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शेयरधारकों के 30 खरब रुपये डूबे

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 7:05 AM IST

दहाई अंकों की मुद्रास्फीति,कंपनियों का कमजोर प्रदर्शन, अमेरिकी मंदी और वहां के सबप्राइम संकट ने भारतीय बाजार को भी जबरदस्त झटका दिया है।


हालत ये है कि पिछली 8 जनवरी से अब तक भारतीय कंपनियों के निवेशकों को कुल 30 खरब रुपए का नुकसान हो चुका है। जनवरी के पहले हफ्ते में भारत ही नहीं पूरे विश्व के शेयर बाजार अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच चुके थे। लेकिन उसके बाद से सभी बाजारों में शेयर फिसलना शुरू हो चुके थे।

बांबे स्टॉक एक्सचेंज में 8 जनवरी के बाद से अब तक कुल 31 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है। वो तो आईटी सेक्टर का भला हो जो रुपए की कमजोरी की वजह से बेहतर रिटर्न देने में कामयाब रहे हैं। सेंसेक्स के बाकी सेक्टरों को देखें तो वैल्युएशन के मामले में हेल्थकेयर और एफएमसीजी के शेयरों को सबसे कम नुकसान हुआ है लेकिन रियालिटी और पावर सेक्टर के शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई है।

8 जनवरी के बाद से चीन के बाद भारत दूसरे स्थान पर सबसे बड़ा अंडरपरफार्मर रहा है। इस दौरान शंघाई सूचकांक में कुल 47 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है जबकि नैसडेक में लिस्टेड शेयर 1.4 फीसदी की गिरावट के साथ सबसे कम प्रभावित होना इंडेक्स रहा है क्योकि वहां टेक्नोलॉजी स्टॉक्स सबसे ज्यादा लिस्टेड हैं। इसी फेहरिस्त में डाउजोन्स,निक्की-225 समेत सियोल कमपॉजिट के सूचकांकों में 5-5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।

भारत की बात करें तो 8 जनवरी के बाद से हरेक दस लिस्टेड शेयरों में से कम से कम नौ शेयरों में दस फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। गिरावट यूं तो सभी सेक्टरों में रही है लेकिन इस दौरान फूड प्रॉसेसिंग कंपनियों ने पॉजिटिव रिटर्न दिए हैं। मसलन टेम्पलटन फूड और रे एग्रो फर्मों ने बेहतर रिटर्न दिए। दूसरी तरफ भारत में मौजूदा महंगाई दर पिछले 13 सालों में सबसे ज्यादा स्तर पर है,जिसे हवा देने का काम तेल की आग लगाती कीमतों ने किया है।

महंगाई पर लगाम लगाने के लिए रिजर्व के संभावित कदमों ने भी बाजार को डरा रखा है। मांग में कमी और बढ़ते ब्याज दरों का असर हम स्पष्ट तौर पर विभिन्न सेक्टरों पर देख रहे हैं। खासकर, बढ़ती ब्याज दरों के चलते सबसे ज्यादा मार गृह निर्माण,ऑटोमोबाइल सेक्टर समेत कंज्यूमर ड्यूरेबल उत्पादों पर पड़ा है जिनमें 8 जनवरी के बाद से कुल 50 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है।

दूसरी तरफ मांग में कमी के चलते पूंजीगत वस्तुओं और इंजीनियरिंग फर्मों के भाव में कुल 40 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है। इसके अलावा स्टील समेत सीमेंट के दाम भी सरकार द्वारा कीमतों को काबू में करने के चलते प्रभावित हुई हैं और इनकी कीमतों में भी कुल 40 फीसदी की गिरावट हुई है।

First Published : June 24, 2008 | 9:57 PM IST