जीएसटी के तहत गिरफ्तारी के प्रावधान की संवैधानिक वैधता पर उठे सवाल

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 6:07 AM IST

कंपनियों ने उच्चतम न्यायालय में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के मौजूदा प्रारूप में गिरफ्तारी के प्रावधान की संवैधानिक वैधता को लेकर सवाल उठाए हैं। न्यायालय ने गिरफ्तारी के प्रावधानों और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) को सीमा शुल्क अधिनियम में लागू करने  जीएसटी और धनशोधन रोकशाम अधिनियम (पीएमएलए) व अन्य संबंधित कानूनों के विभिन्न पहलुओं पर आज चर्चा की। यह सुनवाई गुरुवार को  जारी रहेगी।
कंपनियों की ओर से न्यायालय के समक्ष पक्ष रखते हुए वकील अभिषेक रस्तोगी ने कहा कि देश में जीएसटी के तहत गिरफ्तारी से कई तरह की चिंता पैदा हुई है। खेतान ऐंड कंपनी के पार्टनर रस्तोगी ने कहा कि राजस्व चोरी को लेकर चिंता स्वाभाविक है, जिसे समझा जा सकता है लेकिन इस तरह की गिरफ्तारियों में इस बात को भी लेकर चिंता है कि क्या यह पूरी तरह स्वीकार्य, न्यायिक रूप से परखा हुआ, उचित प्रक्रिया के पालन के साथ हो रहा है।
उन्होंने कहा, ‘ऐसे में यह अहम है कि न्यायपालिका हस्तक्षेप करे और यह सुनिश्चित करे कि इस तरह की गिरफ्तारी में नागरिकों के संवैधानक मूल अधिकारों का हनन नहीं हो रहा है। जीएसटी के तहत गिरफ्तारियों में सीआरपीसी प्रावधानों में कुछ खास दृष्टिकोण नहीं है ऐसे में न्यायालय को आधिकारियों के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश देना चाहिए, जिसके तहत गिरफ्तारी हो और अगर किसी नागरिक अधिकारों का पालन न हो तो वह राहत के लिए न्याय की शरण में जा सके।’
करदाताओं ने सवाल उठाए कि क्या उन्हें जांच के पहले और अपराध जमानती के रूप में होने के बावजूद  दोषी बता दिया जाएगा और इसमें प्रक्रियाओं का पालन नहीं होगा।
केंद्रीय जीएसटी अधिनियम की धारा 69 में जीएसटी आयुक्तों को शक्ति है कि अगर कोई व्यक्ति धोखाधड़ी वाले आईटीसी का दावा किया है और ऐसा मानने का आधार है तो उसे गिरफ्तार किया जा सकता है। अगर कोई धोखाधड़ी वालेदावोंं में लिप्त पाया जाता है गिरफ्तार व्यक्ति को 5 साल तक की सजा दी जा सकती है।
रस्तोगी ने कहा, ‘उचित प्रकिया के  तहत अपराध साबित होने पर ही गिरफ्तारी हो सकती है। इसमें सीजीएसटी अधिनियम की धारा 69 के उस प्रावधान के बारे में चर्चा हुई, जिसमें कहा गया है कि ऐसा मानने की वजह हो।’
न्यायालय ने आपूर्ति और मांग आपूर्ति की अवधारणा पर सुनवाई की, जिसे गिरफ्तारी के पीछे की मूल अवधारणा बनाया गया है।
सीजीएसटी अधिनियम की धारा 16, जिसका संबंध आईटीसी से है, में साफ कहा गया है कि वस्तुओं की आवाजाही जरूरी नहीं है कि वस्तुओं की आपूर्ति के लिए हो। रस्तोगी ने कहा कि यह सीजीएसटी ऐक्ट की धारा 16 (2) के स्पस्टीकरण में साफ किया गया है। रस्तोगी ने कहा कि उदाहरण के लिए अगर कोई सामान कोलकाता में पड़ा है औक कंपनी मुंबई में है और दिल्ली के डीलर से वस्तु की आपूर्ति करने के लिए कहती है तो संभव है कि वस्तु कोलकाता से न जाए लेकिन आपूर्ति हुई होगी अगर व्यक्ति ने डीलर को धन दिया है और रसीद ली है।

First Published : April 9, 2021 | 12:24 AM IST