देश के पश्चिमी तट पर आए चक्रवात के तुरंत बाद पूर्वी तट के चक्रवात यास ने वैज्ञानिकों व मौसम विशेषज्ञों को चकित कर दिया है। इसके लिए कई लोग समुद्र के सतह पर तापमान की वृद्धि को जिम्मेदार बता रहे हैं, जिसकी वजह से पहले अरब सागर में और फिर बंगाल की खाड़ी में एक के बाद एक चक्रवात की स्थिति बनी है।
अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में सतह का तापमान 31 से 32 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया, जो चक्रवात बनने के तुरंत पहले 28 डिग्री सेल्सियस तक था। सतह के तापमान में तेज बढ़ोतरी के कारण दोनों ही चक्रवातों को बहुत कम अवधि में विकराल रूप लेने में मदद पहुंचाई।
निजी मौसम एजेंसी स्काईमेट के मुख्य मौसम वैज्ञानिक महेश पालावत ने एक नोट में कहा, ‘इस साल भारत के समुद्र बहुत गरम रहे जिससे वातावण बना और समुद्र की स्थिति एक के बाद एक चक्रवात बनाने के अनुकूल रही। तेजी से इसके तूफान में बदलने की वजह से बारिश और बाढ़ के रूप में तबाही, तेज हवाओं की स्थिति बनी।’ आईपीसीसी ओशन ऐंड क्रायोफेटर के मुख्य लेखक और इंडियन इंस्टीट्यूट आफ ट्रॉपिकल मेटियोरोलॉजी में वैज्ञानिक डॉ रॉक्सी मैथ्यू कोल ने कहा, ‘चक्रवात यास और तौकते के बीच समानता यह है कि दोनों समुद्र के 31-32 डिग्री सेल्सियस उच्च तापमान में आगे बढ़े। इस तापमान की वजह से तौकते को बहुत कम अवधि मेंं ताकत मिली। इसी तरह से उच्च तापमान से यास को भी मदद मिलने का अनुमान है।’