राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा एक्सटेंशन और राजनगर एक्सटेंशन में कुछ महीने पहले बिल्डर मायूस बैठे थे मगर नवरात्र से पहले ही एक बार फिर सड़कों के किनारे ब्रोकर दिखने लगे और नवनिर्मित इमारतों में गहमागहमी बढ़ गई। इसकी वजह रोजगार वापस मिलना हो, वेतन में कटौती खत्म होना हो या बिल्डरों की आकर्षक योजनाएं हो मगर रियल्टी उद्योग में खुशी लौटने लगी है। दिल्ली हो, मुंबई हो या अपेक्षाकृत छोटे शहर हों, सब जगह मकान-दुकान की खरीदफरोख्त बढ़ रही है। दिल्ली-एनसीआर के रियल्टरों के मुताबिक त्योहारों के कारण अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में मकानों की बिक्री पिछले साल से 30 फीसदी ज्यादा रहने ही उम्मीद है क्योंकि लॉकडाउन के समय खरीद टालने वाले त्योहारों पर खूब आए। रियल्टी कंपनी सुपरटेक के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक आरके अरोड़ा ने बताया कि साल भर की मायूसी के बाद इस तिमाही में मकानों की बिक्री 30 फीसदी बढ़कर 500 यूनिट से ज्यादा रहेगी। दीवाली से पहले ही 400 से अधिक मकान बिक चुके हैं। रेडी टू मूव और किफायती (30 से 45 लाख रुपये कीमत) मकानों की मांग ज्यादा है। अरोड़ा ने बताया कि लॉकडाउन में कारोबार ठप था, इसलिए अब जो भी बिक जाए अच्छा कहा जाएगा।
कर्ज सस्ता होने, मकानों के दाम वाजिब रहने और केंद्र सरकार के नए राहत पैकेज के कारण भी खरीदार आ रहे हैं। सलाहकार कंपनी नाइट फ्रैंक इंडिया के कार्यकारी निदेशक (उत्तर) मुदस्सिर जैदी ने कहा कि त्योहारों में उम्मीद से ज्यादा हलचल दिख रही है। लॉकडाउन में घर बैठे खरीदार सही कीमत पाने की आस में इस समय बुकिंग करा रहे हैं, इसलिए त्योहारी बिक्री 20 फीसदी से ज्यादा बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि ग्राहक यह सोचकर भी आ रहे हैं कि मांग बढऩे पर दाम बढ़ेंगे और आगे चलकर मकान महंगे हो जाएंगे।
मुंबई और आसपास के इलाकों में भी मकान जमकर बिक रहे हैं। महाराष्ट्र सरकार ने स्टांप ड्यूटी में इस साल दिसंबर तक 3 फीसदी और अगले साल मार्च तक 2 फीसदी छूट की घोषणा की है। इसका फायदा उठाने के लिए किफायती और आलीशान दोनों तरह के मकानों के खरीदार आ रहे हैं। बिल्डरों के लुभावने ऑफर और कीमतों में कमी भी बिक्री बढऩे की वजह है। इसीलिए बिल्डरों को दीवाली पर 20-30 फीसदी ज्यादा बिक्री का अनुमान है। नाइट फ्रैंक इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई महानगर क्षेत्र में अक्टूबर में 7,929 मकान बिके। मुंबई में पिछले 8 साल में अक्टूबर महीने में इतने मकानों की रजिस्ट्री कभी नहीं हुई थी। पिछले साल के मुकाबले यह आंकड़ा 36 फीसदी ज्यादा रहा। त्योहारों में आलीशान घरों की बिक्री 230 फीसदी बढ़ गई। एनारॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स का सर्वेक्षण बताता है कि अक्टूबर में दक्षिण मध्य मुंबई में 500 करोड़ रुपये से ज्यादा के आलीशान यानी लक्जरी घर बिक गए, जबकि पिछले साल अक्टूबर में आंकड़ा केवल 150 करोड़ रुपये था। दक्षिण मध्य मुंबई में वर्ली, प्रभादेवी, महालक्ष्मी, ताडदेव और लोअर परेल जैसे इलाकों में मकानों की कीमत ही 4 करोड़ रुपये से शुरू होती है। एनारॉक के चेयरमैन अरुण पुरी ने बताया कि इलाके में 2019 की तीसरी तिमाही में 11,780 आलीशान मकान बिना बिके पड़े थे, जिनकी संख्या अब 11,300 रह गई है।
