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2023 में आर्बिट्रेज फंडों की मजबूती के साथ वापसी, निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी

डेट फंडों के मुकाबले उच्च कर आर्बिट्रेज से कम जोखिम वाली हाइब्रिड पेशकश में आकर्षित हुए निवेशक

Last Updated- January 02, 2024 | 9:47 PM IST
Debt

आर्बिट्रेज फंडों ने साल 2023 में मजबूती के साथ वापसी की। इन फंडों के प्रदर्शन में तीव्र सुधार और डेट फंडों के मुकाबले उच्च कर आर्बिट्रेज से कम जोखिम वाली हाइब्रिड पेशकश में निवेशकों की दिलचस्पी में इजाफा हुआ। इन फंडों ने साल 2023 में औसतन 7.6 फीसदी रिटर्न दिया, जो साल 2015 के बाद का सर्वोच्च स्तर है। पिछले तीन कैलेंडर वर्ष में रिटर्न 4.1-4.6 फीसदी के बीच रहा था। वैल्यू रिसर्च के आंकड़ों से यह जानकारी मिली। विशेषज्ञों ने कहा कि रिटर्न में बढ़ोतरी नकदी व डेरिवेटिव बाजार के बीच कीमत के बढ़ते अंतर का परिणाम है।

आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी के मुख्य निवेश रणनीतिकार चिंतन हरिया ने कहा, आर्बिट्रेज फंडों ने उत्साहजनक रिटर्न दिया, जिसकी वजह ब्याज दर का ऊंचा रहना और इक्विटी बाजार में खरीदारी का माहौल रही, जिससे प्रदर्शन में सुधार हुआ।

सरकार की तरफ से अप्रैल में डेट फंडों पर कर बढ़ाए जाने से भी आर्बिट्रेज फंडों को ज्यादा निवेश हासिल करने में मदद मिली। आर्बिट्रेज फंडों का परिचालन इक्विटी बाजार में होता है, लेकिन निवेश के लिए उसकी प्रतिस्पर्धा डेट फंडों से होती है, यह मानते हुए कि यह कम जोखिम वाली योजना है। रिटर्न मोटे तौर पर अल्पावधि वाले डेट फंडों के समान होता है।

हालांकि साल 2023 में आर्बिट्रेज फंडों ने करीब-करीब सभी डेट फंडों के मुकाबले उम्दा प्रदर्शन किया, लेकिन इसमें उच्च जोखिम वाली डेट पेशकश, क्रेडिट रिस्क फंड शामिल नहीं है। सिर्फ फ्लोटर फंड ही रिटर्न के मामले में आर्बिट्रेज फंडों के पास रहे।

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कराधान के बाद के आधार पर रिटर्न का अंतर और भी ज्यादा है। आर्बिट्रेज फंडों को इक्विटी फंड माना जाता है, जहां निवेशक लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ कर की दर 10 फीसदी का लाभ ले सकते हैं, अगर फंड में एक साल या इससे ज्यादा समय तक निवेश बना हुआ है। वहीं अल्पावधि के पूंजीगत लाभ पर 15 फीसदी कर लगाया जाता है। डेट फंड के रिटर्न पर निवेशकों के आयकर स्लैब के आधार पर कर लगाया जाता है, जो 30 फीसदी तक भी हो सकता है। इसमें निवेश अवधि का कोई मोल नहीं है।

इससे आर्बिट्रेज फंडों में ज्यादा निवेश आया है, खास तौर से एचएनआई निवेशकों की तरफ से। यह कहना है म्युचुअल फंड के अधिकारियों व सलाहकारों का। एसबीआई आर्बिट्रेज ऑपरच्युनिटीज फंड के फंड मैनेजर नीरज कुमार ने कहा, आर्बिट्रेज फंडों ने हाल के वर्षों में कॉरपोरेट व एचएनआई ग्राहकों की तरफ से जयादा स्वीकार्यता देखी है, जिसकी वजह बेहतर कर समायोजित रिटर्न है।

ये लिक्विड फंडों के समान सकल रिटर्न की पेशकश करते हैं, लेकिन कर समायोजन के आधार पर बेहतर हैं। लंबी अवधि का रिटर्न स्थिर है, जिससे इक्विटी पेशकश में संभावित उच्च उतार-चढ़ाव से उबरने में मदद मिल रही है। आर्बिट्रेज फंडों ने 2023 में जनवरी से नवंबर तक 48,300 करोड़ रुपये का निवेश हासिल किया और जुलाई से मासिक निवेश हर महीने 5,000 करोड़ रुपये रहा। इस श्रेणी की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां 2023 में नवंबर तक 65 फीसदी की उछाल के साथ 1.2 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गईं, जो साल 2022 के आखिर में 74,722 करोड़ रुपये रहा थीं।

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साल 2022 में एयूएम 25 फीसदी घटा था, वहीं साल 2021 में इसमें 62 फीसदी की उछाल आई थी। हालांकि विशेषज्ञों ने कहा कि आर्बिट्रेज फंडों का मौजूदा रिटर्न टिकने योग्य नहीं है और निवेशकों को कम रिटर्न की उम्मीद के साथ आना चाहिए।

लैडर 7 वेल्थ प्लानर्स के एमडी सुरेश सदागोपन ने कहा, ‘साल 2023 में दिखा रिटर्न टिकाऊ नहीं है। निवेशकों को 4-5 फीसदी रिटर्न की उम्मीद के साथ आना चाहिए, जो लंबी अवधि का औसत है। इन स्तरों पर कर पश्चात रिटर्न अल्पावधि वाले डेट फंडों के समान है।’

आर्बिट्रेज फंडों के जरिये नकदी व वायदा बाजार में कीमत के अंतर से रिटर्न सृजित किया जाता है। ऐसी योजना में फंड मैनेजर एक साथ नकदी बाजार में खरीदकर उतनी ही मात्रा वायदा बाजार में बेचते हैं, जब तक कि वायदा ट्रेड उचित प्रीमियम पर हो रहा होता है। दोनों के बीच का अंतर योजना का रिटर्न होता है। पोर्टफोलियो का न्यूनतम 65 फीसदी इस रणनीति में लगाया जाता है जबकि बाकी रकम ऋण प्रतिभूतियों में निवेश किया जाता है।

First Published - January 2, 2024 | 9:47 PM IST

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