हाल में उदयपुर में पार्टी मामलों पर मंत्रणा के लिए आयोजित नव संकल्प चिंतन शिविर में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने घोषणा करते हुए कहा, ‘मैंने देश का एक रुपया नहीं लिया है, मुझे किसी बात का भय नहीं है और मैं संघर्ष करूंगा।’ वहां मौजूद लोगों ने इस बात पर जोरदार तालियों के साथ उनका स्वागत किया। संभव है कि उन्हें आगे के किसी घटनाक्रम का अंदेशा हो रहा हो।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने समाचार पत्र ‘नैशनल हेरल्ड’ का स्वामित्व रखने वाली पार्टी की कंपनी यंग इंडियन में कथित वित्तीय अनियमितता से जुड़े धनशोधन के एक मामले में पूछताछ के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी नेता राहुल गांधी को बुधवार को समन जारी किया।
सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय एजेंसी, धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत गांधी परिवार द्वारा कथित रूप से 414 करोड़ रुपये की संपत्ति, गैर-कानूनी लाभ के रूप में हासिल करने के मामले की जांच कर रही है। यह जांच एजेंसी, गांधी परिवार द्वारा चलाए जा रहे ट्रस्ट के खातों और हवाला मामलों में कंपनी (अखबार) के शामिल होने की संभावनाओं की जांच कर रही है।
राहुल गांधी इस वक्त देश से बाहर हैं और पार्टी का कहना है कि वह 2 जून को ईडी के सामने पेश नहीं हो पाएंगे। सोनिया गांधी 8 जून को ईडी के सामने पेश होंगी।
इस कहानी की शुरुआत 1937 में हुई जब जवाहर लाल नेहरू ने एक कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की शुरुआत की जिसमें 5,000 अन्य स्वतंत्रता सेनानियों को शेयरधारक बनाया गया। कंपनी किसी एक व्यक्ति से विशेषतौर पर नहीं जुड़ी थी। वर्ष 2010 में कंपनी में 1,057 शेयरधारक थे। एजेएल ने वर्ष 2008 तक अंग्रेजी में नैशनल हेरल्ड, उर्दू में कौमी आवाज और हिंदी में नवजीवन का प्रकाशन कराया। इस पर करीब 90 करोड़ रुपये का बकाया था और आखिरकार इसे बंद कर दिया गया। लेकिन इसके पास दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, पटना और पंचकूला में काफी महंगी रियल एस्टेट संपत्ति थी।
वर्ष 2010 में यंग इंडिया लिमिटेड (वाईआईएल) कंपनी बनी जिसके निदेशक राहुल गांधी बनाए गए जो उन दिनों कांग्रेस पार्टी के महासचिव थे। राहुल गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी के पास कंपनी के 76 फीसदी शेयर थे जबकि बाकी के 24 प्रतिशत शेयर कांग्रेसी नेताओं मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिस के पास थे। दोनों नेताओं का निधन हो चुका है। ऐसा कहा गया कि कंपनी का कोई व्यावसायिक संचालन नहीं होता है। यंग इंडिया लिमिटेड ने अपने गठन के तुरंत बाद ही एजेएल का अधिग्रहण कर लिया।
वर्ष 2012 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता और अधिवक्ता सुब्रमण्यन स्वामी ने एक निचली अदालत के सामने शिकायत दर्ज कराई थी और आरोप लगाया था कि यंग इंडिया लिमिटेड (वाईआईएल) द्वारा एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के अधिग्रहण में कुछ कांग्रेस नेताओं ने धोखाधड़ी की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि यंग इंडिया लिमिटेड ने नैशनल हेरल्ड की संपत्ति पर ‘दुर्भावनापूर्ण’ तरीके से ‘कब्जा’ कर लिया। आरोप यह था कि कंपनी के निदेशकों ने कंपनी अधिनियम, 1956 के प्रावधानों का उल्लंघन किया था।
