वित्त मंत्रालय गुजरात उच्च न्यायालय के लीज होल्ड स्थानांतरण पर जीएसटी लागू नहीं होने के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दाखिल करने पर विचार कर रहा है। यह जानकारी एक सरकारी अधिकारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर दी है।
गुजरात उच्च न्यायालय ने जनवरी में फैसला दिया था कि गुजरात औद्योगिक विकास निगम (जीआईडीसी) की तीसरे पक्ष को दी गई भूमि में लीज होल्ड के अधिकार स्थानांतरित होने पर जीएसटी लागू नहीं होता है। यह फैसला सुयोग डाई बनाम भारत संघ के मामले में दिया था। इससे लीज स्थानांतरण के मामले में 18 प्रतिशत जीएसटी के मांग का सामना कर रही कई कंपनियों को राहत मिल गई थी। गुजरात और महाराष्ट्र में इस मद में देनदारियां करीब 8,000 करोड़ रुपये थी।
ऐसे में मुख्य कानूनी मुद्दा यह था कि लीजहोल्ड या औद्योगिक भूमि के स्थानांतरण पर क्या जीएसटी लगाया जाना चाहिए। ऐसे लेन देन पहले ही राज्य के लगाए गए स्टांप शुल्क के अधीन हैं। उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता के इस तर्क को स्वीकार किया था कि ऐसे स्थानांतरण के भूखंड की बिक्री के रूप में देखा जाना चाहिए और यह स्पष्ट रूप से जीएसटी के बाहर रखा गया है।
अधिकारी ने बताया, ‘गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले से सरकार को संभावित राजस्व नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। हम न्यायालय के आदेश के खिलाफ विशेष याचिका दाखिल करने की प्रक्रिया में हैं। ऐसे मामले अन्य न्यायालयों में भी लंबित हैं। इस क्रम में बंबई उच्च न्यायालय में भी मामला लंबित है। इन लंबित मामलों के मद्देनजर हम गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील करने की योजना बना रहे हैं।’
खेतान ऐंड कंपनी के पार्टनर मयंक जैन ने इस घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए कहा कि गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दिए जाने से ऐसी मांगों का सामना कर रहे करदाताओं को निश्चित रूप से चिंताएं बढ़ेंगी। उन्होंने कहा, ‘सर्वोच्च न्यायालय को इस मुद्दे को प्राथमिकता देनी चाहिए और इसे सफारी रिट्रीट की तरह नहीं छोड़ना चाहिए। सफारी रिट्रीट को पूर्व तिथि के संशोधन के जरिये विधायी रूप से खारिज कर दिया गया था।’
रस्तोगी चैम्बर्स के संस्थापक अभिषेक रस्तोगी ने बताया कि जीएसटी प्रारूप भूखंड और इमारत की बिक्री पर लागू नहीं होता है। उन्होंने बताया, ‘इसे बाहर रखने में कोई बदलाव होने से कर में खासी गिरावट और दोहरा कराधान हो सकता है।’