रियल्टी डेवलपरों के संगठन नारेडको की उपाध्यक्ष और नाहर ग्रुप की चेयरपर्सन मंजू याज्ञिक आकर्षक छूट, कब्जा मिलने तक ईएमआई नहीं देने की योजना, मकान के साथ सामान देने जैसी लुभावनी पेशकशों का भी बिक्री बढऩे में हाथ मानती हैं। उन्हें लगता है कि इसका असर त्योहारों के बाद भी रहेगा और बिक्री अच्छी रहेगी। सरकारी छूट के कारण मुंबई महानगर क्षेत्र में स्टांप ड्यूटी 5 के बजाय 2 फीसदी ही पड़ रही है। याज्ञिक ने बताया कि नारेडको के सभी सदस्य बिल्डर स्टांप ड्यूटी खुद ही भर रहे हैं। समूचे महाराष्ट्र में इन बिल्डरों की 1,000 से ज्यादा परियोजनाएं हैं, जिनमें इस पेशकश का अच्छा असर दिख रहा है।
लेकिन नई परियोजनाएं नहीं आ रहीं। बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (बीएआई) और रेरा समिति के अध्यक्ष आनंद गुप्ता ने कहा कि नकदी की कमी की वजह से बिल्डर फंसी परियोजनाएं पूरी करने की ही जुगत भिड़ा रहे हैं ताकि खरीदारों के बीच भरोसा बना रहे। यही वजह है कि दाम बढ़ाए बगैर मकान बेचने की होड़ लगी है। गुप्ता कहते हैं कि पुरानी और जर्जर इमारतों के पुनर्निर्माण पर बिल्डरों तथा महाराष्ट्र सरकार के बीच चल रही बातचीत सही अंजाम तक पहुंची तो रियल्टी उद्योग दौडऩे लगेगा। लोगों को सस्ते मकान मिलेंगे और डेवलपरों को भरपूर काम मिलेगा। म्हाडा के मरम्मत एवं पुनर्निर्माण बोर्ड के मुताबिक मुंबई में 16,000 से भी ज्यादा इमारतें 100 साल से अधिक पुरानी हैं।
उत्तर प्रदेश में भी सालों की मंदी और लॉकडाउन से बुझे बिल्डरों के चेहरे चमकने लगे हैं। प्रदेश के ज्यादातर शहरों में महंगे मकान खरीदारों की बाट जोह रहे थे और किफायती मकान ही बन रहे थे। मगर बिल्डरों की आकर्षक योजनाओं के कारण इस बार दीवाली में लक्जरी अपार्टमेंट और विला की बुकिंग भी शुरू हो गई है। प्रदेश की प्रमुख रियल्टी कंपनियों शालीमार बिल्डर्स, एल्डिको हाउसिंग और आइफिल ग्रुप की प्रीमियम परियोजनाओं में अच्छी बुकिंग हो रही है। यही वजह है कि बैंकों में आवास ऋण मांगने वालों और संपत्ति निबंधन कार्यालय में रजिस्ट्री कराने वालों की भीड़ लगने लगी है। लखनऊ में नवंबर के पहले 10 दिनों में ही 2,400 से ज्यादा मकानों की रजिस्ट्री हो गई।
बाजार में हलचल देखकर सरकारी विकास प्राधिकरण और आवास विकास परिषद भी खाली पड़े मकान बेचने के लिए मुस्तैद हो गए हैं। लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) पहले से तैयार करीब 3,500 फ्लैटों के लिए पहले आओ, पहले पाओ योजना लाया है। आवास विकास परिषद भी ऐसा ही कुछ सोच रहा है। एलडीए ने ऐशबाग में कम कीमत के फ्लैटों की योजना पर काम शुरू कर दिया है। यहां औद्योगिक क्षेत्र की खाली पड़ी जमीन पर 30 से 40 लाख रुपये कीमत वाले 600 फ्लैट बनाने की योजना है। प्रधानमंत्री आवास योजना तथा जीएसटी छूट के कारण इनमें कीमत और भी कम पड़ेगी। तमाम योजनाओं और मंदी के कारण निजी बिल्डरों के फ्लैट भी 5 से 15 लाख रुपये कम में बिक रहे हैं।
रियल्टी संगठन क्रेडाई की ग्वालियर इकाई के अध्यक्ष अतुल अग्रवाल ने बताया कि जिले में सालाना 1,500 से 2,000 मकान बिकते हैं। त्योहारों के कारण पिछले एक महीने में 200 मकान बिक चुके हैं, जो पिछले साल से 20 फीसदी अधिक हैं। स्टांप शुल्क और कलेक्टर गाइडलाइन घटने से मकानों की रजिस्ट्री सस्ती हुई है, इसलिए इस महीने 2,200 से अधिक रजिस्ट्री हो चुकी हैं, जो पिछले साल की समान अवधि से करीब 57 फीसदी ज्यादा हैं।
(नई दिल्ली और ग्वालियर से रामवीर सिंह गुर्जर, मुंबई से सुशील मिश्र और लखनऊ से सिद्घार्थ कलहंस)
