फाइजर का टीका नहीं खरीदेगा भारत!

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 14, 2022 | 8:18 PM IST

भारत कोविड-19 महामारी से बचाव के लिए फाइजर-बायोनटेक का टीका नहीं खरीद सकता है। सरकार से अब तक जो संकेत मिले हैं कम से कम फिलहाल तो ऐसा ही लग रहा है। वरिष्ठ अधिकारियों ने ऐसे संकेत दिए हैं कि अमेरिकी की दवा कंपनी फाइजर का एमआरएनए टीका देश में टीकाकरण अभियान के लिहाज से खासा महंगा साबित हो सकता है, इसलिए सरकार किसी दूसरे विकल्प पर विचार कर सकती है। दूसरी तरफ ब्रिटेन के साथ अब अमेरिका ने भी फाइजर के टीके के इस्तेमाल की अनुमति दे दी है।
फाइजर के टीके की एक खुराक की कीमत 37 डॉलर है जबकि इसके मुकाबले ऑक्सफर्ड-एस्ट्राजेनेका के टीके कोविडशील्ड की एक खुराक की कीमत महज 3 डॉलर है। रूस में विकसित स्पूतनिक-5 की कीमत करीब 10 डॉलर है। देश में ही विकसित भारत बायोटेक और जायडस कै डिला के टीके की कीमत 3 से 6 डॉलर के बीच हो सकती है। टीके की कीमत के अलावा इसके रखरखाव पर भी अतिरिक्त खर्च आएगा।
बर्नस्टीन के विश्लेषकों के अनुसार भारत सरकार संभवत: 68 करोड़ खुराक खरीद सकती है, जिस पर 3 डॉलर प्रति खुराक के हिसाब से 1.9 अरब डॉलर खर्च आएगा। 37 डॉलर प्रति खुराक की दर से सरकार को 12 गुना अधिक रकम खर्च करनी पड़ सकती है। अगर सरकार देश की पूरी आबादी को टीका लगाने की योजना बनाती है तो इसके लिए 6 अरब डॉलर रकम (3 डॉलर प्रति खुराक की दर से)का प्रावधान करना पड़ सकता है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि जो लोग इस टीके का खर्च वहन कर सकते हैं सरकार उन्हें भुगतान करने के लिए कह सकती है। टीके के लिए रकम के प्रावधान पर अधिकारी ने कहा कि  सरकार टीकाकरण पर आने वाले खर्च का वहन करनेके लिए तैयार है। अधिकारी ने इशारों में कहा कि केंद्रीय बजट में टीकाकरण के मद में पर्याप्त रकम का प्रावधान किया जाएगा, जिनमें टीके के रखरखाव एवं परिवहन पर आने वाले खर्च भी शामिल होंगे।
इस पूरे मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने कहा, ‘अधिक कीमत और सार्वजनिक  स्वास्थ्य ढांचे के मद्देनजर इस विषय पर गहन मंथन हो रहा है कि फाइजर का टीका देश के लोगों के लिए उपयुक्त होगा या नहीं। राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान के लिए फाइजर का टीका दो कारणों से उपयुक्त नहीं हो सकता है। पहली बात तो यह महंगा होगा और दूसरी अहम बात यह है कि इसे शून्य से कम तापमान पर रखने की व्यवस्था करनी होगी, जो आसान काम नहीं होगा।’
फाइजर ने पहले ही संकेत दे दिया है कि महामारी के दौरान वह केवल सरकारी अनुबंध के तहत ही टीके की आपूर्ति करेगी। इसका मतलब हुआ कि भारत में नियामक की अनुमति मिलने के बाद भी भारत में यह टीका उपलब्ध नहीं हो पाएगा कि क्योंकि कंपनी तत्काल इसकी बाजारों में आपूर्ति नहीं करेगी।
इस बीच, सूत्रों ने कहा है कि सब्जेक्ट एस्पर्ट कमिटी (एसईसी) का कहना है कि यह टीका एक  नई तकनीक पर आधारित है, इसलिए भारत में कम से कम 1,600-2,000 लोगों पर इस टीके के परीक्षण के आंकड़े उपलब्ध होने चाहिए। इसका आशय है कि फाइजर को भारत के लोगों पर टीके के असर और इससे उत्पन्न प्रतिरोधी क्षमता साबित करने के लिए इसका परीक्षण करना होगा। एसईसी टीका पर अनुमति देने के विषय पर दवा नियामक को सलाह देती है। फाइजर से जब यह पूछा गया कि वैश्विक परीक्षणों में कितने भारतीय शरीक हुए थे और क्या वह यहां नियामक के कहने पर परीक्षण के लिए तैयार है तो कंपनी ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की।

First Published : December 13, 2020 | 11:18 PM IST