राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने का स्पष्ट संकेत देते हुए बुधवार को कहा कि पार्टी के लोगों का जो फैसला होगा, उसे वह मानेंगे। दिल्ली पहुंचे गहलोत ने यह भी कहा कि वह कोच्चि जाकर राहुल गांधी को इस बात के लिए मनाने का आखिरी प्रयास करेंगे कि वह पार्टी अध्यक्ष का पद संभालें। उनका कहना था कि राहुल गांधी से बातचीत करने के बाद ही वह तय करेंगे कि आगे क्या करना है।
गहलोत ने कहा, ‘मुझे कांग्रेस की सेवा करनी है। 40-50 साल से पार्टी की सेवा कर रहे हैं जहां भी मेरा उपयोग है, मैं वहां तैयार रहूंगा, अगर पार्टी के लोगों लगता है कि मेरी मुख्यमंत्री के रूप में जरूरत है, या अध्यक्ष के रूप में जरूरत है तो मैं मना नहीं कर पाऊंगा।’ गहलोत ने कहा, ‘अगर मेरा बस चले तो मैं किसी भी पद पर नहीं रहूं। मैं राहुल गांधी के साथ सड़क पर उतरूं और फासीवादी लोगों के खिलाफ मोर्चा खोलूं।’ उनका कहना था, ‘मुझे पार्टी ने सब कुछ दिया है, आज अगर पार्टी संकट में है तो इनके (भाजपा के) कारनामों के कारण है, हमारी गलतियों से नहीं है। आज जो स्थिति है उसमें कांग्रेस का मजबूत होना जरूरी है। कांग्रेस की मजबूती के लिए जहां जरूरत होगी, वहां मैं खड़ा रहूंगा। उन्होंने कहा, ‘मैं कोच्चि जाऊंगा और आखिरी बार राहुल गांधी को मनाने का प्रयास करूंगा। प्रदेश कांग्रेस कमेटी में मैंने ही प्रस्ताव रखा था कि उन्हें अध्यक्ष बनना चाहिए। उन्हें मैं मनाने का प्रयास करूंगा, उसके बाद तय करूंगा।’ गहलोत ने कहा कि राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ करेंगे तो पार्टी के लिए एक अलग माहौल बनेगा। यह पूछे जाने पर कि अध्यक्ष बन जाने की स्थिति में वह मुख्यमंत्री भी बने रहेंगे तो उन्होंने एक मिसाल देते हुए कहा कि अगर किसी राज्य का मंत्री कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में खड़ा होता है तो वह मंत्री बना रह सकता है और चुनाव भी लड़ सकता है। उन्होंने कहा, ‘यह समय बताएगा कि मैं (मुख्यमंत्री) रहूंगा या नहीं। मैं वहां रहना चाहूंगा कि जहां मुझसे पार्टी को फायदा हो। मैं इसमें पीछे नहीं हटूंगा।’
पार्टी के एक अन्य वरिष्ठ नेता शशि थरूर से अध्यक्ष पद के चुनाव में मुकाबले की संभावना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘मुकाबला होना चाहिए ताकि लोगों को मालूम पड़े कि पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र है। यह आंतरिक लोकतंत्र के लिए अच्छा है। क्या भाजपा में पता चलता है कि राजनाथ सिंह कैसे अध्यक्ष बन गए और जे पी नड्डा कैसे अध्यक्ष बन गए?’ यह पूछे जाने पर कि उनके अध्यक्ष बन जाने पर राजस्थान के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी कौन संभालेगा तो उन्होंने कहा, ‘अभी तो मैं मुख्यमंत्री हूं।’