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केंद्र सरकार ने सोमवार को लोकसभा में भारतीय प्रबंधन संस्थान (संशोधन) विधेयक, 2025 पेश किया, जिसके जरिए गुवाहाटी स्थित भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM Guwahati) को भारतीय प्रबंधन संस्थान अधिनियम, 2017 की अनुसूची में शामिल कर राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित करने का प्रस्ताव है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने यह विधेयक उस समय पेश किया जब सदन में बिहार में मतदाता सूची की विशेष पुनरीक्षण (SIR) को लेकर विपक्ष का शोरगुल जारी था।
सरकार ने बताया कि भारत सरकार, असम सरकार और उल्फा (ULFA) के प्रतिनिधियों के बीच राज्य के सर्वांगीण विकास के लिए स्मृति पत्र (MoS) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस MoS के अंतर्गत कई विकास परियोजनाओं को लागू किया जाएगा, जिनमें गुवाहाटी में IIM की स्थापना भी शामिल है।
विधेयक के उद्देश्यों में कहा गया है कि असम उन गिने-चुने राज्यों में से एक है जिसकी जनसंख्या तीन करोड़ से अधिक है, फिर भी वहां अभी तक कोई IIM स्थापित नहीं है। पिछले वर्षों में उच्च शिक्षा में पांच लाख से अधिक छात्र असम के विभिन्न संस्थानों में नामांकित हैं, जिससे क्षेत्र में उच्च स्तरीय प्रबंधन संस्थान की मांग काफी समय से उठ रही थी।
भारत सरकार ने 1961 में पहले दो IIMs की स्थापना कोलकाता और अहमदाबाद में की थी। इसके बाद समय-समय पर देश के विभिन्न हिस्सों में कुल 21 IIMs की स्थापना हो चुकी है। वर्ष 2017 में संसद ने एक अधिनियम पारित कर इन सभी को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान घोषित किया था। अब, IIM गुवाहाटी, जो इस विशेष विकास पैकेज का हिस्सा है, उसी श्रेणी में शामिल किया जाएगा, जिससे पूर्वोत्तर भारत के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण प्रबंधन शिक्षा का अवसर मिलेगा।
यह विधेयक असम के शैक्षिक विकास और पूर्वोत्तर क्षेत्र में प्रबंधन शिक्षा के विस्तार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। सरकार को उम्मीद है कि इससे न सिर्फ क्षेत्रीय संतुलन बनेगा, बल्कि युवाओं के लिए नौकरी और उद्यमिता के नए द्वार भी खुलेंगे।
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