भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और पावरग्रिड के बुनियादी ढांचा निवेश न्यास (इनविट) की सफलता के बाद केंद्र सरकार 6 लाख करोड़ रुपये की राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन के तहत रेलवे, जहाजरानी, गैस पाइपलाइन और अन्य क्षेत्रों के लिए भी इनविट लाने की तैयारी कर रही है।
बिज़नेस स्टैंडर्ड को पता चला है कि वित्त मंत्रालय बुनियादी ढांचे से जुड़े विभागों को इनविट लाने के लिए कह रहा है और रेलवे एवं जहाजरानी मंत्रालयों तथा गेल लिमिटेड में इनविट के परीक्षण हो रहे हैं। केंद्र चालू वित्त वर्ष में कुछ खास क्षेत्रों के और भी इनविट लाने की योजना बना रहा है।
वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘सड़क और बिजली के बाद अगला कदम यह देखना है कि अन्य क्षेत्रों में किन सरकारी परिसपत्तियों का इनविट के जरिये मुद्रीकरण किया जा सकता है। यह बड़े संस्थागत निवेशकों से धन जुटाने का आकर्षक रास्ता है।’
रेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘हमारे लिए परिसंपत्ति मुद्रीकरण अत्यंत शुरुआती अवस्था में है, इसलिए हम नए सिरे से अपने मुद्रीकरण के तरीके बनाने की कोशिश कर रहे हैं और वास्तव में हम इनविट को भी विकल्प के तौर पर देख रहे हैं। शीर्ष स्तर से हमें साफ तौर पर मुद्रीकरण के लिए कहा जा रहा है।’ जहाजरानी और अन्य मंत्रालयों में इनविट पर काम किया जा रहा है।
इनविट म्युचुअल फंड की तरह सामूहिक निवेश योजना है। इसमें व्यक्तिगत या संस्थागत निवेशक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में सीधे निवेश कर सकते हैं और उसका प्रतिफल उनकी आमदनी का एक हिस्सा बन सकता है।
बहुत से निजी क्षेत्र के इनविट बीएसई और एनएसई में सूचीबद्ध हैं। सरकार के स्वामित्व वाली कंपनियां दो इनविट- नैशनल हाइवे इन्फ्रा ट्रस्ट और पावरग्रिड इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट ला चुकी हैं।
एनएचएआई का इनविट पिछले साल अक्टूबर में शुरू किया गया था। इसमें कनाडा पेंशन प्लान इन्वेस्टमेंट बोर्ड और ओंटारियो टीचर्स पेंशन प्लान बोर्ड एंकर निवेशक थे। इसके जरिये 5,000 करोड़ रुपये जुटाए गए थे। शुरुआत में इसमें कुल 400 किलोमीटर के पांच चालू टोल रोड शामिल थे। ये टोल रोड राजस्थान, गुजरात, तेलंगाना और कर्नाटक में हैं। पावरग्रिड का इनविट मई 2021 में सूचीबद्ध हुआ और खबरों के मुताबिक कंपनी वित्त वर्ष 2023 में 7,500 करोड़ रुपये की परियोजनाओं के लिए इनविट के जरिये रकम जुटाएगी।
डेलॉयट में पार्टनर कौशल कुमार सिंह ने कहा, ‘इनविट अगली पीढ़ी की पीपीपी परियोजनाएं हैं। इसमें मौके हैं, जिनमें लोग निवेश करना चाहेंगे। शुल्क नियमन, सरकार की भूमिका एवं जिम्मेदारी और जोखिम आवंटन ढांचा सफलता के लिए अहम होंगे।’