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दोहा वार्ता है फायदे का सौदा

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 4:40 AM IST

पिछले सप्ताह कृषि और गैर-कृषि बाजार पर मध्यस्थता सूमहों के प्रमुखों ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में गतिरोध समाप्त करने और दोहा डेवलपमेंट राउंड (डीडीआर) को आगे बढ़ाने के लिए संशोधित वार्ता दस्तावेज जारी किए।


संशोधित दस्तावेजों ने आगामी सप्ताहों में कार्य में तेजी लाने के लिए एक मंच मुहैया कराया है। डब्ल्यूटीओ के कुछ सदस्यों ने इस पर तुरंत रोक लगाए जाने को कहा था। वास्तव में डीडीआर और डब्ल्यूटीओ की प्रासंगिकता को लेकर स्वतंत्र पर्यवेक्षकों द्वारा सवाल उठाए गए।

डब्ल्यूटीओ के महानिदेशक पास्कल लेमी को उम्मीद है कि वार्ता दस्तावेज में स्पष्ट तौर से डब्ल्यूटीओ सदस्यों में समाभिरूपता आएगी और इन दस्तावेजों से नए और महत्वपूर्ण चरण के लिए आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी। लेकिन बुनियादी सिद्धांतों का प्रयोग जारी रहेगा।

एक सच्चाई, जिसकी अनदेखी नहीं की जा सकती, वह है कई देशों में मतदाता यह नहीं समझते कि डब्ल्यूटीओ के नियम और दोहा चक्र की वार्ताएं उनके लिए फायदेमंद है। नेता लोगों को सकारात्मक सोच से अवगत कराने की कोशिश नहीं करते। वे हमेशा नकारात्मक सोचते हैं। उदाहरण के लिए भारत में सफल वाणिज्य मंत्रियों – मुरासोली मारन, अरुण जेटली और कमलनाथ – को वार्ताओं को टालने का श्रेय दिया जाता रहा है।

वार्ताओं को आगे बढ़ाने के लिए किए जाने वाले सकारात्मक योगदान से कोई भी अवगत नहीं है। डब्ल्यूटीओ के सदस्यों में कुछ वाणिज्य मंत्री ही इस बात से आश्वस्त हैं कि वे अपने संसदीय क्षेत्रों के लिए अच्छे व्यापार सौदे कर सकते हैं। जब अमेरिकी कांग्रेस ने अपने राष्ट्रपति को व्यापार सौदों को पूरा करने के लिए एक ‘फास्ट ट्रैक अथॉरिटी’ से लैस किया तो इसमें व्यापार वार्ताओं को बढ़ावा दिया गया था।

पिछले वर्ष ‘फास्ट ट्रैक अथॉरिटी’ के समाप्त होने से पहले तक  डीडीआर के निष्पादन पर विचार किया जाना बेहद जरूरी था। अब यह समझा जा रहा है कि कमलनाथ दोहा चरण के निष्पादन की अनुमति नहीं देंगे। यह न सिर्फ अमेरिका में अगले प्रशासन बल्कि भारत में अगली सरकार पर भी निर्भर करेगा जो यह निर्णय लेंगी कि डीडीआर को संपन्न किया जाए या नहीं।

डीडीआर अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू. बुश की धमकियों के बीच शुरू किया गया था। अमेरिकी राष्ट्रपति की धमकी मे कहा गया था ‘या तो आप हमारे साथ हों या हमारे खिलाफ’। इराक युद्ध के बाद अमेरिका का रवैया धीरे-धीरे नरम होने लगा। पिछले सात वर्षों में विश्व व्यापार में निर्धनतम देशों की भागीदारी उल्लेखनीय रूप से बढ़ी है। उनका संगठन दबावों से मुकाबला करने में सक्षम है। 1994 में मरक्का घोषणापत्र के तहत डब्ल्यूटीओ की स्थापना की गई थी जब निर्धनतम देशों इससे बहुत कम संख्या में जुड़े हुए थे।

विश्व व्यापार में वृद्धि पिछले वर्ष घट कर 5.5 फीसदी रह गई जो 2006 में 8.5 फीसदी थी और 2008 में इसमें और गिरावट आ सकती है। 2008 में यह 4.5 फीसदी रहने की संभावना है। विकसित देशों में आर्थिक विकास की गति में कमी उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों में मजबूत विकास को देखते हुए केवल आंशिक है। फिर भी व्यापार समझौता अविश्वनीय दिखता है जबकि कुछ लोग डीडीआर के लाभ को समझते हैं।

First Published : June 9, 2008 | 12:02 AM IST