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माया करें चिरौरी, केंद्र दिखाए ठेंगा

Last Updated- December 10, 2022 | 5:32 PM IST

दिल्ली के पास ग्रेटर नोएडा में इंटरनेशनल एयरपोर्ट का मायावती का ख्वाब शायद केंद्र सरकार को सुहा नहीं रहा है।


इसी वजह से इस परियोजना के लिए तमाम मशक्कत के बावजूद केंद्र ने अभी तक यूपी सरकार को इसकी हरी झंडी नहीं दिखाई है।2001 में मायावती के सत्ता में आने के बाद इसका प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया था।


2007 में दोबारा यूपी की कुर्सी पर मायावती के काबिज होने के बाद फिर एक बार इसकी मंजूरी की कवायद तेज हो गई है। अभी तक केंद्र से इसकी मंजूरी न मिलने से खफा मायावती अब केंद्र पर ही दोषारोपण करने में जुट गई हैं।


यूपी सरकार का कहना है कि गौतमबुद्ध नगर जिले के जेवर गांव में प्रस्तावित ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट हब परियोजना में हो रही देरी के लिए केंद्र की मंजूरी नहीं मिलने की वजह से हो रही है। उल्लेखनीय है कि जेवर में 3,500 करोड़ रुपये की लगात का प्रस्तावित ताज इंटरनेशनल एयापोर्ट हब भारत का सबसे बेहतरीन और अत्याधुनिक हवाईअड्डा होगा, जहां यात्रियों को तमाम तरह की सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी।


यूपी के आधारभूत एवं औद्योगिक विकास विभाग की सचिव अर्चना अग्रवाल ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि केंद्र से प्रस्तावित एयरपोर्ट की मंजूरी का इंतजार किया जा रहा है। दरअसल, केंद्र से हरी झंडी मिलने के बाद ही इस परियोजना के लिए बोली प्रक्रिया शुरू की जाएगी।


सरकार का यह भी कहना है कि मायावती के सत्ता में आने के बाद 30,000 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला बलिया-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस वे का काम सही ढंग से चल रहा है, जबकि प्रस्तावित एयरपोर्ट परियोजना 2001 से ही अटकी पड़ी है।


गौरतलब है कि सार्वजनिक-निजी साझेदारी (पीपीपी) के तहत शुरू की जाने वाली इस परियोजना के लिए जेवर में करीब 1,500 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाना है। दरअसल, इसे एविएशन हब के रूप में विकसित किया जाना है, जहां अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए यात्री और कार्गो सेवा मुहैया कराई जाएगी। इसके साथ ही एयरपोर्ट के समीप व्यावसायिक, रिहाइश और शॉपिंग कॉम्प्लेक्सों का निर्माण भी प्रस्तावित है।


बलिया-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस वे से भी एयरपोर्ट हब को फायदा पहुंचेगा। इस परियोजना को जेपी ग्रुप को सौंपा गया है।एयरपोर्ट हब के लिए तकनीकी परीक्षण पूरी हो चुकी है और उसकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दिया गया है। राज्य सरकार की ओर से एक प्रतिनिधि को भी नागरिक उडययन मंत्रालय में भेजा गया है, जो मंत्रालय को इस बारे में बता सके कि परियोजना की अनुमति के लिए मंत्रियों की बैठक बुलाई जाए।


अग्रवाल का कहना है कि कैबिनेट सचिव इस बैठक की अध्यक्षता करें और परियोजना में आ रही अड़चनों को दूर कर इसे हरी झंडी दिखाएं। अग्रवाल का कहना है कि देश में एविएशन सेक्टर 21 फीसदी की दर से विकास कर रहा है। ऐसे में इस एयरपोर्ट हब के निर्माण से क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।


दरअसल, इस परियोजना में सबसे बड़ी अड़चन यह है कि नियमानुसार, 150 किलोमीटर के अंदर दूसरा इंटरनेशनल एयरपोर्ट नहीं हो सकता है, जबकि नई दिल्ली में इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहले से ही मौजूद है।


हालांकि केंद्र सरकार इस नियम में छूट दे सकती है, क्योंकि उसने मुंबई के पास नवी मुंबई में प्रस्तावित एक अन्य एयरपोर्ट को अनुमति दे चुकी है। सच तो यह है कि इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर बढ़ रहे यात्री दबाव के कारण राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में एक अन्य एयरपोर्ट का होना समय की जरूरत है। इस परियोजना के पूरा होने की अनुमानित समय 2010 तय की गई है।

First Published - April 9, 2008 | 1:32 AM IST

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