फिच द्वारा अशोक लीलैंड की रेटिंग को स्थिर से नकारात्मक करना चेन्नई की इस कंपनी पर ऊंची दरों के कर्ज का होना है।
फिच ने कंपनी की रेटिंग एए बरकरार रखी है। 2,000 लाख डॉलर के बाहरी वाणिज्यिक उधारी की वजह से कंपनी का कुल कर्ज और संचालन लाभ का अनुपात 1.1 रहा। ट्रक और बस बनाने वाली यह कंपनी की योजना अपनी क्षमता 84,000 से बढ़ाकर 1,84,000 सालाना करने की है। इसके लिए कंपनी वित्त्तीय वर्ष 2011 तक 3,700 करोड़ रुपए खर्च करेगी।
कंपनी के जून 2008 की तिमाही के परिणाम वाणिज्यिक वाहनों के सेगमेंट की विभिन्न अवस्था को दिखाते हैं। इन वाहनों की बिक्री की संख्या काफी परेशान करने वाली रही। बढ़ती लागत की वजह से कंपनी का ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन 1.5 फीसदी घटकर आठ फीसदी के सालाना स्तर पर रहा।
हालांकि कंपनी ने 16 फीसदी की टॉपलाइन बढ़त दर्ज की और यह 1,884 करोड़ रुपए रहा। इसकी वजह नॉन आटोमोबाइल कारोबार जैसे इंजन,स्पेयर्स और सेना आपूर्ति का बढ़ना रहा। कंपनी का करों के भुगतान के बाद लाभ 108 रुपए रहा। मौजूदा चुनौतीपूर्ण माहौल के बावजूद कंपनी ने अच्छा प्रदर्शन किया।
कंपनी ने करीब 16,500 मझोले और भारी वाहन बेचे जो कि इसी समय के पिछले साल की तुलना में चार फीसदी ज्यादा है। हालांकि इसमें कुछ ही शंका है कि इन वाहनों की घरेलू बाजार में बिक्री कम ही रहेगी। सियाम के अनुसार यह इस समय के दौरान सिर्फ 5.5 फीसदी ज्यादा रही। वित्त्तीय वर्ष 2008 में बिक्री पिछले साल की तुलना में एक फीसदी कम रही।
कंपनी की बाजार में हिस्सेदारी 27.8 फीसदी है और यह इस बाजार की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है। विश्लेषकों का अनुमान है कि ट्रकों की बिक्री कम ही रहेगी। हालांकि ब्रिस्क कारोबार के बेहतर प्रदर्शन करने की संभावना है।
विश्लेषकों को अनुमान है कि कंपनी वित्त्तीय वर्ष 2009 में 8,400 करोड़ का राजस्व अर्जित कर लेगी और कंपनी का शुध्द लाभ 400 करोड़ रुपए रहेगा। मौजूदा बाजार मूल्य 32 रुपए पर कंपनी के स्टॉक का कारोबार वित्त्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से 10.5 गुना के स्तर पर हो रहा है।
नागार्जुन कंस्ट्र.- मार्जिन घटा
बुनियादी ढांचागत क्षेत्र की कंपनी नागार्जुन कंस्ट्रक्शन की ऑर्डर बुक 41 फीसदी की बेहतर रफ्तार से बढी और जून 2008 के खत्म होने तक कंपनी के पास कुल 1,744 करोड़ के ऑर्डर रहे। हाल में कंपनी ने 474 करोड़ के तीन और नए ऑर्डर हासिल किये हैं जिसमें इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड से मिले ऑर्डर के अलावा हैदराबाद व पुणे से मिले ऑर्डर हैं। कंपनी का कारोबार ज्यादा परेशानी वाला नहीं रहा है।
जून 2008 की तिमाही में टॉपलाइन ग्रोथ में 27.4 फीसदी की सालाना बढ़त दर्ज की गई और यह 971 करोड़ रुपए रहा। इस कंपनी को अपने कर्मचारियों और लेबर पर ज्यादा खर्च करना पड़ा। पिछले तीन महीनों में कंपनी का कच्चे माल पर किया जाने वाला खर्चा कम रहा है हालांकि अन्य खर्चों की वजह से कंपनी का ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन एक फीसदी गिरकर 9.4 फीसदी के स्तर पर रहा।
कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी काफी परेशान करने वाली बात है क्योंकि कंपनी इसे अपने ऑर्डर से अर्जित नहीं कर सकती है। जिसमें रोड बनाने के सौदे और 740 करोड़ का सेल से प्राप्त ब्लास्ट फरनैंस का ठेका भी शामिल है। इसके अतिरिक्त सभी अंतरराष्ट्रीय सौदे एक निश्चित मूल्य पर किए जाते हैं हालांकि कुछ ग्राहक बढ़ती कीमतों को खर्च करने के लिए सहमत हो गए हैं।
बचे हुए 70 फीसदी पर कंपनी बढ़ती लागत को बढ़ा सकती है। इसके अलावा कंपनी का उधारी पर होने वाला खर्चा भी तेजी से बढ़ा है और जिसकी वजह है कि कंपनी ने अपने कारोबार को बढाने के लिए ज्यादा से ज्यादा उधार लिया है और बढ़ती ब्याज दरों की वजह से यह खर्चा बढ़ा है।
कंपनी का करों के पहले का लाभ भी एक फीसदी गिरकर 55 करोड़ रहा। यह शेयर अंडरपरफार्मिंग रहा है और इसमें जनवरी से अब तक 65 फीसदी से भी ज्यादा की गिरावट आई है जबकि सेंसेक्स सिर्फ 30 फीसदी ही गिरा है।
कंपनी को वित्तीय वर्ष 2009 में 4,300 करोड़ का राजस्व प्राप्त होनें की संभावना है। कंपनी की ग्रोथ के गिरकर सात से आठ फीसदी के करीब रहने की संभावना है। मौजूदा बाजार मूल्य पर कंपनी के स्टॉक का कारोबार वित्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से 16.4 गुना के स्तर पर हो रहा है।