कामत समिति द्वारा मूल कंपनी के ऋण की तुलना में परियोजना स्तर पर ऋण पुनर्गठन अनिवार्य किए जाने से परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने में मदद मिलेगी और इसके परिणामस्वरूप डेवलपरों को अटकी हुई परियोजनाओं में तेजी से सुधार के लिए सहायता मिलेगी। यह कहना है रियल एस्टेट के बिल्डरों और विशेषज्ञों का।
ओबेरॉय रियल्टी के चेयरमैन विकास ओबेरॉय ने कहा कि समिति ने मुख्य कंपनी से परिसंपत्ति के ऋण को अलग कर दिया है और वह परियोजना की व्यावहारिकता को देख रही है। मुझे इस बात का डर है कि अधिकांश रियल एस्टेट परियोजनाओं में, जितना वे वहन कर सकती हैं, उस मूल्य (परिसंपत्ति के) से अधिक ऋण है इसलिए इसमें कुछ कमी करनी होगी। रियल एस्टेट कंपनियां आम तौर पर प्रत्येक परियोजना के लिए मूल कंपनी की सहायक कंपनियों के रूप में अलग-अलग विशेष प्रयोजन वाली कंपनियां (एसपीवी) बनाती हैं। हालांकि कुछ परियोजना को स्थान और अन्य कारकों के कारण अच्छी प्रतिक्रिया भी मिल सकती है।
इस योजना के अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक की विशेष समाधान सुविधा के जरिये ऋणदाता कोविड-19 से प्रभावित परिसंपत्तियों से संबंधित निर्धारित रूपरेखा के आधार पर ऋणों का एकमुश्त पुनर्गठन उपलब्ध करा पाएंगे। जेएलएल के मुख्य कार्याधिकारी और देश प्रमुख (भारत) रमेश नायर ने कहा कि इससे प्रमुख कच्चे माल की आपूर्तिकर्ताओं समेत रियल एस्टेट डेवलपर्स को अपना ऋण पुनव्र्यवस्थित करने और समझदारी के साथ अपने ऋण की नई अवधि से लाभान्वित होने की उम्मीद है। इसके अलावा इससे कंपनियां अपना कारोबार नए जोश और जीवटता के साथ दोबारा सामान्य रूप से शुरू करने पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगी। केंद्रीय बैंक के उदार रुख के साथ-साथ ब्याज की कम दरें उपभोक्ता धारणा के पुनर्निर्माण में मदद
करेंगी जिससे खपत में मदद मिलेगी। आरबीआई ने आईसीए के अंतर-लेनदारों के समझौता तंत्र को मजबूत करने की मांग की है। इसने स्पष्ट किया है कि आईसीए अनिवार्य है और आईसीए के हस्ताक्षर के अनुपालन का मूल्यांकन इसकी पर्यवेक्षी समीक्षा के हिस्से के रूप में किया जाएगा।