प्रतीकात्मक तस्वीर
देश में संक्रमणरोधी दवाओं की बिक्री में मई 2025 के दौरान पिछले साल के मुकाबले 7.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई और यह बढ़कर 2,130 करोड़ रुपये हो गई, जबकि पिछले साल इसी महीने में यह 1,979 करोड़ रुपये थी। वायरल सीजन की शुरुआत और देश भर में कोविड के मामलों में इजाफे की वजह से ऐसा हुआ है। उद्योग के विश्लेषकों और डॉक्टरों ने यह जानकारी दी है।
संक्रमणरोधी श्रेणी भारतीय दवा बाजार (आईपीएम) के समूचे राजस्व में तकरीबन 11 प्रतिशत का योगदान करती है। इस श्रेणी में एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल दवाओं जैसे उप-श्रेणियों ने महीने के दौरान बिक्री में क्रमशः 9.1 प्रतिशत और 7 प्रतिशत की वृद्धि के साथ कुल बिक्री वृद्धि को बढ़ावा दिया है। बाजार अनुसंधान कंपनी फार्माटैक के आंकड़ों से पता चलता है कि एंटीबैक्टीरियल दवा की बिक्री मई 2024 में 1,676 करोड़ रुपये थी, जो इस साल मई में बढ़कर 1,829 करोड़ रुपये हो गई, जबकि एंटीफंगल दवा इसी अवधि में 142 करोड़ रुपये से बढ़कर 152 करोड़ रुपये हो गई।
पिछले महीने देश में कुल संक्रमणरोधी दवाओं की बिक्री में इन दो उप-श्रेणियों की हिस्सेदारी लगभग 93 प्रतिशत रहने के बावजूद बिक्री में यह इजाफा हुआ है। गुरुग्राम के सीके बिड़ला अस्पताल में इंटरनल मेडिसिन के सलाहकार तुषार तायल ने कहा कि इस उछाल का एक मुख्य कारण वायरल सीजन की शुरुआत है, जो आम तौर पर अप्रैल के आसपास शुरू होता है। इस दौरान श्वसन संक्रमण, वायरल बुखार और पेट से संबंधित बीमारियां ज्यादा आम हो जाती हैं।
उन्होंने कहा, ‘हालांकि इनमें से कई (बीमारियां) वायरस के कारण होती हैं और हमेशा एंटीबायोटिक दवाओं की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन डॉक्टर अक्सर उन्हें सावधानी के तौर पर या रोगी की मांग के कारण लिखते हैं, जिससे संक्रमणरोधी दवाओं का उपयोग अधिक होता है, भले ही यह बहुत जरूरी न हो।’ एक अन्य विशेषज्ञ ने कहा कि पिछले कुछ सप्ताह में दर्ज गए कोविड-19 के मामलों में इजाफे ने भी इस वृद्धि में योगदान दिया है।