आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने रेलवे की जमीन के औद्योगिक इस्तेमाल के लिए लंबी अवधि के पट्टे की संशोधित नीति को आज मंजूरी दे दी। नई नीति से रेलवे की जमीन के पट्टे का शुल्क उसके बाजार मूल्य के 6 फीसदी से घटकर 1.5 फीसदी हो सकता है। साथ ही जमीन को अब 35 साल के लिए पट्टे पर दिया जा सकेगा। अभी 5 साल के पट्टे का ही प्रावधान है।
मंत्रिमंडल की बैठक के बाद बयान में दावा किया गया कि पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान को सुचारु तरीके से लागू करने के लिए नीति में कुछ बदलाव किया गया है। मगर सरकार और क्षेत्र से जुड़े सूत्रों ने संकेत दिया कि इस संशोधन का मकसद कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (कॉनकॉर) का रणनीतिक विनिवेश सुगम बनाना है।
बयान के अनुसार रेलवे की जमीन पट्टे पर देने की नीति को उदार बनाने से सभी हितधारकों, सेवा प्रदाताओं और ऑपरेटरों के लिए ज्यादा कार्गो संबंधी सुविधाएं स्थापित की जा सकेंगी। इससे रेलवे के लिए अतिरिक्त कार्गो यातायात एवं माल ढुलाई राजस्व पैदा करने में उनकी भागीदारी की राह भी बनेगी। मगर लाइसेंस शुल्क में सालाना कितनी बढ़ोतरी होगी, इसके बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
केंद्र सरकार ने नवंबर, 2019 को कॉनकॉर के निजीकरण को मंजूरी दी थी। लेकिन पट्टा शुल्क पर अनिश्चितता की वजह से इसका विनिवेश नहीं हो पाया था। जमीन के पट्टे का लाइसेंस शुल्क हर तीन साल में बदल जाता है मगर नई नीति से कॉनकॉर के संभावित खरीदारों के बीच अगले 35 साल के लिए शुल्क पर स्पष्टता रहेगी। इस कदम से जमीन के मामले में स्पष्टता आएगी क्योंकि कॉनकॉर का कारोबार जमीन पर ही निर्भर है। नीति अधिसूचित होने के बाद निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग कॉनकॉर के निजीकरण के लिए अभिरुचि दस्तावेज बनाने की तैयारी शुरू कर देगा।
कॉनकॉर में सरकार की 54.80 फीसदी हिस्सेदारी है, जिसमें से 30.8 फीसदी हिस्सेदारी की बिक्री की जाएगी और कंपनी प्रबंधन पर भी खरीदार का नियंत्रण हो जाएगा। कॉनकॉर के शेयर के आज के बंद भाव के आधार पर इस विनिवेश से सरकार 13,630 करोड़ रुपये से अधिक जुटा सकती है। कॉनकॉर के पास 61 कंटेनर डिपो हैं, जिनमें से 26 रेलवे की जमीन के पट्टे पर हैं और जिनके लिए प्रति कंटेनर लाइसेंस शुल्क चुकाना होता है।
नीति आयोग ने भी कंटेनरों के लिए रेलवे की जमीन का शुल्क 3 फीसदी से कम रखने का सुझाव दिया था। सूत्रों ने कहा कि औद्योगिक उपयोग वाली जमीन का पट्टा किराया अधिक होने की वजह से ही सरकार को कॉनकॉर का विनिवेश करने में दिक्कत आ रही थी। इस उद्योग से जुड़े मुंबई के एक विशेषज्ञ ने कहा कि नई नीति को मंजूरी मिलने के बाद निजी क्षेत्र की कई चिंताएं दूर हो सकती हैं। निजी क्षेत्र इस बारे में भी स्पष्टता चाहेगा कि कॉनकॉर के विनिवेश के बाद पट्टा नीति किस तरह रहती है। रेल मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि कार्गो टर्मिनल के लिए रेलवे की जमीन का उपयोग करने वाली इकाइयों के पास पारदर्शी और प्रतिस्पर्द्धी बोली प्रक्रिया के बाद नई नीति अपनाने का विकल्प होगा। उन्होंने कहा कि नई नीति अगले 90 दिन में लागू हो जाएगी।
केंद्र नई भूमि उपयोग नीति से पीएम गति शक्ति योजना के तहत मल्टीमोड एकीकरण को बढ़ावा देने और लॉजिस्टिक लागत कम करने की उम्मीद कर रहा है। सूत्रों ने कहा कि इसके तहत अगले पांच वर्ष में 300 पीएम गति शक्ति कार्गो टर्मिनल विकसित किए जाएंगे और1.25 लाख रोजगार सृजित होने की संभावना है।