भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा ब्याज दर वृद्धि चक्र की रफ्तार सुस्त किए जाने से यह सवाल महत्वपूर्ण हो गया है कि क्या डेट आवंटन के बजाय लंबी अवधि के निवेश विकल्पों में दांव लगाने का सही समय आ गया है?
म्युचुअल फंड (MF) प्रबंधक इसे लेकर अनिश्चित बने हुए हैं।
मार्च के अंत में, करीब आधी डायनेमिक बॉन्ड फंड (DBF) की औसत परिपक्वता 5.5 साल से कम थी। 5.5 साल से अधिक की औसत परिपक्वता के साथ शेष फंड लंबी अवधि से जुड़े हुए थे।
डेट एमएफ योजनाओं में DBF इक्विटी क्षेत्र में फ्लेक्सी-कैप फंडों की अवधारणा के समान होते हैं। DBF मैनेजरों को ब्याज दर चक्र के आधार पर अल्पावधि और लंबी अवधि की परिपक्वता वाले पत्रों के बीच निवेश आवंटन दलने की स्वायत्तता होती है।
DBF सितंबर 2022 में करीब चार साल की औसत परिपक्वता बरकरार रखे हुए थे। नवंबर 2022 तक यह बढ़कर 5.4 साल हो गई और तब से समान दायरे में बनी हुई है।
योजनाओं के फंड प्रबंधक सपाट प्रतिफल राह (flat yield curve) और अनुकूल रिस्क/रिवार्ड को ध्यान में रखकर अल्पावधि पर ध्यान बनाए हुए हैं।
SBI DBF के फंड मैनेजर दिनेश आहूजा का कहना है, ‘हमारे फंड की अवधि 4-4.5 वर्ष के दायरे में रही है। यह हमारे हिसाब से अनुकूल रिस्क-रिवार्ड से जुड़ा हुआ है।’
ICICI Prudential MF के उप मुख्य निवेश अधिकारी (फिक्स्ड इनकम) मनीष बंथिया का कहना है, ‘मौजूदा समय में, हम शॉर्ट ड्यूरेशन यानी अल्पावधि पर ज्यादा सकारात्मक हैं, जिसे हम दीर्घावधि के मुकाबले अधिक बेहतर मान रहे हैं, क्योंकि प्रतिफल मौजूदा समय में सपाट है। हम चक्र के मध्य में हैं, जिसे देखते हुए हमें लंबी अवधि की परिसंपत्तियों में निवेश से ज्यादा लाभ की संभावना नहीं दिख रही है। हालांकि हम हालात के अनुसार लंबी अवधि पर जोर दे सकते हैं।’
लंबी अवधि पर सकारात्मक फंड प्रबंधक अमेरिका में अनुमान से पहले दर कटौती का अनुमान जता रहे हैं और RBI द्वारा भी इसी तरह के कदम की उम्मीद कर रहे हैं और इस वजह वे प्रतिफल में तेजी की कम संभावना दिख रही है।
DSP MF की एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है, ‘RBI अमेरिकी फेडरल रिजर्व के कदमों पर अमल करता रहा है। अमेरिकी फेड बैंकिंग व्यवस्था में पैदा हुए संकट को लेकर चिंतित है। इससे फेड अनुमान के मुकाबले ज्यादा जल्दी एवं तेजी से दर वृद्धि पर विराम लगा सकता है।’
यूनियन ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी (Union Asset Management Company) में फिक्स्ड इनकम के प्रमुख परिजात अग्रवाल का कहना है, ‘सकारात्मक वैश्विक बदलावों से उतार-चढ़ाव के बीच ब्याज दरों पर दबाव कम करने में काफी हद तक मदद मिलेगी। प्रतिफल स्तर आकर्षक बना हुआ है। परिदृश्य बेहतर बनने से हमने अपनी योजना की अवधि बढ़ा दी है।’
लंबी अवधि की योजनाओं में निवेश के अनुकूल अन्य कारक है सुस्त आपूर्ति की संभावना। विश्लेषक बेंचमार्क 10 वर्षीय बॉन्ड प्रतिफल 7-7.4 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान जता रहे हैं। प्रतिफल करीब एक साल से इसी दायरे में बना हुआ है।