इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने सोशल मीडिया पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से तैयार या एडिट किए गए कंटेंट को लेकर सख्त कदम उठाने की तैयारी की है। मंत्रालय ने सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियम, 2021 में संशोधन का मसौदा जारी करते हुए प्रस्ताव दिया है कि जो भी सोशल मीडिया यूजर्स एआई का इस्तेमाल कर कंटेंट बनाते या एडिट करते हैं, उन्हें अपलोड के समय इसकी जानकारी देना अनिवार्य होगा।
मसौदा नियमों के अनुसार, इंटरनेट प्लेटफॉर्म या इंटरमीडियरी यह सुनिश्चित करेंगे कि एआई-जनरेटेड कंटेंट “स्पष्ट रूप से लेबल की गई हो या उसमें स्थायी और यूनिक मेटाडाटा (permanent unique metadata or identifier)” जोड़ा गया हो।
सरकार ने कहा है कि इन प्रस्तावित बदलावों पर 6 नवंबर तक हितधारक अपनी टिप्पणियां और सुझाव भेज सकते हैं, जिसके बाद अंतिम नियम अधिसूचित किए जाएंगे।
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प्रस्तावित फ्रेमवर्क के तहत, प्लेटफॉर्म को यह सुनिश्चित करना होगा कि एआई से संबंधित खुलासे करने वाले यूजर्स सटीक जानकारी दे रहे हैं और यह घोषणा “स्पष्ट रूप से प्रदर्शित” हो।
मसौदा नियमों के अनुसार, एआई-जनरेटेड कंटेंट पर लगाया गया लेबल या डिस्क्लेमर विजिबल कंटेंट के कम से कम 10 फीसदी हिस्से को कवर करना चाहिए।
ऑडियो आधारित कंटेंट के लिए, लेबल या डिस्क्लेमर कंटेंट की कुल अवधि के पहले 10 फीसदी हिस्से के दौरान दिखना अनिवार्य होगा।
इसके अलावा, इंटरमीडियरी प्लेटफॉर्म को ऐसे किसी भी टूल या फीचर को सक्षम करने से मना किया गया है जो इन जो इन लेबलों, मेटाडेटा या पहचानकर्ताओं को “संशोधित करने, दबाने या हटाने” की अनुमति देते हैं।
प्रस्तावित संशोधन के तहत, इंटरमीडियरी प्लेटफॉर्म (जैसे सोशल मीडिया साइट्स) पर यह जिम्मेदारी होगी कि वे एआई से संबंधित खुलासों की सत्यता बनाए रखें। इसके लिए प्लेटफॉर्म को तकनीकी उपकरण या सिस्टम विकसित करने होंगे, जो यूजर्स द्वारा की गई घोषणाओं की प्रामाणिकता की जांच कर सकें और लेबलिंग के नियमों का पालन सुनिश्चित करें।
मंत्रालय ने कहा है, “सोशल मीडिया और इंटरनेट इंटरमीडियरी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके पास ऐसे टूल या तकनीकी उपाय हों, जो यूजर्स द्वारा किए गए खुलासे की सटीकता की पुष्टि कर सकें।”
ये बदलाव चुनावों से पहले गलत सूचना, डीपफेक और हेरफेर किए गए मीडिया के लिए जनरेटिव एआई टूल्स के दुरुपयोग पर बढ़ती चिंताओं को दर्शाते हैं।
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इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने इस प्रस्ताव पर टेक कंपनियों, डिजिटल प्लेटफॉर्मों, नागरिक समाजिक संगठनों और आम जनता से सुझाव और टिप्पणियां मांगी हैं।
यह कदम मंत्रालय द्वारा पहले जारी उन परामर्शों (advisories) पर आधारित है, जिनमें सोशल मीडिया इंटरमीडियरी को एआई-जनरेटेड या एडिटेड कंटेंट की पहचान करने और उसे वॉटरमार्क करने की सलाह दी गई थी।
उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रस्ताव से एआई कंटेंट मॉडरेशन और पारदर्शिता के लिए अनुपालन नियम और सख्त हो जाएंगे — खासकर यूट्यूब, इंस्टाग्राम, एक्स (पूर्व में ट्विटर) और फेसबुक जैसे बड़े प्लेटफॉर्मों के लिए।