।
सितंबर 2008 की तिमाही में बैंक की फीस इनकम में साल-दर-साल केहिसाब से 57 फीसदी की बढोतरी दर्ज की गई। इस वजह से बैंक के परिचालन मुनाफे में भी इजाफा देखने को मिला है।
अगर पिछले साल के मुकाबले इस साल की आलोच्य अवधि की बात की जाए, तो परिचालन लाभ में लगभग 35 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
बैंक के मौजूदा करेंट और सेविंग एकाउंट की हिस्सेदारी घटकर 38 फीसदी हो गई है जबकि फंड की लागतों में बढ़ोतरी 7 फीसदी से नीचे ही रही।
हालांकि आनेवाली तिमाहियों में नकदी में कमी आने से इसके सेटलमेंट की आशा की जा सकती है। हालांकि दिसंबर तिमाही में कंपनी की लोन ग्रोथ साल-दर-साल के हिसाब से 55 फीसदी रही जिसमें आनेवाली तिमाहियों में कमी आ सकती है।
प्रबंधन ने वर्ष 2008-09 में लोन ग्रोथ के 35 से 40 फीसदी के बीच रहने की संभावना जताई है। हालांकि बैंक के सितंबर तिमाही की अपेक्षा खुदरा ऋण पोर्टफोलियो में कमी आई है।
डेलीक्वेंसी का स्तर हालांकि नीचे है और यह बैंक के नियंत्रण में है जो शुध्द डूबे हुए कर्ज (एनपीएलएस) 0.39 फीसदी रहा जबकि सकल एनपीएलएस में थोड़ी बढ़ोतरी हुई है।
हालांकि प्रोविजनिंग अपेक्षाकृत कम रही है। फिलहाल बैंक के शेयरों का कारोबार वित्त वर्ष 2009-10 की बुक वैल्यू के 1.5 गुना समायोजित स्तर पर हो रहा है।
सीमेन्स: बाजार खफा
शुक्रवार का दिन सीमेन्स इंडिया के लिए भी बेहतर नहीं रहा और इसके शेयरों की कीमत में 12 फीसदी की कमी देखी गई।
कंपनी द्वारा अपनी आईटी इकाई सीमेन्स इन्फॉर्मेशन सिस्टम (एसआईएसएल) में हिस्सेदारी बेचने के फैसले का बाजार में कारोबार के दौरान इसके शेयरों पर पडा जिसके कारण यह गिरावट दर्ज की गई।
कपंनी प्रबंधन का कहना है कि यह वैश्विक रणनीति का हिस्सा है जहां एसआईएसएल के कारोबार को वैश्विक समूहों से जोड़ा गया है।
कंपनी का यह दावा कितना पुख्ता है, यह तो बाद में पता लगेगा लकिन एक बात जो गौर करने लायक है कि यह स्थानांतरण किस मूल्य पर हो रहा है, कंपनी ने इस बात का खुलासा नहीं किया है।
हालांकि इस स्थानांतरण का आर्थिक प्रभाव बहुत गहरा होगा, इस बात की संभावना बहुत कम ही नजर आ रही है।
कंपनी के कंसोलिडेट राजस्व में सितंबर 2008 तक इस इकाई का योगदान करीब 11 फीसदी रहा था। इसके अलावा ऐसा लगा कि कारोबार भी कोई खास नहीं हो रहा था।
इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सितंबर 2008 तक राजस्व में 3 फीसदी की कमी आई जबकि कर पूर्व मुनाफ ा (पीबीटी) मार्जिन पिछले साल की 15 फीसदी की तुलना में घटकर 7 फीसदी के करीब रह गया।
इसका कारण यह रहा कि कंपनी कीकारोबारी रणनीति में कुछ बदलाव रहे- पहले एसआईएसएल का राजस्व सीमेंस एजी से आया करता था और यह किसी थर्ड-पाटी सेवा प्रदाता की तरह शुल्क लगाया करता था। बाद में यह एक किसी केप्टिव सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट केन्द्र की तरह काम करने लगा जिससे रास्वव में कमी आ गई।
विश्लेषकों के अनुसार सीमेन्स के शेयरों में गिरावट का कारण यह भी रहा कि इससे पहले भी कंपनी ने जब अपने कारोबार को बेचने का फैसला किया था तो इससे छोटे हिस्सेदारों को काफी घटा लगा था ऐसा लाग कि इस मामले में उनके साथ न्याय नहीं किया गया था।
इसके बाद से छोटे हिस्सेदारों के मन से कंपनी के प्रति एक अविश्वास का माहौल बन गया था। इस कंपनी ने वर्ष 2007 ने अपने दूरसंचार और अपने ऑटोमोटिव कारोबार को बेच दिया था।