करीब एक साल बाद सर्वोच्च न्यायालय ने आज केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में ओबीसी कोटा के मामले को आगे बढ़ा दिया है। क्या आप इस फैसले से खुश हैं?
(मुस्कराते हुए) कोई भी पूरी तरह से संतुष्ट या असंतुष्ट नहीं हो सकता। यह एपेक्स कोर्ट का निर्णय है, इसे हम लागू करेंगे। लेकिन कुछ क्षेत्र ऐसा भी है, जिस पर अभी ध्यान दिया जाना जरूरी है।
हां, सर्वोच्च न्यायालय के क्रीमी लेयर के बारे में दिए गए फैसले के बाद तमाम छात्र इस सुविधा से वंचित रह जाएंगे। आपका अब क्या करने का प्रस्ताव है। इस मामले में आप क्रीमी लेयर का निर्धारण किस तरह करेंगे?
क्रीमी लेयर ऐसा मामला है, जिसे आसानी से हल कर लिया जाएगा। यह निर्णय अभी आज ही आया है। अब हम उसके विस्तार में जाएंगे। शिक्षा के क्षेत्र में क्रीमी लेयर का निर्धारण कौन करेगा, यह स्पष्ट नहीं है, जैसा कि नौकरियों में आरक्षण के मामले में किया गया है।
तो ओबीसी कोटा कब से लागू होगा?
हम कोटा नीति को आगामी सत्र 2008-09 में लागू करना चाहते हैं। कोशिश होगी कि इसका लाभ तत्काल मिले।
क्या यह पहले साल से ही पूरा 27 प्रतिशत मिलने लगेगा? क्योंकि वीरप्पा मोइली की समिति ने सुझाव दिया था कि इसे तीन साल में चरणबध्द तरीके से लागू किया जाना चाहिए? इस बीच संस्थानों के क्षमता का विस्तार किया जाना चाहिए…
हमारी कोशिश होगी कि शुरुआत से ही 27 प्रतिशत कोटा लागू किया जाए। ओएससी की अनुसंशा की बाद कर रहे हैं तो वह केवल सुझाव मात्र है।
क्या अब आप केंद्रीय शिक्षण संस्थानों, जिसमें आईआईटी और आईआईएम शामिल हैं को तत्काल आरक्षण लागू करने के लिए पत्र लिखने जा रहे हैं?
(हंसते हुए) अभी तो मैं आपलोगों (पत्रकारों) के साथ व्यस्त हूं। अभी मंत्रालय को इसके लिए कुछ वक्त दीजिए।
आप आरक्षण के मामले में खुल कर सामने आए और पिछले दो साल से तमाम आलोचनाओं के शिकार बन रहे हैं। न केवल आरक्षण विरोधियों के बल्कि अपनी पार्टी नेताओं और हाई कमान के। अब आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
नहीं। पार्टी या हाई कमान की तरफ से कोई विरोध नहीं हुआ। सही कहें तो पार्टी अध्यक्ष और प्रधानमंत्री का इस मामले में पूरा समर्थन था।