पंजाब के किसानों के लिए एक अच्छी खबर है। दरअसल, पंजाब की जमीन वैसे ही बेहद उपजाऊ मानी जाती रही है, लेकिन अब वहां के किसानों की जमीन ‘सोना’ उगलेगी।
कहने का मतलब यह है कि विभिन्न परियोजनाओं के लिए अधिग्रहित की जाने वाली जमीन के मुआवजे के तौर पर किसानों को मोटी रकम मिलेगी। कुछ ऐसा ही हुआ जुहेरी गांव के धरम सिंह के साथ। कुछ दिन पहले तक वे साधारण किसान थे, लेकिन अब करोड़पति बन गए हैं।
दरअसल, उनकी जमीन चंडीगढ़ अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के विस्तारीकरण के लिए अधिग्रहित की गई है और पंजाब सरकार ने घोषणा की है कि एयरपोर्ट के लिए अधिग्रहित की जाने वाली जमीन के एवज में किसानों को प्रति एकड़ 1.5 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाएगा।
सरकार के इस कदम से किसानों के तो पौ बारह होंगे, लेकिन सरकारी व निजी क्षेत्रों की अन्य परियोजनाओं के विकास पर असर पड़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि एयरपोर्ट के लिए तय की गई रकम का असर राज्य के विभिन्न इलाकों की जमीन की कीमत पर भी पड़ेगा। दूसरे शब्दों में कहें, तो यह रकम अन्य इलाकों की जमीन के लिए मानक साबित हो सकती है।
अन्य परियोजनाओं, जिनके लिए भूमि का अधिग्रहण किया जाना है, उनमें राजपुरा थर्मल पावर प्लांट (1000 एकड़) औैर वाघा इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट (120 एकड़ जमीन पंजाब सरकार केंद्र के लिए अधिग्रहित करेगी) शामिल हैं।
राज्य सरकार ने चंडीगढ़ अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के लिए अधिग्रहित जमीन के एवज में किसानों को प्रति एकड़ 1.5 करोड़ रुपये का मुआवजा दे रही है। खास बात यह कि प्रारंभिक तौर पर पंजाब सरकार अधिग्रहित जमीन के लिए पूरी राशि का भुगतान करेगी, लेकिन बाद में हरियाण सरकार को मुआवजा की आधी रकम का भुगतान करना होगा।
ऐसा इसलिए, क्योंकि प्रस्तावित चंडीगढ़ एयरपोर्ट में हरियाणा की हिस्सेदारी 24.5 फीसदी होगी। राज्य सरकार किसानों के हित में एक कदम और उठाने योजना बना रही है। दरअसल, भविष्य में सरकार ऐसा नियम बना सकती है कि मुआवजे की रकम मिलने के दो साल के अंदर तक अगर कोई किसान राज्य में कहीं भी जमीन खरीदता है, तो उसे स्टांप डयूटी और पंजीकरण शुल्क नहीं देना पड़ेगा।
गौरतलब है कि प्रस्तावित एयरपोर्ट के लिए राज्य सरकार की ओर से 306 एकड़ और 18 मारला जमीन का अधिग्रहण किया जाना है, जिसकी कीमत करीब 460 करोड़ रुपये होगी। राज्य सरकार की ओर से मुआवजे के रूप में दी जाने वाली यह अब तक की सबसे बड़ी रकम होगी। इससे पहले, मोहाली के सेक्टर 81 स्थित एसएएस नगर में प्रस्तावित ‘नॉलेज सिटी’ के लिए 64 लाख रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से 381 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जा चुका है।
उधर, राजपुरा थर्मल प्लांट के लिए अधिग्रहित की जाने वाली जमीन के लिए अभी मुआवजे की रकम तय नहीं की गई है, जबकि वाघा के समीप बसे किसान पूर्व निर्धारित दर पर अपनी जमीन बेचने को तैयार नहीं हैं। उपायुक्त केएस पन्नु नेबताया कि अवस्थिति के मुताबिक मुआवजा की रकम व जमीन को तीन वर्गों में बांटा जाता है।
पहला, मुख्य मार्ग के किनारे स्थित जमीन के लिए 45 लाख रुपये प्रति एकड़, लिंक रोड के समीप स्थित जमीन के लिए 24 लाख रुपये प्र्रति एकड़ और अन्य इलाकों की जमीन के लिए 20 लाख रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा दिया जाता रहा है।