इस मामले में ईडी की जांच के मुताबिक इस अधिग्रहण के दो लक्ष्य थे, पहला, एजेएल की कारोबारी संपत्ति से जुड़े अहम लाभ हासिल करना और इससे होने वाली कारोबारी आमदनी पर कर का भुगतान न करना। उनका कहना है कि इस अधिग्रहण में फर्जी लेन-देन का मामला भी शामिल है जिसके तहत 90.21 करोड़ रुपये के उस ऋण को खरीदने के लिए कांग्रेस पार्टी ने 50 लाख रुपये चुकाए जिसका कोई अस्तित्व ही नहीं था।
यह ऋण वास्तव में दस्तावेज की प्रवृष्टि में शामिल था जिसे एजेएल के 99 फीसदी शेयरों का हस्तांतरण यंग इंडिया लिमिटेड (गांधी परिवार के स्वामित्व वाले) में करने के लिए बनाया गया जिसके लिए कोलकाता के एक हवाला प्रवृष्टि संचालक मेसर्स डोटेक्स मर्केंडाइज्ड प्राइवेट लिमिटेड से एक करोड़ रुपये की जमाखर्ची प्रवृष्टि ली गई थी। ईडी का कहना है कि गांधी परिवार की तरफ से एक करोड़ रुपये की हवाला प्रवृष्टि के लिए चेक के जरिये एक लाख रुपये के कमीशन का भुगतान किया गया था।
आयकर विभाग ने अक्टूबर, 2017 में आयकर अधिनियम (धारा 12 एए) के तहत एक आदेश जारी करते हुए कहा कि कंपनी को 413 करोड़ रुपये के लेन-देन पर कर का भुगतान करना होगा। यह राशि 249.15 करोड़ रुपये होगी। इस आदेश के खिलाफ गांधी परिवार की अंतिम अपील 31 मार्च, 2022 को खारिज कर दी गई । हालांकि कांग्रेस पार्टी इसे जोर-शोर से चुनौती दे रही है। कांग्रेस नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ‘यह धनशोधन का एक अजीब मामला है जिसमें पूंजी ही शामिल नहीं है। मामला ताश के पत्तों की तरह बिखर जाने वाला है। हम इसका सामना करेंगे और हमें कोई भय नहीं है। यह प्रतिशोध वाली राजनीति, क्षुद्रता और राजनीतिक घटियापन का प्रतीक है।’ उन्होंने कहा कि दरअसल एजेएल ने कंपनी अधिनियम की धारा 25 के तहत अपने ऋण को एक नई कंपनी, यंग इंडिया लिमिटेड को सौंपकर उसे इक्विटी में बदल दिया। उन्होंने कहा कि एजेएल अब भी नैशनल हेरल्ड की स्वामित्व वाली कंपनी बनी हुई है और सिर्फ शेयरधारिता का पैटर्न बदला है। उन्होंने कहा, ‘इसमें कोई पैसा शामिल नहीं है, किसी भी संपत्ति का कोई हस्तांतरण नहीं हुआ हौ और न ही इसमें पूंजी के हस्तांतरण की कोई बात है फिर भी धनशोधन का आरोप लगाया जाता है।’ वाईआईएल किसी भी रूप में धन का इस्तेमाल नहीं कर सकता है, क्योंकि यह न तो लाभांश का भुगतान कर सकता है और न ही मुनाफे को जमा रख सकता है ताकि यह पूंजी दे सके। सोनिया गांधी और राहुल गांधी को जारी किए गए ईडी के समन पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बुधवार को कहा कि सरकारी एजेंसियां अपना काम करती हैं। कांग्रेस की इस प्रतिक्रिया पर कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने राजनीतिक विरोधियों को लक्षित करने के लिए एजेंसियों का इस्तेमाल कर रहे हैं, ठाकुर ने कहा, ‘सरकारी एजेंसियां अपना काम करती हैं और इस मसलने का कैबिनेट के फैसले से कोई लेना-देना नहीं है।’