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पीएम इंटर्नशिप का स्वतंत्र मूल्यांकन हो: संसदीय समिति

इस योजना के लिए वित्तीय वर्ष 25 के बजट अनुमानों में 2,000 करोड़ रुपये आबंटित किए गए थे, जो संशोधित अनुमानों में 380 करोड़ रुपये था।

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रुचिका चित्रवंशी   
Last Updated- July 31, 2025 | 10:27 PM IST

प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना (पीएमआईएस) में हाशिए पर मौजूद और आर्थिक रूप से कमजोर अभ्यार्थियों के मानदंडों में रियायतों व पारदर्शिता के लिए नियमित अंतराल पर स्वतंत्र मूल्यांकन किए जाने की आवश्यकता है। यह सुझाव संसद की वित्त मामलों की स्थायी समिति ने सदन में गुरुवार को पेश अपनी रिपोर्ट में दिया।

सांसद भर्तृहरि की अध्यक्षता वाली समिति ने रिपोर्ट में कहा कि अभी भी समावेशिता, निगरानी, हितधारक भागीदारी और इंटर्नशिप के बाद के परिणाम की चुनौतियां कायम हैं और इससे पीएमआईएस की बजट दक्षता प्रभावित हो रही है।

समिति ने इंटर्नशिप योजना में एसएमई, स्टार्टअप और क्षेत्रीय साझेदारों की क्षेत्रवार समावेशिता और भौगिलिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने का आह्वान किया। इस योजना के लिए वित्तीय वर्ष 25 के बजट अनुमानों में 2,000 करोड़ रुपये आबंटित किए गए थे, जो संशोधित अनुमानों में 380 करोड़ रुपये था। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘यह धनराशि प्राथमिक चरण के लिए पर्याप्त है, लेकिन विस्तार के लिए वित्तीय जरूरतों का गतिशील पुनर्मूल्यांकन महत्त्वपूर्ण है।’

संसद की स्थायी समिति ने इंटर्नशिप से रोजगार तक की परिवर्तन दर की निगरानी और ट्रैकिंग के लिए मजबूत प्रणाली बनाने के महत्त्व पर जोर दिया, जो इस योजना की सफलता का प्रमुख संकेतक होगा। समिति ने कहा कि इस योजना के अंतर्गत नियमित सरकारी कर्मचारियों के परिवारों को पूरी तरह से बाहर रखा जाना अनुचित है। इसका कारण यह है कि ऐसे कई लोगों को समर्थन की आवश्यकता होती है।

संसदीय समिति ने भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के मामलों में देरी से निपटने के लिए उच्च प्राथमिकता वाले मामलों के त्वरित निपटान प्राधिकरणों की स्थापना करने की सिफारिश की है।

इसने न्यायिक प्रक्रियाओं में सुधार के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल की संभावना तलाशने, निजीकृत सेवा केंद्रों की सफलता का लाभ उठाने और राष्ट्रीय कंपनी कानून प्राधिकरण के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने का भी आह्वान किया।

First Published : July 31, 2025 | 10:21 PM IST